ग़ज़ल - सुरेश सचान पटेल जी

Jul 16, 2024 - 15:55
Jul 23, 2024 - 10:39
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ग़ज़ल - सुरेश सचान पटेल जी
ग़ज़ल - सुरेश सचान पटेल

।।ग़ज़ल।।

देख कर  मुस्कुराना, बेवजह  तो  नहीं।
वह नजरों का इशारा, बेवजह तो नहीं।

वो आए  हैं दर  पे,  मेरे  आज  क्यों,
उनका आना कोई, बेवजह  तो नहीं।

देख करके मुझे, तिरछी नजरों से उनका,
धीरे- धीरे  मुस्कुराना,  बेवजह  तो  नहीं।

रात  को  नींद उनको, क्यो  आती  नहीं,
देख कर  गुन गुनाना, बेवजह  तो  नहीं।

गुलाब लेकर के करते, इंतजार किसका,
रोज  रास्ते में  मिलना, बेवजह  तो नहीं।

छत में जाते हैं वो, क्यों चांँद को देखने,
देख  शीटी  बजाना, बेवजह  तो  नहीं।

नजर उनकी मेरी खिड़की, पर रहती है क्यो,
इंतजार खिड़की खुलने का, बेवजह तो नहीं।

सज धज कर उनका यूं,गली से गुजरना।
मुझसे टकराना गली में, बेवजह तो नहीं।

।।रचित द्वारा।।
सुरेश सचान पटेल जी
पनियांमऊ,पुखरायां
कानपुर, उत्तर प्रदेश

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Chandna Keshri चंदना केशरी, जो गणित-विज्ञान में इंटरमीडिएट हैं, स्थानीय खबरों और सामाजिक गतिविधियों में निपुण हैं।