Hazaribagh Cryptocurrency घोटाला: 350 करोड़ के पोंजी स्कैम का चौंकाने वाला खुलासा

350 करोड़ के क्रिप्टोकरेंसी पोंजी घोटाले का खुलासा। हजारीबाग समेत 10 स्थानों पर सीबीआई की छापेमारी। नकद, डिजिटल संपत्ति और दस्तावेज जब्त। जानें कैसे चलाया गया यह हाई-प्रोफाइल स्कैम।

Jan 25, 2025 - 10:04
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Hazaribagh Cryptocurrency घोटाला: 350 करोड़ के पोंजी स्कैम का चौंकाने वाला खुलासा
Hazaribagh Cryptocurrency घोटाला: 350 करोड़ के पोंजी स्कैम का चौंकाने वाला खुलासा

क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया से जुड़े 350 करोड़ रुपये के पोंजी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। सीबीआई ने इस मामले में हजारीबाग समेत देशभर के 10 स्थानों पर छापेमारी की है। इस हाई-प्रोफाइल केस में सात आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इन पर निवेशकों को फर्जी योजनाओं से ठगने और अवैध तरीके से क्रिप्टोकरेंसी में धन बदलने का आरोप है।

कैसे काम करता था यह पोंजी घोटाला?

पोंजी स्कीम के तहत आरोपियों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश पर बड़ा मुनाफा देने का झांसा दिया। सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए इन योजनाओं का प्रचार किया गया। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य प्राधिकरणों की अनुमति के बिना इस स्कीम को संचालित किया जा रहा था।

सीबीआई की जांच में पता चला है कि आरोपियों के पास वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) और कई बैंक अकाउंट्स हैं। इन वॉलेट्स और खातों के माध्यम से दो सालों में 350 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन हुआ।

क्या-क्या मिला छापेमारी में?

सीबीआई ने झारखंड के हजारीबाग के अलावा दिल्ली, बठिंडा, रतलाम, वलसाड, पुडुकोट्टाई और चित्तौड़गढ़ में छापेमारी की। जांच के दौरान 34 लाख रुपये नकद और क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट में 38,414 अमेरिकी डॉलर की डिजिटल संपत्ति बरामद की गई। इसके अलावा,

  • सात मोबाइल,
  • एक लैपटॉप,
  • तीन हार्ड डिस्क,
  • 10 पेन ड्राइव,
  • एटीएम कार्ड,
  • और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए।

इन डिजिटल साक्ष्यों को फॉरेंसिक जांच के लिए सुरक्षित कर लिया गया है।

इतिहास में ऐसे पोंजी स्कैम का प्रभाव

पोंजी स्कैम का इतिहास 1920 के दशक तक जाता है, जब चार्ल्स पोंजी नामक व्यक्ति ने सबसे पहले निवेशकों को झूठे वादों के जरिए ठगा था। आधुनिक समय में यह स्कैम डिजिटल हो चुका है और क्रिप्टोकरेंसी इसका नया माध्यम बन गया है।

भारत में ऐसे घोटाले तेजी से बढ़ रहे हैं क्योंकि डिजिटल वॉलेट और क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता बढ़ रही है।

कैसे होती थी अवैध कमाई?

जांच में यह बात सामने आई कि आरोपी अवैध आय को क्रिप्टोकरेंसी में बदलते थे। यह पैसा ऑनलाइन धोखाधड़ी, लकी ऑर्डर स्कैम, यूपीआई फ्रॉड और इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से जुटाया गया।

इसके लिए CoinDCX, WazirX, Zebpay और Bitbns जैसे क्रिप्टो एक्सचेंज का इस्तेमाल किया गया।

निवेशकों के लिए क्या सबक है?

  • किसी भी निवेश योजना में शामिल होने से पहले उसकी प्रामाणिकता जांच लें।
  • आरबीआई या अन्य प्राधिकरणों द्वारा मान्यता प्राप्त योजनाओं में ही निवेश करें।
  • डिजिटल वॉलेट और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते समय सतर्क रहें।

सीबीआई की कार्रवाई जारी

सीबीआई इस मामले की गहन जांच कर रही है। अब तक मिले सबूतों से संकेत मिलता है कि इस घोटाले के और भी गहरे तार हो सकते हैं।

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