Giridih Accident: शादी में आई मासूम को रौंद गया पिकअप, पैर हुआ छलनी!
गिरिडीह के मंझने गांव में मामा की शादी में आई 8 साल की बच्ची को तेज रफ्तार बोलेरो पिकअप ने कुचल दिया। बच्ची गंभीर रूप से घायल, पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त। गांववालों ने वाहन को पकड़ा, पुलिस जांच में जुटी।

गिरिडीह: झारखंड के गिरिडीह ज़िले के गावां थाना क्षेत्र से मंगलवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। मंझने गांव में एक अनियंत्रित बोलेरो पिकअप वाहन ने 8 साल की मासूम बच्ची को कुचल दिया। हादसे के बाद गांव की खुशियां चीखों में बदल गईं, क्योंकि यह बच्ची अपने मामा की शादी में शामिल होने आई थी।
सायिना परवीन, जो सतगावां के बजनिया गांव निवासी मो. रहीम अंसारी की बेटी है, अपने परिवार के साथ शादी के उत्सव में मंझने गांव पहुंची थी। लेकिन मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे एक तेज रफ्तार और लापरवाह पिकअप ने उसे जोरदार टक्कर मार दी, जब वह अपने घर के बाहर खड़ी थी।
शादी की सजावटों के बीच गूंज उठी दर्द भरी चीख
जिस वक्त गांव में शादी की तैयारियाँ चल रही थीं, बच्चे खेल रहे थे, महिलाएं गीत गा रही थीं—उसी दौरान एक बिना कंट्रोल के पिकअप वाहन, जो बिहार की ओर जा रहा था, बच्ची को रौंदता हुआ निकल गया। टक्कर इतनी जोरदार थी कि सायिना का एक पैर बुरी तरह कुचला गया।
घटना के तुरंत बाद गांव के लोग इकट्ठा हो गए और मासूम को तुरंत गावां अस्पताल पहुंचाया गया। वहां डॉ. काज़िम खान ने प्राथमिक इलाज के बाद बच्ची को धनबाद रेफर कर दिया, क्योंकि उसकी हालत बेहद नाज़ुक बताई जा रही है।
गांववालों की सतर्कता से पकड़ा गया आरोपी वाहन
दुर्घटना के बाद जब ग्रामीणों ने देखा कि बच्ची बुरी तरह घायल है, तो उन्होंने बिना देर किए दुर्घटनाग्रस्त पिकअप वाहन को पकड़ लिया। चालक मौके से फरार हो गया, लेकिन वाहन को गांववालों ने गावां थाना को सौंप दिया।
थाना प्रभारी अभिषेक सिंह ने बताया कि वाहन को जब्त कर लिया गया है और मामले की जांच की जा रही है। FIR दर्ज कर ली गई है, और चालक की तलाश की जा रही है।
इतिहास गवाह है, ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क हादसे बनते जा रहे हैं आम
झारखंड के ग्रामीण इलाकों में पिछले कुछ वर्षों में सड़क हादसों की संख्या तेजी से बढ़ी है। विशेषकर शादी-विवाह और त्योहारों के समय जब गांवों में बाहर से आने-जाने वालों की संख्या बढ़ जाती है, तो दुर्घटनाओं का खतरा और भी अधिक हो जाता है।
सरकार द्वारा चलाई जा रही सड़क सुरक्षा योजनाएं और वाहनों की चेकिंग सिर्फ कागज़ों तक सीमित नज़र आती हैं। ग्रामीण सड़कों पर वाहनों की रफ्तार पर कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसे में यह घटना न सिर्फ एक बच्ची के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है।
क्या कहता है कानून?
वाहन चलाते समय लापरवाही, विशेषकर यदि उससे किसी की जान या अंगों को नुकसान पहुंचता है, तो IPC की धारा 279, 337 और 338 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। अगर नाबालिग घायल हो और चोट गंभीर हो, तो सजा और अधिक सख्त हो सकती है।
क्या है समाधान?
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गांवों में स्पीड ब्रेकर बनवाना जरूरी है
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शादी या किसी बड़े आयोजन के समय सड़क सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति
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सभी पिकअप और भारी वाहनों की रूटिन चेकिंग
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चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की जांच
सायिना की हालत गंभीर लेकिन हिम्मत ज़िंदा है
फिलहाल सायिना की हालत गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों की टीम इलाज में जुटी हुई है। परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि उनकी बेटी जल्दी ठीक हो जाएगी। गांववालों ने भी एक स्वर में प्रशासन से मांग की है कि ऐसे लापरवाह चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
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