हिंदी दिवस - महेश प्रसाद शर्मा ,मध्यप्रदेश
हिंदी अपना स्वाभिमान है, हिंदी ही पहचान। हिंदी माता है हम सबकी, हम इसकी संतान। प्यारा हिंदी दिवस है अनुपम, .....
हिंदी दिवस
हिंदी अपना स्वाभिमान है, हिंदी ही पहचान।
हिंदी माता है हम सबकी,
हम इसकी संतान।
प्यारा हिंदी दिवस है अनुपम,
करें हृदय एहसास।
हिंदी हिंदुस्तान में,
भाषा सदा से खास।
इसकी गोदी परम सुखद अति,
सब भाषा के शब्द जहाँ हैं।
देशजऔर विदेश आकर,
आकर रमते, सदा यहाँ हैं।
अंग्रेजी- उर्दू व फारसी,
जब हिंदी में मिल जाती है।
ऋष्यमूक पर्वत निअराया,
तुलसीदास को भा जाती है।
हिंदी के कवि जग विख्यात,
तुलसी- सूर- निराला- पंत।
भक्ति- भावना, गौरव- गाथा
हिंदी में रच हुए संत।
वैयाकरणिक दृष्टि से भी,
अपनी हिंदी सहज- सरल है।
जो लिखते हैं वही बोलते,
शैली भी सुंदर व सरल है।
हिंदी ने सबको अपनाया,
इसका लहजा सबको भाया।
लेखन में है विश्व समाया,
शीतल-सुखद है इसकी छाया।
आओ हम संकल्प करें,
हिंदी बने विश्व की भाषा।
एक बार सबको ही बता दें,
हिंदी सबकी है आशा।
रचयिता:- महेश प्रसाद शर्मा
शिक्षाविद् बरेली ,मध्यप्रदेश
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