Chaiabasa Protest: चाईबासा में आंदोलनकारी हुए बरी, हो भाषा को संविधान में शामिल करने की बड़ी जीत!

चाईबासा में हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए 2019 में हुए रेल रोको आंदोलन के आरोपियों को रेलवे कोर्ट ने किया बरी। जानें पूरी कहानी।

Dec 14, 2024 - 15:56
Dec 14, 2024 - 15:56
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Chaiabasa Protest: चाईबासा में आंदोलनकारी हुए बरी, हो भाषा को संविधान में शामिल करने की बड़ी जीत!
Chaiabasa Protest: चाईबासा में आंदोलनकारी हुए बरी, हो भाषा को संविधान में शामिल करने की बड़ी जीत!

चाईबासा के रेलवे कोर्ट ने शनिवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हो भाषा आंदोलन के दौरान रेल रोको आंदोलन में शामिल सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया। यह फैसला झारखंड के आदिवासी समाज के लिए एक बड़ी राहत और प्रेरणा के रूप में सामने आया है।

क्या है मामला?

30 जनवरी 2019 को, हो भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर ऑल इंडिया हो लैंग्वेज एक्शन कमिटी और आदिवासी हो समाज युवा महासभा केंद्रीय समिति के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर रेल रोको आंदोलन किया गया था।

आंदोलन के तहत चाईबासा रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में आंदोलनकारी जुटे थे। इस दौरान रेलवे यातायात बाधित हुआ, जिसके चलते कई ट्रेनों को रोकना पड़ा। आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शामिल थे:

  1. भूषण पाठ पिंगुआ (पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष)
  2. ईपील सामड (युवा महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष)
  3. बिर सिंह बुड़ीउली (पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष)
  4. शेर सिंह बिरुवा (जिला अध्यक्ष, युवा महासभा)

रेलवे अधिनियम के तहत इन पर रेलवे आवागमन अवरुद्ध करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था।

चार साल की कानूनी लड़ाई, अदालत का फैसला

चार सालों तक चली लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, रेलवे कोर्ट के मजिस्ट्रेट मंजीत कुमार साहू ने इस मामले की सुनवाई की और यह कहते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे।

इस फैसले को आंदोलनकारियों और हो भाषा समर्थकों ने न्याय की जीत करार दिया।

हो भाषा का संघर्ष: एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

हो भाषा, झारखंड के आदिवासी समाज की प्रमुख भाषाओं में से एक है। यह भाषा झारखंड के अलावा ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी बोली जाती है। हालांकि, इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

1950 में भारतीय संविधान के प्रारूप में कुल 14 भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। लेकिन इसके बाद से समय-समय पर क्षेत्रीय भाषाओं को इसमें जगह देने की मांग उठती रही है।

  • संथाली भाषा: 2003 में संथाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
  • हो भाषा: हालांकि, आज भी यह संघर्षरत है और इसे संविधान में स्थान देने के लिए आंदोलन जारी है।

आदिवासी संगठनों का कहना है कि हो भाषा को भी वही दर्जा मिलना चाहिए जो अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को मिला है।

आंदोलन का प्रभाव और नेतृत्व

2019 का रेल रोको आंदोलन, हो भाषा के लिए सबसे बड़ा प्रदर्शन था।

  • इस आंदोलन में झारखंड के साथ-साथ ओडिशा और पश्चिम बंगाल के आदिवासी समाज ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
  • चाईबासा रेलवे स्टेशन पर आंदोलन के दौरान सरकार और प्रशासन का ध्यान इस गंभीर मुद्दे की ओर खींचा गया।

आंदोलन के नेता भूषण पाठ पिंगुआ और ईपील सामड का कहना था:

"यह सिर्फ भाषा का मामला नहीं, यह हमारी संस्कृति, पहचान और अधिकारों का प्रश्न है।"

क्या है आठवीं अनुसूची में शामिल होने का महत्व?

संविधान की आठवीं अनुसूची में किसी भाषा को शामिल करने से:

  1. भाषा का संरक्षण और संवर्धन: केंद्र सरकार उस भाषा के संरक्षण के लिए विशेष योजनाएं शुरू करती है।
  2. शैक्षणिक विकास: प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाता है।
  3. संवैधानिक पहचान: भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान और सम्मान मिलता है।

फैसले के बाद आदिवासी समाज की प्रतिक्रिया

रेलवे कोर्ट के फैसले के बाद चाईबासा और आसपास के क्षेत्रों में आदिवासी समाज के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। आदिवासी हो समाज युवा महासभा ने इसे आदिवासी समाज के संघर्ष और एकता की जीत बताया।

एक स्थानीय निवासी ने कहा:

"यह सिर्फ आरोपियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे हो भाषा आंदोलन के लिए एक नई शुरुआत है।"

भविष्य की राह: क्या हो भाषा को मिलेगा अधिकार?

हो भाषा आंदोलन अब भी जारी है।

  • आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक भाषा को आठवीं अनुसूची में स्थान नहीं मिलता, तब तक यह संघर्ष थमने वाला नहीं है।
  • केंद्र और राज्य सरकार से उनकी अपील है कि इस मुद्दे को प्राथमिकता दी जाए।

क्या हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए? क्या यह आंदोलन भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं के लिए एक मिसाल बनेगा? अपनी राय हमें जरूर बताएं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।