Hunterganj Fire: धान के खलिहान में भीषण आग, 300 बोझा धान राख, ग्रामीणों में आक्रोश
हंटरगंज के मायापुर कला गांव में धान के खलिहान में लगी भीषण आग, 300 बोझा धान जलकर राख। जानें हादसे की पूरी जानकारी और प्रशासन की प्रतिक्रिया।
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हंटरगंज : झारखंड के हंटरगंज प्रखंड के मायापुर कला गांव में बुधवार की रात एक भीषण अग्निकांड में 300 बोझा धान राख हो गया। यह हादसा किसान दिनेश कुमार दास के खलिहान में हुआ। आग इतनी तेज थी कि ग्रामीणों की तमाम कोशिशों के बावजूद पूरा धान जलकर राख हो गया। घटना ने किसानों के बीच गहरी चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है।
कैसे हुआ हादसा?
रात के समय अचानक खलिहान से धुएं और आग की लपटें उठने लगीं।
- ग्रामीणों ने इसे देखते ही इकट्ठा होकर आग बुझाने की कोशिश की।
- लेकिन आग इतनी भीषण थी कि पूरा खलिहान जलकर राख हो गया।
- अब तक आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है।
क्षति और राहत की मांग
इस अग्निकांड में दिनेश कुमार दास के खलिहान में रखा 300 बोझा धान पूरी तरह जल गया।
- किसान ने स्थानीय अंचल अधिकारी और थाना प्रभारी से मुआवजे की गुहार लगाई है।
- उन्होंने कहा, "यह मेरी सालभर की मेहनत का नुकसान है। अगर सरकार मदद नहीं करती, तो हमारी स्थिति और खराब हो जाएगी।"
ग्रामीणों का संघर्ष
आग लगने के बाद पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई।
- दर्जनों ग्रामीणों ने बाल्टी और पाइप से पानी डालकर आग बुझाने की कोशिश की।
- तेज हवा के कारण आग तेजी से फैल गई, जिससे धान को बचाने में असफल रहे।
अग्निकांड का इतिहास और किसानों की समस्या
झारखंड में खलिहान में आग लगने की घटनाएं नई नहीं हैं।
- हर साल सूखी घास और धान के ढेर के कारण आग की घटनाएं होती हैं।
- ज्यादातर मामलों में कारणों का पता नहीं चलता, और किसानों को मुआवजे के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
पिछले साल की घटनाएं:
- पलामू जिले में 400 बोझा धान जलकर राख।
- गढ़वा में बिजली के शॉर्ट सर्किट से खलिहान में आग।
इन घटनाओं में प्रशासन की लचर व्यवस्था और फायर ब्रिगेड की अनुपलब्धता को जिम्मेदार ठहराया गया।
मुआवजे की प्रक्रिया और सरकारी सहायता
झारखंड सरकार किसानों को राहत देने के लिए मुआवजा प्रक्रिया चलाती है।
- अंचल अधिकारी घटना का निरीक्षण करने के बाद रिपोर्ट तैयार करते हैं।
- अनुमोदन के बाद मुआवजे की राशि सीधे किसान के खाते में ट्रांसफर की जाती है।
दिनेश कुमार दास ने प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की अपील की है।
क्या हो सकते हैं आग लगने के कारण?
- सूखी घास में सिगरेट या माचिस की चिंगारी।
- शॉर्ट सर्किट के कारण चिंगारी निकलना।
- आगजनी की आशंका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
ग्रामीणों की मांग और प्रशासन की प्रतिक्रिया
ग्रामीणों ने आग लगने की घटना के बाद फायर ब्रिगेड की तैनाती और नियमित निरीक्षण की मांग की है।
अंचल अधिकारी ने कहा कि, "जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई और किसान को मुआवजा दिया जाएगा।"
खलिहान की सुरक्षा के लिए सुझाव
- आग प्रतिरोधी सामग्री का उपयोग: खलिहान को ऐसे स्थान पर बनाएं, जहां बिजली के तार या चिंगारी का खतरा न हो।
- फायर ब्रिगेड से संपर्क: गांवों में फायर ब्रिगेड की टीम उपलब्ध होनी चाहिए।
- ग्रामीणों को प्रशिक्षित करना: आग बुझाने के शुरुआती उपायों के लिए ग्रामीणों को प्रशिक्षित करना।
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