Jamshedpur Elevated Corridor Protest : एलिवेटेड कॉरिडोर के भूमि पूजन पर तीसरी बार हुआ विरोध, जानिए क्या है कारण!
ईचागढ़ से जुगसलाई तक चल रहे एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण कार्य पर तीसरी बार भूमि पूजन का विरोध। क्या यह सरकारी धन की बर्बादी है? जानिए विस्तार से!
झारखंड के ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के आसानबनी से लेकर जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र के डांगा तक एनएच 33 अंतर्गत चल रहे एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण कार्य को लेकर स्थानीय लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है। इस परियोजना का काम दो महीने से अधिक समय से तेज गति से चल रहा है, लेकिन अब तीसरी बार भूमि पूजन किए जाने पर लोगों ने विरोध जताया है। क्या है इस विरोध का कारण? क्या यह विकास के नाम पर सरकारी धन की बर्बादी है?
एलिवेटेड कॉरिडोर की अहमियत और विकास
एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण झारखंड के प्रमुख सड़कों में से एक, एनएच 33 के तहत किया जा रहा है, जो शहरों के बीच यातायात को सुगम बनाने के साथ-साथ दुर्घटनाओं की संख्या को भी कम करने का उद्देश्य रखता है। यह परियोजना न केवल जाम से मुक्ति दिलाएगी, बल्कि प्रदूषण पर भी काबू पाएगी। जाम की समस्या और सड़क दुर्घटनाएं शहरवासियों के लिए आम बात बन चुकी हैं, ऐसे में एलिवेटेड कॉरिडोर को लेकर लोगों की उम्मीदें भी बहुत अधिक हैं। हालांकि, इस परियोजना के बीच स्थानीय दुकानदारों और निवासियों के लिए कई परेशानियाँ भी उत्पन्न हो रही हैं।
क्या है विरोध का कारण?
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब काम दो महीने से चल रहा है और ज़मीन पर काम की गति बहुत तेज है, तो तीसरी बार भूमि पूजन करना समझ से परे है। यह बात लोगों में काफ़ी गुस्सा पैदा कर रही है। उनका आरोप है कि शिलान्यास के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है, और यह केवल नाम के लिए किया जा रहा है ताकि सरकारी अधिकारियों का नाम शिलापट्ट में दर्ज किया जा सके। लोगों का मानना है कि यह कार्य पूरी तरह से समय की बर्बादी और जनता के पैसे का गलत इस्तेमाल है।
सड़क निर्माण कार्य और स्थानीय दुकानदारों की परेशानियाँ
एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण कार्य के दौरान सड़क पर जगह-जगह गड्ढे खोदे गए हैं और स्लैग और फ्लाई ऐश डस्ट गिराए गए हैं। इसके कारण स्थानीय दुकानदारों को धूल, जाम, और दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। कई दुकानदारों का कहना है कि यह स्थिति न केवल उनके व्यापार के लिए हानिकारक हो रही है, बल्कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में भी खासी परेशानी पैदा कर रही है। धूल और गड्ढों के कारण वाहन चालकों के लिए रास्ता तय करना भी मुश्किल हो गया है, और इससे कई छोटे-मोटे हादसे भी हुए हैं।
स्थानीय लोगों की चिंता और सवाल
स्थानीय लोगों और दुकानदारों का कहना है कि जब काम पहले ही चल रहा था और गति भी तेज थी, तो फिर क्यों बार-बार भूमि पूजन की आवश्यकता पड़ी। यह पूरी प्रक्रिया जनता के पैसे की बर्बादी लगती है। यह सवाल अब पूरी क्षेत्रीय जनता के बीच उठ रहा है, और वे चाहते हैं कि इस विकास कार्य में अधिक पारदर्शिता दिखाई जाए और किसी भी तरह की भ्रष्टाचार को रोका जाए।
विकास या धन की बर्बादी?
यह पूरा मामला विकास कार्य और भ्रष्टाचार के बीच संतुलन का सवाल उठाता है। जहां एक ओर इस एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना का उद्देश्य क्षेत्रीय यातायात को सुगम और सुरक्षित बनाना है, वहीं दूसरी ओर इसे लेकर हो रहे विरोध ने इसे लेकर कुछ गंभीर सवाल खड़े किए हैं। लोग चाहते हैं कि इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा किया जाए, लेकिन सरकारी खर्च और शिलान्यास की बार-बार की प्रक्रिया पर सवाल भी उठ रहे हैं।
क्या होगा आगे?
वर्तमान में, क्षेत्रीय लोग और दुकानदार अपनी समस्याओं को लेकर शासन-प्रशासन से समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि इस विकास कार्य को सही दिशा में और बिना किसी विघ्न के पूरा किया जाए, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जनता का पैसा बेवजह खर्च न हो। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस विरोध का समाधान कैसे निकालता है और क्या कोई बदलाव होता है या नहीं।
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