अर्जुन मुंडा के निवास पर उमड़ी गोंड समाज की भीड़, काली मां का प्रसाद ग्रहण कर किया सम्मानित!
जमशेदपुर में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के निवास पर गोंड समाज की बड़ी संख्या में उपस्थिति, माँ काली का प्रसाद ग्रहण और पारंपरिक पीले अंगवस्त्र से सम्मान। जानिए इस भावुक समारोह की पूरी कहानी।
जमशेदपुर में एक खास अवसर पर केंद्रीय मंत्री और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा का निवास एक अनोखी सभा का केंद्र बन गया। इस रविवार, अखिल भारतीय गोंड आदिवासी संघ के जिला अध्यक्ष दिनेश साह के नेतृत्व में गोंड समाज के महिला और पुरुष बड़ी संख्या में अर्जुन मुंडा जी और उनकी पत्नी मीरा मुंडा जी के निवास पर पहुंचे। मुख्य उद्देश्य था माँ काली का प्रसाद ग्रहण करना और केंद्रीय मंत्री को सम्मानित करना।
गोंड आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपरा का एक प्रमुख हिस्सा है सामूहिक एकता और नेतृत्व को सम्मान देना। इसी भावना के तहत गोंड समाज ने अर्जुन मुंडा जी को उनके सामाजिक योगदान और आदिवासी समाज के प्रति उनके प्रेम के लिए पीले अंगवस्त्र से सम्मानित किया। पीले रंग का यह पारंपरिक वस्त्र गोंड समाज में आदर और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर दिनेश साह और महिला समिति की महासचिव अम्बे ठाकुर ने अर्जुन मुंडा जी और मीरा मुंडा जी को अंगवस्त्र पहनाकर आभार व्यक्त किया।
अर्जुन मुंडा का संबोधन और समाज के प्रति प्रेम
इस दौरान अर्जुन मुंडा ने गोंड समाज के प्रति अपना गहरा स्नेह और सम्मान प्रकट किया। उन्होंने कहा, "गोंड समाज के लोग जमशेदपुर में बड़ी संख्या में रहते हैं, और यह मेरे लिए गर्व की बात है कि आपने मुझे यह सम्मान दिया। आप सभी कभी भी मेरे निवास पर आ सकते हैं, मैं हमेशा गोंड समाज के साथ खड़ा हूं।" अर्जुन मुंडा ने अपनी बातों में आदिवासी समुदाय की शक्ति और एकजुटता की सराहना की और कहा कि वह हमेशा उनके हितों के लिए तत्पर रहेंगे।
गोंड समाज का इतिहास और काली पूजा का महत्व
गोंड समाज का भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। मुख्यतः मध्य भारत में बसे इस आदिवासी समाज का झारखंड और खासकर जमशेदपुर में एक गहरी जड़ है। उनकी सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक रीति-रिवाज, और त्योहार उनके समाज के जीवंत पहलुओं का प्रतिबिंब हैं। माँ काली की पूजा इस समाज में विशेष महत्व रखती है, और यह आयोजन उनके धार्मिक उत्साह का उदाहरण है। माँ काली को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है, और उनके प्रसाद को ग्रहण करना एक पवित्र क्रिया मानी जाती है, जिससे समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है।
सामाजिक एकता और लोगों का उत्साह
इस अवसर पर गोंड समाज के लोगों में उत्साह देखने लायक था। महिलाएं और पुरुष, सभी पारंपरिक परिधान में सज-धज कर इस सभा में पहुंचे थे। उनकी एकता और संकल्प इस बात का प्रतीक है कि समाज अपने नेतृत्व का कितना सम्मान करता है और कैसे वह अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए है। प्रमुख रूप से हरियाणा प्रसाद, मुन्ना लाल, राम बचन ठाकुर, मनोज प्रसाद, ललन साह, उमेश साह, अहिल्या देवी, अंजु देवी, और सोहन साह जैसे समाज के जाने-माने लोग इस कार्यक्रम में शामिल थे।
अर्जुन मुंडा जी के निवास पर पहुँचे समाज के लोगों ने माँ काली का प्रसाद ग्रहण किया और पूरे आयोजन को खुशी-खुशी मनाया। यह आयोजन केवल सम्मान और आदर का नहीं था, बल्कि गोंड समाज के आत्म-सम्मान और आदिवासी समुदाय की एकता का प्रतीक था। यह सभा इस बात का उदाहरण थी कि कैसे गोंड समाज अपनी परंपरा और संस्कृति को जीवंत रखता है और सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।
अर्जुन मुंडा जैसे नेता, जो हमेशा से आदिवासी समाज के हितों के प्रति समर्पित रहे हैं, उनके प्रति गोंड समाज का यह सम्मान यह दर्शाता है कि उनका योगदान उनके दिलों में विशेष स्थान रखता है।
What's Your Reaction?