Jamshedpur Visit: ग्रेजुएट कॉलेज की छात्राओं ने ई-वेस्ट मैनेजमेंट में सीखा पर्यावरण बचाने का तरीका
जमशेदपुर के ई-वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर में ग्रेजुएट कॉलेज की छात्राओं ने शैक्षणिक भ्रमण किया। जानें कैसे ई-वेस्ट प्रबंधन पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को बचाने में सहायक है।
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जमशेदपुर, 22 नवंबर 2024: ग्रेजुएट कॉलेज की जंतु विज्ञान की छात्राओं ने साकची स्थित ई-वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर का शैक्षणिक भ्रमण किया। इस दौरान छात्राओं को ई-वेस्ट प्रबंधन और इसके पर्यावरणीय प्रभावों की गहरी समझ दी गई।
कॉलेज की प्राचार्या डॉ. वीणा सिंह प्रियदर्शी के मार्गदर्शन में आयोजित इस भ्रमण में सेमेस्टर 2 की जंतु विज्ञान प्रतिष्ठा की छात्राओं ने भाग लिया। सेंटर पर मौजूद जूनियर ऑपरेशन पदाधिकारी श्री राजकमल ने ई-वेस्ट प्रबंधन की तकनीकों और प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की।
क्या है ई-वेस्ट और क्यों है इसका प्रबंधन जरूरी?
ई-वेस्ट, यानी पुराने और खराब इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का कचरा, पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन चुका है।
श्री राजकमल ने समझाया कि घरेलू और औद्योगिक उपकरणों से उत्पन्न यह कचरा, जिसमें लेड, मरकरी, और अन्य खतरनाक रसायन होते हैं, मिट्टी, जल, और वायु को दूषित कर पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि हुलाडेक कंपनी किस प्रकार इस ई-वेस्ट को पुनर्चक्रित (रीसाइकल) करके उपयोगी सामग्रियों में बदलती है। इस प्रक्रिया से न केवल पर्यावरणीय नुकसान कम होता है, बल्कि आर्थिक लाभ भी होता है।
भ्रमण के दौरान छात्राओं की सीख
इस शैक्षणिक भ्रमण ने छात्राओं को यह समझने में मदद की कि कैसे ई-वेस्ट प्रबंधन के जरिए पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है।
छात्राओं ने सीखा कि ई-वेस्ट के कारण होने वाले खतरों को कैसे रोका जा सकता है और इसे रीसाइकल कर कैसे संसाधनों का पुनः उपयोग किया जा सकता है।
इस दौरान एक छात्रा ने कहा:
"हमने आज जाना कि छोटे-छोटे कदम, जैसे ई-वेस्ट को सही तरीके से फेंकना और रीसाइकल करना, पर्यावरण संरक्षण में बड़ा योगदान दे सकते हैं।"
ई-वेस्ट प्रबंधन और पर्यावरण पर प्रभाव
ई-वेस्ट का सही प्रबंधन न होने पर यह:
- मिट्टी और जल को विषाक्त बना देता है।
- वायु प्रदूषण का कारण बनता है।
- मानव शरीर पर गंभीर बीमारियों, जैसे कैंसर और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं, का खतरा बढ़ाता है।
वहीं, सही प्रबंधन से यह पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने में मदद करता है।
इतिहास में ई-वेस्ट का बढ़ता संकट
भारत दुनिया में ई-वेस्ट उत्पन्न करने वाले शीर्ष देशों में से एक है। हर साल भारत में करीब 10 लाख टन ई-वेस्ट निकलता है।
सही जागरूकता और प्रबंधन के अभाव में इसका बड़ा हिस्सा कचरे में फेंक दिया जाता है, जो पर्यावरणीय समस्याओं को बढ़ाता है।
ऐसे में ग्रेजुएट कॉलेज की यह पहल छात्राओं को समस्या की गंभीरता और इसके समाधान के प्रति जागरूक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कार्यक्रम में शिक्षकों की भूमिका
इस भ्रमण के दौरान जंतु विज्ञान विभाग की प्रमुख प्रणति प्रभा और डॉ. मेनका सिसोदिया ने भी छात्राओं का मार्गदर्शन किया। उन्होंने छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यह भ्रमण न केवल शैक्षणिक गतिविधि है, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी समझने का एक अवसर भी है।
पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम
ग्रेजुएट कॉलेज की इस पहल ने साबित किया कि शैक्षणिक गतिविधियां छात्रों को किताबों से बाहर व्यावहारिक ज्ञान देने में मदद कर सकती हैं।
इस भ्रमण ने छात्राओं को पर्यावरणीय संकट से अवगत कराया और उन्हें ई-वेस्ट प्रबंधन के महत्व को समझने का अवसर दिया।
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