गुरु का स्थान सबसे ऊंचा: चक्रधरपुर ब्रह्माकुमारिज पाठशाला में मनाया गया शिक्षक दिवस

चक्रधरपुर ब्रह्माकुमारिज पाठशाला में शिक्षक दिवस के अवसर पर 'गुरु का स्थान सबसे ऊंचा' कार्यक्रम का आयोजन, परम शिक्षक परमात्मा और सभी गुरुओं को किया गया सम्मान।

Sep 5, 2024 - 15:38
Sep 5, 2024 - 15:41
गुरु का स्थान सबसे ऊंचा: चक्रधरपुर ब्रह्माकुमारिज पाठशाला में मनाया गया शिक्षक दिवस
गुरु का स्थान सबसे ऊंचा: चक्रधरपुर ब्रह्माकुमारिज पाठशाला में मनाया गया शिक्षक दिवस

चक्रधरपुर के ब्रह्माकुमारिज पाठशाला परिसर में गुरुवार को शिक्षक दिवस का आयोजन हुआ, जहां उपस्थित लोगों ने गुरु और शिक्षकों के प्रति अपना आदर व्यक्त किया। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय था "गुरु का स्थान सबसे ऊंचा, गुरु के बिना कोई न दूजा," जो गुरु के महत्त्व और उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।

कार्यक्रम की शुरुआत

कार्यक्रम का प्रारंभ ब्रह्माकुमारिज पाठशाला की संचालिका, बीके मानिनि बहन, के द्वारा परमात्म महावाक्य पाठ से हुआ। इस मौके पर बड़ी संख्या में राजयोग प्रशिक्षु उपस्थित थे। संचालिका बीके मानिनि ने अपने संबोधन में कहा कि परमपिता शिव हमारे गुरु के साथ-साथ परम शिक्षक भी हैं। वे हमें जीवन के सही और गलत के बीच अंतर सिखाते हैं और आत्मनिर्भर तथा सशक्त बनने की प्रेरणा देते हैं।

शिक्षा का महत्त्व

बीके मानिनि ने इस बात पर जोर दिया कि सही आचरण और नियमित परिश्रम से ही इंसान सफल होता है। उन्होंने सभी प्रशिक्षुओं से शिक्षा और सीखने के वातावरण को सहयोगात्मक बनाने का आग्रह किया। उनके अनुसार, हर रोज़ की शिक्षा हमारी कल्पना को प्रज्वलित करती है और हमें जीवन के हर कदम पर मार्गदर्शन देती है।

गुरुओं को सम्मान

इस अवसर पर परम शिक्षक परमात्मा के साथ-साथ सभी शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट किया गया। "सत गुरुवार" के उपलक्ष्य में परमात्मा को भोग भी अर्पित किया गया। इसके अलावा, वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षु संगीता द्वारा पाठशाला की संचालिका बीके मानिनि को अंगवस्त्र, गुलदस्ता और सौगात देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की समाप्ति

कार्यक्रम का समापन प्रसाद वितरण के साथ हुआ। इस आयोजन को सफल बनाने में गीता, वीना, सुशीला, सुमित्रा, बालेमा, रीता, नर्गेश, सुलेखा, इंदिरा, आशा, सुनीता, राम भरत, राजेश, ओडेया, राजू और दीपु सहित अन्य राजयोग प्रशिक्षुओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

शिक्षक दिवस का यह आयोजन न केवल गुरुओं के प्रति आदर प्रकट करने का अवसर था, बल्कि यह जीवन में शिक्षा के महत्त्व को भी रेखांकित करता है। गुरु हमें केवल ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि हमारे जीवन को सही दिशा में ले जाने का मार्ग भी दिखाते हैं।

Chandna Keshri मैं स्नातक हूं, लिखना मेरा शौक है।