Jamshedpur Bhagwat Katha : बावन अवतार, मृत्युदंड सुनकर नाचने लगे राजा परीक्षित, सरयू राय की उपस्थिति में नीरज मिश्रा ने खोले जीवन के गूढ़ रहस्य

जमशेदपुर में आयोजित भागवत कथा के तीसरे दिन नीरज मिश्रा जी ने बावन और नरसिंह अवतार की महिमा का ऐसा वर्णन किया कि भक्त झूम उठे। भीष्म पितामह के 54 दिनों के कष्ट और राजा परीक्षित को मिले मृत्युदंड के पीछे छिपे उन रहस्यों की पूरी सत्यता यहाँ दी गई है वरना आप भी जीवन में सफलता दिलाने वाले इन अनमोल आध्यात्मिक सूत्रों को जानने से वंचित रह जाएंगे।

Dec 26, 2025 - 13:56
 0
Jamshedpur Bhagwat Katha : बावन अवतार, मृत्युदंड सुनकर नाचने लगे राजा परीक्षित, सरयू राय की उपस्थिति में नीरज मिश्रा ने खोले जीवन के गूढ़ रहस्य
Jamshedpur Bhagwat Katha : बावन अवतार, मृत्युदंड सुनकर नाचने लगे राजा परीक्षित, सरयू राय की उपस्थिति में नीरज मिश्रा ने खोले जीवन के गूढ़ रहस्य

जमशेदपुर, 26 दिसंबर 2025 – लौहनगरी के भक्तिमय माहौल में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन ज्ञान की ऐसी गंगा बही कि उपस्थित श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। प्रख्यात कथावाचक नीरज मिश्रा जी ने आज बावन अवतार एवं नरसिंह अवतार का ऐसा सजीव वर्णन किया कि पूरा पंडाल 'जय श्री हरि' के उद्घोष से गूंज उठा। कथा के दौरान उन्होंने न केवल पौराणिक प्रसंग सुनाए, बल्कि उन्हें आज के जीवन से जोड़कर सफलता के मंत्र भी दिए। कार्यक्रम में मुख्य रूप से जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय और जिला परिषद सदस्य डॉ. कविता परमार सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

इतिहास: बावन अवतार और त्याग की सनातन परंपरा

ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बावन (वामन) अवतार भगवान विष्णु का वह स्वरूप है जिसने अहंकार के दमन और विनम्रता की विजय का संदेश दिया। त्रेता युग के आरंभ में जब राजा बलि का अहंकार बढ़ा, तब भगवान ने एक छोटे से बटु ब्राह्मण का रूप धरकर तीन पग में पूरी सृष्टि नाप ली थी। नीरज मिश्रा जी ने बताया कि यह कथा हमें सिखाती है कि दान केवल धन का नहीं, बल्कि अहंकार का होना चाहिए। वहीं, नरसिंह अवतार असुरक्षित महसूस कर रहे भक्तों के लिए भगवान के 'अति-शीघ्र' रक्षक होने का प्रमाण है। इतिहास गवाह है कि जब-जब धर्म की हानि हुई है, इन अवतारों ने मानवता को नई दिशा दी है।

कुंती का कष्ट और सब्र की शक्ति

कथावाचक ने आज के युग के दुखों की तुलना महाभारत काल से करते हुए एक बड़ी बात कही।

  • कुंती का उदाहरण: उन्होंने बताया कि संसार में अब तक सबसे ज्यादा कष्ट माता कुंती ने झेला है, लेकिन उनकी महानता यह थी कि उन्होंने दुखों में भी भगवान को याद रखा।

  • सब्र का मंत्र: जब जीवन में परेशानी, अनुराग या वैराग्य आए, तो सब्र रखना ही सबसे बड़ा हथियार है। "जो कार्य धीरे-धीरे और धैर्य के साथ किया जाता है, उसमें सफलता निश्चित है।"

  • असली विपत्ति: मिश्रा जी ने स्पष्ट किया कि धन का अभाव विपत्ति नहीं है, बल्कि भगवान का भजन न होना जीवन की सबसे बड़ी दरिद्रता है।

भीष्म-द्रौपदी संवाद: गलत साथ का भयावह परिणाम

कथा के एक मार्मिक प्रसंग में भीष्म पितामह और द्रौपदी के बीच हुए संवाद का वर्णन किया गया।

  1. अंतिम शैय्या का कष्ट: जब पितामह 54 दिनों तक शरशय्या पर लेटे कष्ट भोग रहे थे, तब उन्होंने गलत व्यक्ति का साथ देने और अधर्म से अर्जित धन (अन्न) ग्रहण करने के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला।

  2. संगत का असर: संतों का मत साझा करते हुए कथा में कहा गया कि कभी भी गलत व्यक्ति के साथ नहीं रहना चाहिए, क्योंकि उसका पाप आपके पुण्य को भी निगल जाता है।

कथा के मुख्य आध्यात्मिक सूत्र (Key Takeaways)

प्रसंग जीवन की सीख
बावन अवतार समर्पण और दान से ही प्रभु मिलते हैं
परीक्षित का नृत्य मृत्यु का भय खत्म हो जाए, तो भक्ति पूर्ण है
युधिष्ठिर की तीन बातें क्षमा, न्याय और सभी को समान सम्मान
विदुर प्रसंग महलों के भोग से श्रेष्ठ भक्त की कुटिया है

राजा परीक्षित का अनोखा नृत्य और दंड

कथा में जब राजा परीक्षित को मृत्युदंड की घोषणा का प्रसंग आया, तो भक्त भावुक हो गए। नीरज मिश्रा जी ने बताया कि परीक्षित उस समय डरे नहीं, बल्कि खुश होकर नाचने लगे क्योंकि उन्हें आभास हो गया था कि अब साक्षात प्रभु के मिलन का समय आ गया है। युधिष्ठिर ने उन्हें सिखाया था कि अगर दुश्मन भी दरबार में आए तो उसे क्षमा करना और कभी अपनी आँखों के सामने अन्याय होते मत देखना।

विधायक सरयू राय ने लिया आशीर्वाद

कथा के विश्राम काल में विधायक सरयू राय ने व्यास पीठ का पूजन किया और आशीर्वाद लिया। उनके साथ मंजू सिंह, सुधीर सिंह और पवन सिंह भी मौजूद रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में शत्रुघ्न प्रसाद, संजय गुप्ता, रूपा गुप्ता, अमर भूषण और देवाशीष झा जैसे सक्रिय सदस्यों का बड़ा योगदान रहा। अंत में भव्य आरती हुई और श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया।

भक्ति में सराबोर हुआ जमशेदपुर

नीरज मिश्रा जी की वाणी ने आज यह सिद्ध कर दिया कि सम्मुख बैठकर कथा सुनने का फल अनंत होता है। बावन अवतार की झांकी और नरसिंह अवतार के गर्जन ने भक्तों के हृदय में भक्ति का संचार किया। आज की कथा का सार यही रहा कि धन और साम्राज्य अस्थायी हैं, केवल प्रभु का नाम ही शाश्वत सत्य है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।