हिंदी दिवस और करमा दिवस पर मुरली ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन में विशेष चर्चा, बच्चों ने बढ़ाया गौरव
मुरली ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन जमशेदपुर में 14 सितंबर 2024 को हिंदी दिवस और करमा दिवस के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बच्चों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जानें हिंदी दिवस का महत्व और करमा पर्व की खास बातें।
14 सितंबर 2024 को मुरली ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन जमशेदपुर में हिंदी दिवस और करमा दिवस का विशेष आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को हिंदी भाषा और करमा पर्व के महत्व से परिचित कराना था। हिंदी दिवस के बारे में बच्चों को बताया गया कि 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला था। अब तक हिंदी ने 75 साल का सफर तय कर लिया है। इस दौरान हिंदी ने अन्य भाषाओं के साथ मिलकर मजबूती पाई है, जैसे मलयाली, तेलुगु, कन्नड़, उड़िया और मराठी।
हिंदी को राजभाषा बनाने में कई महान नेताओं का योगदान रहा। सरदार वल्लभभाई पटेल, महात्मा गांधी, राजगोपालाचारी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आचार्य कृपलानी जैसे नेताओं ने हिंदी के प्रति अपना समर्थन दिखाया। इस आंदोलन का सफर लंबा और संघर्षपूर्ण रहा। ऐसे कई लोग थे जिन्होंने हिंदी के विकास के लिए अपने जीवन को समर्पित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई। उन्होंने कई देशों में हिंदी भाषा में भाषण दिए और हिंदी का गौरव बढ़ाया। हिंदी आज सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सम्मानित भाषा बन चुकी है। हिंदी ने समाज और देश के विकास में अहम भूमिका निभाई है। हिंदी ही वह आंगन है, जिसमें विकास के वृक्ष फलते-फूलते हैं।
इस कार्यक्रम में स्कूल के बच्चों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अदिति कुमारी, इशा मंडल, आरोही कुमारी, सलोनी, सुहानी, राजकुमार यादव, गौरव ठाकुर, पीयूष कुमार और गौरव यादव ने हिंदी के महत्व पर अपने विचार साझा किए। शिक्षकों में श्रीमती प्रियंका तिवारी, नमिता बेरा, शशि कला देवी, डॉ. नूतन रानी, प्रदीप राय और सुशीला कुमारी ने भी इस अवसर पर भाग लिया और अपने विचार रखे।
साथ ही करमा दिवस पर भी चर्चा की गई। करमा पर्व पूर्वी भारत में विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उड़ीसा में धूमधाम से मनाया जाता है। करमा पर्व भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती और आपसी सहयोग का प्रतीक है। इस दिन भाई-बहन मिलकर अपने दुख-सुख साझा करते हैं और एक-दूसरे का साथ देने का संकल्प लेते हैं।
मुरली ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में जनजागृति फैलाने का काम करता है। इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देना है। यहां स्पोकन इंग्लिश और साइंस-मैथ की कक्षाएं भी आयोजित की जाती हैं। विद्यार्थी एक सप्ताह की निःशुल्क कक्षा करके संस्थान की गुणवत्ता का अनुभव कर सकते हैं और अपने भविष्य को उज्जवल बना सकते हैं।
इस तरह के कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों को सांस्कृतिक धरोहरों से जोड़ते हैं, बल्कि शिक्षा के प्रति उनका रुझान भी बढ़ाते हैं।
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