Halloween 2022: हैलोवीन क्या है, इसे हर साल क्यों मनाया जाता है | Best wishes, images, messages

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Nov 1, 2022 - 01:47
Aug 27, 2024 - 23:52
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Halloween 2022: हैलोवीन क्या है, इसे हर साल क्यों मनाया जाता है | Best wishes, images, messages
Halloween 2022: हैलोवीन क्या है, इसे हर साल क्यों मनाया जाता है | Best wishes, images, messages

Halloween 2022: हैलोवीन क्या है, इसे हर साल क्यों मनाया जाता है : दुनिया में हैलोवीन की शुरुआत सबसे पहले आयरलैंड और स्कॉटलैंड में हुई थी। 

हेलोवीन के अन्य नाम:

  • ऑल सेंट्स ईव
  • ऑल हैलोज ईव 
  • ऑल हैलोवीन 

हैलोवीन सबसे पहले कहां मनाया गया था?

दुनिया में हेलोवीन (Halloween 2022: हैलोवीन क्या है, इसे हर साल क्यों मनाया जाता है ) की शुरुआत सबसे पहले आयरलैंड और स्कॉटलैंड में हुए थे परंतु की लोकप्रियता दुनिया में लगातार जा रही है और कई देश के लोग उत्साह के साथ इस तरह मनाते हैं|

हैलोवीन क्या है?

हेलोवीन पश्चिमी देशों का त्यौहार है पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करना होता है परंतु आजकल ये इवेंट में बदल गया है आरसीएफ हेलो जी और हेलोवीन के नाम से जाना जाता है जिस तरह न्यू ईयर की पूर्व संध्या पर उत्सव शुरू होता है उसी तरह हेलोवीन 31 अक्टूबर शाम से शुरू हो जाता है

हैलोवीन 31 अक्टूबर को क्यों मनाया जाता है?

प्रत्येक वर्ष हेलोवीन (Halloween 2022: हैलोवीन क्या है, इसे हर साल क्यों मनाया जाता है) 31 को मनाया जाता है सेल्टिक कैलेंडर के अनुसार इसे साल का आखिरी दिन माना जाता है हेलोवीन मुख्य रूप से ईसाइयों द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है परंतु इसकी लोकप्रियता बढ़ने के कारण सभी धर्म के लोग इस त्यौहार को बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं

हैलोवीन पर डरावनी ड्रेस क्यों पहनी जाती हैं?

हेलोवीन को मनाने के लिए लोग खास तरह के हेलोवीन ड्रेस पहनते हैं ड्रेस का मतलब डरावनी कपड़े और डरावने मेकअप होते हैं किसानों द्वारा इसे फसल के मौसम में भूत और बुरी आत्माएं धरती पर आ सकती है और जो की फसलों को नुकसान पहुंचाती है इसलिए लोग उन्हें डराने के लिए डरावने कपड़े पहनते हैं हालांकि कपड़ों के बारे में कई कहानियां प्रचलित है|

हैलोवीन कैसे मनाया जाता है?

हेलोवीन (Halloween 2022: हैलोवीन क्या है, इसे हर साल क्यों मनाया जाता है) पढ़ लो एक दूसरे के घर जाते हैं तथा उन्हें शुभकामनाएं और मिठाइयां बांटते हैं के दिन लोग कादुकेन्ना आंख निकाल कर उसकी डरावनी मूर्ति बनाते हैं उसमें मोमबत्ती लगाते हैं अतः वह देखने में और भी डरावना लगता है हेलोवीन पार्टी के लोग डरावने परिधान और मेकअप पहन कर आते हैं लोग एक दूसरे के घर में सेलिब्रेट करते हैं|

भारत में इस पर्व को लेकर कई कंट्रोवर्सी भी हैं।


साल 2008 में डी के दौरान अमेरिकन पॉप स्टार हेइडी क्लम भारत में पूरी जाने वाली मां काली का रूप बनाकर सामने आई थी उनका यह रूप लेकर काफी विवाद हुआ और उन पर हिंदुओं का अपमान करने का भी आरोप लगा |

हेलोवीन मैं डरावनी कपड़े को लेकर कंट्रोवर्सीज हो चुके जिसमें भारत सऊदी अरब जापान और बहुत सारे देश जिनके कल्चर का अपमान करने के लिए हेलोवीन को बहुत सारे देशों में बहन भी किया गया है सऊदी अरब में कपड़े की वजह से इसे BAN किया गया था |

  • साल 2018 में सऊदी पुलिस ने रेड कर कई लोगों को हेलोवीन कनिका रूप में गिरफ्तार किया था परंतु इस बार प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने वहां इस पर्व को मनाने की छूट दी है
  • हेलोवीन में पहने जाने वाले कपड़ों पर जापान और कई दूसरे देशों के कल्चर का अपमान करके उन्हें नीचा दिखाने का भी आरोप लग चुका है|

अब दिल्ली और मुंबई में भी मनाया जाने लगा है हैलोवीन


भारत पश्चिमी देशों की सभ्यता को अपनाने में बहुत जल्दबाजी दिखा रहा है भारत में वैलेंटाइन डे और न्यू ईयर इवनिंग सेलिब्रेशन की तरह हेलो बिन भी मनाया जाने लगा है भारत के मुख्य शहर दिल्ली मुंबई कोलकाता मैं होटल रेस्टोरेंट में लोग अक्टूबर के आखिरी दिन हेलोवीन पर्व की हम स्वागत करते हैं|

