Baharagora illegal mining: बालू माफिया का आतंक, प्रशासन की चुप्पी से स्वर्णरेखा नदी पर लूट जारी

बहरागोड़ा के पाथरी पंचायत में स्वर्णरेखा नदी पर बालू माफिया का आतंक जारी है। अवैध खनन से नदी का प्राकृतिक प्रवाह खतरे में है। प्रशासन की चुप्पी से स्थानीय लोग चिंतित हैं।

Dec 29, 2024 - 18:19
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Baharagora illegal mining: बालू माफिया का आतंक, प्रशासन की चुप्पी से स्वर्णरेखा नदी पर लूट जारी
Baharagora illegal mining: बालू माफिया का आतंक, प्रशासन की चुप्पी से स्वर्णरेखा नदी पर लूट जारी

बहरागोड़ा: पाथरी पंचायत के मधुआबेड़ा स्थित स्वर्णरेखा नदी घाट पर बालू माफिया प्रशासन को खुली चुनौती दे रहे हैं। यहां अवैध बालू खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है, जहां दिन और रात में 50 से अधिक ट्रैक्टरों से बालू की लूट जारी है। इस इलाके में बालू का भंडारण कर हाइवा से अन्यत्र भेजा जा रहा है।

अवैध खनन की कहानी

स्वर्णरेखा नदी, जो पूर्वी भारत के विकास और जल संसाधन की महत्वपूर्ण कड़ी है, अब माफियाओं की वजह से पर्यावरणीय संकट का सामना कर रही है। बालू, जो निर्माण कार्यों के लिए आवश्यक है, अब अवैध गतिविधियों का केंद्र बन गया है। इस घाट पर बालू की लूट प्रशासन और खनन विभाग के लिए चिंता का विषय बन गई है।

14 दिसंबर की छापेमारी भी विफल

हाल ही में, 14 दिसंबर को खनन इंस्पेक्टर, अंचल अधिकारी और थाना प्रभारी ने पुलिस बल के साथ इस घाट पर छापेमारी की थी। उस दौरान 20,000 सीएफटी बालू जब्त किया गया था। लेकिन यह कार्रवाई बालू माफिया की गतिविधियों पर अंकुश लगाने में नाकाम रही। छापेमारी के बावजूद बालू का अवैध खनन और परिवहन बेखौफ जारी है।

स्थानीय लोगों की चिंता

दिन के उजाले में दर्जनों ट्रैक्टर स्वर्णरेखा नदी को छलनी कर रहे हैं। अवैध खनन की वजह से नदी के प्राकृतिक प्रवाह और पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ रहा है। स्थानीय निवासी प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठा रहे हैं और इसे संदिग्ध नजरों से देख रहे हैं।

प्रशासन की उदासीनता

यह स्थिति प्रशासन और खनन विभाग की लापरवाही को उजागर करती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बालू माफिया के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जबकि यह खनन न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि स्वर्णरेखा नदी के अस्तित्व के लिए भी खतरा बनता जा रहा है।

स्वर्णरेखा नदी का ऐतिहासिक महत्व

स्वर्णरेखा नदी पूर्वी झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में बहती है। यह नदी अपने सुनहरे बालू के लिए जानी जाती है। लेकिन माफिया गतिविधियों के चलते इसका यह स्वरूप खतरे में पड़ गया है। इतिहास में यह नदी स्थानीय समुदायों की आजीविका का स्रोत रही है। अब यह मुनाफाखोरी के केंद्र में बदल गई है।

प्राकृतिक संसाधन बचाने की अपील

स्वर्णरेखा नदी के संरक्षण के लिए स्थानीय प्रशासन को तुरंत सख्त कदम उठाने की जरूरत है। पर्यावरणविद और स्थानीय नागरिक सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि इस नदी को माफिया के चंगुल से बचाया जाए।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।