Jamshedpur: बोर्डर किसानों के लिए संघर्ष समिति गठित, 14 दिसंबर को अगली बैठक
जमशेदपुर के बाघुड़िया पंचायत में झारखंड बोर्डर किसान मजदूर संघर्ष समिति का गठन किया गया। किसानों और मजदूरों की समस्याओं पर विचार करते हुए 14 दिसंबर को अगली बैठक की घोषणा।
जमशेदपुर के ग्रामीण क्षेत्र में किसानों और मजदूरों की समस्याओं के समाधान के लिए एक नई पहल शुरू हुई है। बाघुड़िया पंचायत के नरसिंहपुर गांव में रविवार को एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें सर्वसम्मति से झारखंड बोर्डर किसान मजदूर संघर्ष समिति का गठन किया गया। बैठक की अध्यक्षता अनिल सिंह ने की और इसमें क्षेत्र के विकास एवं किसानों के अधिकारों पर गहन चर्चा की गई।
क्या है समिति का उद्देश्य?
समिति का मुख्य उद्देश्य झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में किसानों और मजदूरों को उनके अधिकार दिलाना और उनकी समस्याओं को हल करना है। बैठक में निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा हुई:
- स्वर्णरेखा नहर में पानी की सुविधा – झारखंड सरकार से मांग की गई कि सीमावर्ती क्षेत्रों में किसानों के लिए स्वर्णरेखा नहर में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
- बीज और खाद की उपलब्धता – किसानों को समय पर उच्च गुणवत्ता वाले बीज और खाद उपलब्ध कराने की मांग उठाई गई।
- अवैध संसाधन यातायात पर रोक – सीमावर्ती इलाकों में अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया गया।
- विकास कार्यों का संचालन – सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं और विकास कार्यों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर चर्चा की गई।
14 दिसंबर को होगी अगली बैठक
बैठक में समिति के सदस्यों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि आगामी 14 दिसंबर को एक और बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में समिति की कार्यप्रणाली और आगामी योजनाओं पर निर्णय लिया जाएगा।
ग्रामीणों की आवाज बन रही है समिति
इस बैठक में ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को खुलकर साझा किया और समिति के गठन का स्वागत किया। उपस्थित सदस्यों ने बताया कि यह समिति सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले किसानों और मजदूरों की समस्याओं को सरकार के समक्ष प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करेगी। साथ ही, यह समिति विकास कार्यों को गति देने और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने में भी सक्रिय भूमिका निभाएगी।
इतिहास और संदर्भ
झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में किसानों और मजदूरों की समस्याएं कोई नई बात नहीं हैं। पानी की कमी, समय पर खाद-बीज न मिलना और अवैध गतिविधियों का बढ़ता प्रभाव लंबे समय से इन क्षेत्रों को परेशान कर रहा है। सीमावर्ती इलाकों में विकास कार्यों की धीमी गति और प्रशासनिक उदासीनता के चलते ग्रामीण समुदाय अपनी आवाज बुलंद करने के लिए एकजुट हो रहे हैं।
उपस्थित सदस्यों ने दिया योगदान
बैठक में समिति के कई प्रमुख सदस्य शामिल हुए, जिनमें सुनील कुमार सिंह, लालमोहन बास्के, बीरेन सिंह, बंकिम सिंह, निमाई टुडू, तुलसी सिंह, समराई मुर्मू, सुभाष मुखर्जी, धनंजय रजवार और अयन सिंह जैसे नाम शामिल हैं। इन सदस्यों ने किसानों और मजदूरों की आवाज को मजबूत बनाने का वादा किया।
यह पहल न केवल सीमावर्ती इलाकों के किसानों के जीवन में सुधार लाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि मजदूरों के अधिकारों के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है। समिति की सफलता इन क्षेत्रों के विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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