Godda Death Case : मजदूरी करने गए इरशाद मंसूरी की मुंबई में मौत, शव लाने के लिए चंदा जुटा रहा परिवार

गोड्डा के इरशाद मंसूरी की मुंबई में मजदूरी करते वक्त मौत, शव लाने के लिए परिवार जुटा रहा है चंदा। जानिए इस दिल दहला देने वाली घटना के बारे में।

Dec 23, 2024 - 10:48
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Godda Death Case : मजदूरी करने गए इरशाद मंसूरी की मुंबई में मौत, शव लाने के लिए चंदा जुटा रहा परिवार
गोड्डा: मजदूरी करने गए इरशाद मंसूरी की मुंबई में मौत, शव लाने के लिए चंदा जुटा रहा परिवार

झारखंड के गोड्डा जिले के महागामा प्रखंड स्थित कोयला गांव के इरशाद मंसूरी की दर्दनाक मौत ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। इरशाद मंसूरी, जो सिर्फ 30 वर्ष के थे, अपनी किस्मत आजमाने और परिवार की जीविका चलाने के लिए मुंबई गए थे। एक महीने तक मेहनत करने के बाद उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

काम के लिए मुंबई गए इरशाद मंसूरी

इरशाद मंसूरी अपने परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य थे। वे महागामा प्रखंड के कोयला गांव से मुंबई गए थे, जहां उन्होंने निर्माण कार्य में मजदूरी शुरू की थी। पहले महीने में ही उनकी सेहत में अचानक गिरावट आई। इरशाद के दोस्तों का कहना है कि इरशाद सुबह काम पर गए थे, जहां उनकी तबीयत बिगड़ी और वह बेहोश होकर गिर पड़े। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

परिवार में कोहराम, शव लाने के लिए जुटाना पड़ा चंदा

जब इरशाद की मौत की खबर उनके घर पहुंची, तो वहां कोहराम मच गया। उनकी मां का रो-रोकर बुरा हाल था, जो अपने बेटे को खोने के गम में डूबी हुई हैं। इरशाद मंसूरी का परिवार बेहद गरीब है, और वह उनका सहारा थे। अब परिवार को उनकी अचानक मौत के बाद जीवन यापन की चिंता सता रही है।

इरशाद के परिवार ने सरकारी मदद के लिए कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई, लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। इस कठिन परिस्थिति में, परिवार ने अपनी एकमात्र उम्मीद चंदा के रूप में देखी। इरशाद के शव को मुंबई से कोलकाता लाने के लिए करीब एक लाख रुपये की व्यवस्था करनी पड़ी, जो इस गरीब परिवार के लिए बहुत बड़ा बोझ बन गया। हालांकि, अब शव को कोलकाता से एंबुलेंस के द्वारा कोयला गांव भेजा जा रहा है।

सरकार और समाज से मदद की अपील

यह घटना महागामा प्रखंड के लिए एक दुखद घटना साबित हुई है, क्योंकि यहां के गरीब परिवारों के लिए सरकारी सहायता का अभाव साफ देखा जा सकता है। सरकार की ओर से कोई ठोस कदम उठाए बिना यह स्थिति निरंतर बनी रहती है। बावजूद इसके, इरशाद मंसूरी के परिवार के लिए समाज के कुछ लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं, लेकिन यह स्थिति इस बात को साबित करती है कि गरीबों के लिए सरकारी और सामाजिक सहायता की आवश्यकता है।

मजदूरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर सवाल

इरशाद मंसूरी की मौत न सिर्फ उनके परिवार के लिए एक अपूरणीय क्षति है, बल्कि यह उन लाखों मजदूरों के लिए भी एक बड़ा सवाल है जो देश के विभिन्न हिस्सों में काम करने जाते हैं। यह घटना यह साबित करती है कि इन मजदूरों की स्वास्थ्य सुरक्षा, काम के दौरान दुर्घटनाओं की रोकथाम और उनकी भलाई के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। क्या सरकार और सामाजिक संगठन इन मजदूरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कोई कदम उठाएंगे?

मजदूरी के लिए जाने वाले लोगों की मुश्किलें

यह घटना यह भी दर्शाती है कि कैसे गरीब और श्रमिक वर्ग के लोग बेहतर जीवन की तलाश में बाहर जाते हैं, लेकिन उनकी जिंदगी की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस इंतजाम नहीं होते। ऐसे मजदूरों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं, सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नए कदम उठाए जाने चाहिए।

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