Giridih Clash: सरकारी अफसर और JMM नेता में तकरार, बंधक बनाकर मारपीट का सनसनीखेज आरोप!

गिरिडीह में सरकारी जमीन की मापी को लेकर बड़ा विवाद! सीओ और झामुमो नेता आमने-सामने, मारपीट और बंधक बनाने के आरोप। जानिए पूरा मामला!

Feb 18, 2025 - 11:11
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Giridih Clash: सरकारी अफसर और JMM नेता में तकरार, बंधक बनाकर मारपीट का सनसनीखेज आरोप!
Giridih Clash: सरकारी अफसर और JMM नेता में तकरार, बंधक बनाकर मारपीट का सनसनीखेज आरोप!

गिरिडीह में सरकारी जमीन की मापी को लेकर बड़ा हंगामा खड़ा हो गया है। सदर अंचल के सीओ मो. असलम और झामुमो नेता इरशाद अहमद वारिस के बीच विवाद ने राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में सनसनी फैला दी है। आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच मामला इतना बढ़ गया कि पुलिस तक शिकायतें पहुंच गईं, लेकिन अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है।

इस पूरे मामले में कौन सही और कौन गलत, इसका फैसला तो जांच के बाद होगा, लेकिन फिलहाल दोनों पक्षों की तरफ से लगाए गए आरोपों ने पूरे गिरिडीह को चौंका दिया है। सरकारी जमीन की मापी करने गए सीओ पर झामुमो नेता ने बंधक बनाकर मारपीट करने का आरोप लगाया, वहीं सीओ ने नेता पर दुर्व्यवहार और धमकी देने की शिकायत दर्ज कराई।

कैसे शुरू हुआ बवाल? जानिए पूरा मामला!

रविवार को जब सीओ मो. असलम सरकारी अवकाश के बावजूद अपने सरकारी आवास पर थे, तभी झामुमो नेता इरशाद अहमद वारिस वहां पहुंचे। आरोप है कि उन्होंने सीओ से दुर्व्यवहार किया, धक्का-मुक्की की और जान से मारने की धमकी दी। वहीं, इरशाद अहमद का दावा है कि वह म्यूटेशन से जुड़ी एक शिकायत को लेकर सीओ के पास गए थे, लेकिन वहां उनके साथ बदसलूकी हुई।

इरशाद का कहना है कि जब उन्होंने सीओ से म्यूटेशन प्रक्रिया पर सवाल किया, तो उन्हें सरकारी आवास पर बुलाया गया। वहां पर 25,000 रुपये प्रति केवाला रिश्वत मांगी गई। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उन्हें पकड़कर पीटा गया और बंधक बना लिया गया। इरशाद का यह भी दावा है कि उनका सोने का चेन छीन लिया गया।

सरकारी जमीन के घोटाले का बड़ा मामला?

इस विवाद की जड़ में गिरिडीह के बिशनपुर मौजा की वह जमीन है, जिसे सरकारी रिकॉर्ड में गैरमजरूआ यानी सरकारी भूमि के रूप में दर्ज किया गया है। सीओ मो. असलम के मुताबिक, इस जमीन को अवैध तरीके से प्लॉट बनाकर बेचा जा रहा था। डीसी के आदेश पर जब प्रशासन ने इसकी जांच शुरू की, तो झामुमो नेता ने आपत्ति जताई।

60 एकड़ जमीन पर कब्जे का आरोप, प्रशासन ने शुरू की जांच

सरकार की जमीन पर अवैध कब्जे के इस मामले में सीओ ने बिशनपुर मौजा के करीब 60 एकड़ गैरमजरूआ जमीन की पहचान कर जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। इस जमीन को छोटे-छोटे प्लॉट्स में काटकर बेचा जा रहा था।

अमीन अजय यादव की टीम ने मौके पर जाकर सर्वे किया और पाया कि प्लॉट नंबर 649 समेत कई अन्य प्लॉट्स पर अवैध निर्माण हो रहा है। इनमें से कुछ हिस्सों पर बाउंड्री वॉल भी खड़ी कर दी गई है। प्रशासन ने अब इन सभी मामलों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी शुरू कर दी है और अवैध कब्जेधारियों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।

अब तक FIR दर्ज नहीं, पुलिस जांच के नाम पर चुप!

इस पूरे मामले को 24 घंटे से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन अभी तक पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है। इस विवाद में राजनीतिक हस्तक्षेप भी देखने को मिल रहा है। गिरिडीह के एसडीपीओ जीतवाहन उरांव का कहना है कि मामले की जांच चल रही है और सबूतों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई होगी।

राजनीतिक हलकों में बढ़ी हलचल, JMM ने जांच की मांग की

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि पार्टी इस पूरे मामले की जांच अपने स्तर पर करेगी। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को मर्यादा में रहकर व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने संकेत दिए कि यदि जरूरत पड़ी, तो पार्टी अपने स्तर पर एक जांच कमेटी गठित करेगी और सच्चाई सामने लाएगी।

अफसर बनाम नेता की लड़ाई या भ्रष्टाचार का सच?

यह मामला अब सिर्फ एक प्रशासनिक विवाद नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक रंग भी ले चुका है। अगर सीओ के आरोप सही हैं, तो सरकारी अफसरों को धमकाने का गंभीर मामला है। वहीं, अगर झामुमो नेता के आरोप सही हैं, तो यह सरकारी अफसरों द्वारा भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला हो सकता है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन और सरकार इस पूरे विवाद पर क्या फैसला लेती है। क्या सीओ को धमकाने के आरोप सही साबित होंगे, या फिर भ्रष्टाचार के आरोपों में कोई नया मोड़ आएगा? गिरिडीह के लोग इस पूरे मामले में सच का इंतजार कर रहे हैं।

गिरिडीह में सरकारी जमीन की मापी और अवैध कब्जे के इस मामले में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सीओ और झामुमो नेता के आरोप-प्रत्यारोप से मामला और भी पेचीदा हो गया है। अब देखना होगा कि पुलिस की जांच में क्या सामने आता है और सरकार इस मामले को किस तरह से हैंडल करती है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।