भारत में हेलोवीन सेलिब्रेट करने को लेकर सोशल मीडिया और दूसरे प्लेटफार्म पर काफी बहस होती है इसे भारत में वेस्टर्न कल्चर की घुसपैठ के तौर पर देखा जाता है हेलोवीन मनाने का कल्चर केवल एलिट और अपर मिडिल क्लास तक सीमित है परंतु जिस तरह से अपना पांव भारत में पसार रहा है कुछ दिनों बाद यह भी एक हेलोवीन सप्ताह भारत में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाने लगेगा मैं बॉलीवुड के कलाकार भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं जिससे या आम लोगों तक आसानी से पहुंच जाता है| (Halloween 2022: हैलोवीन क्या है, इसे हर साल क्यों मनाया जाता है)

प्रेत आत्माओं से बचने के लिए कद्दू को घर के बाहर लटकाते हैं लोग


हैलोवीन पर्व को मनाने का तरीका दूसरे पर्वों से बिल्कुल अलग है। लोग अपने घरों के बाहर ‘जैक ओ लैंटर्न’ पेड़ों पर लटका देते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से प्रेत आत्मा दूर रहती है।

2 हजार साल से भी पहले हुई इस पर्व की शुरुआत


हेलोवीन पर्व को सबसे पहले करीब साल पहले यूरोप बेल्ट समुदाय के लोगों द्वारा मनाया गया था शुरुआत में इस पर्व को सम हीन के नाम से जाना जाता था इस पर्व को मनाने के पीछे यह तर्क देते हैं कि हत्या वार के दिन खेती किसानी सीजन का अंत होता है और साथ ही अंधेरी सर्दी की शुरुआत होती है जिसमें पूर्वजों की आत्मा अपने परिवार वालों से मिलने के लिए धरती पर आती है ऐसे में यह लोग आत्माओं का स्वागत पर अच्छे-अच्छे पकवान और फल खाने टेबल पर सजाते हैं ताकि आत्माएं खुश होकर उनकी फसल की रक्षा कर सकें और उनके परिवार पर आने वाली कष्ट और बता को खत्म कर सकें|

16वीं सदी में सेल्ट समुदाय के पर्व को नाम दिया गया 'हैलोवीन'


13 मई 609 ईसा पूर्व यानी आज से 2600 साल पहले पोप बोनिफेस IV ने ईसाइ शहीदों के सम्मान में ‘ऑल सेंट्स डे’ की शुरुआत की थी।

9वीं शताब्दी आते-आते ईसाइयों का प्रभाव सेल्टिक समुदाय पर बढ़ने लगा। इसका असर ये हुआ कि सेल्टिकों का ‘समहिन’ त्योहार और ‘ऑल सेंट्स डे’ एक साथ मर्ज हो गए। तब इन लोगों ने 31 अक्टूबर की शाम को मनाए जाने वाले इस भूत पर्व को हेजोल ईवनिंग का नाम दिया।

करीब 1700 साल पहले 16वीं सदी में इस त्योहार को पहली बार ‘हैलोवीन’ के नाम से जाना गया।

क्रिश्चियन के अलावा दूसरे धर्मों में हैलोवीन को लेकर क्या कहा गया है?


यहूदी: अमेरिकी लेखक अल्फ्रेड जे. कोलाच ने अपनी किताब ‘द ज्यूस बुक ऑफ व्हाई’ में लिखा है कि यहुदियों की पवित्र किताब ‘लैविटीकस 18:3’ में हैलोवीन पर्व मनाने की अनुमति नहीं है। हालांकि, इस समुदाय के कुछ प्रगतिशील लोगों का मानना है कि हैलोवीन नहीं मनाने की बात किसी धार्मिक ग्रंथों में नहीं लिखी गई है।

इस्लाम: शेख इदरीश पामर ने अपनी किताब ‘ए ब्रीफ इलस्ट्रेटेड गाइड टु अंडरस्टैंडिंग इस्लाम’ में लिखा है कि मुस्लिमों को हैलोवीन नहीं सेलिब्रेट करना चाहिए। नेशनल फतवा काउंसिल ऑफ मलेशिया ने भी इसे हराम बताया है। इसके पीछे तर्क है कि भूत-पिशाच बनकर मरे हुए लोगों का मजाक उड़ाया जाता है। हालांकि, भारत में मुस्लिम लोग जो शब-ए-बारात पर्व मनाते हैं। इस दिन मृत लोगों की कब्रों पर उनके परिवार के लोग रोशनी करके दुआ मांगते हैं।

हिन्दू: हिन्दू धर्म में भी मृत पूर्वजों की पूजा की जाती है। पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करते हैं। गरूड़ पुराण में मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ नहीं किए जाने पर पूर्वजों के प्रेत-योनि में पैदा होने की बात कही जाती है। हमारे रिसर्च में हिंदुओं के इस पर्व में हिस्सा नहीं लेने की बात का जिक्र कहीं नहीं मिला है।

बौद्ध: जीएमओरिसर्च वेबसाइट दावा करती है कि बौद्ध धर्म में चीनी कैलेंडर के सातवें महीने में शुरुआती 14 दिन पूर्वजों के मृत आत्माओं की पूजा की जाती है। यही वजह है कि चीन में भी हैलोवीन पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।