Ghatshila Water Crisis: गांव में पानी की किल्लत से हाहाकार, 4 में से 3 जलमीनारें ठप
घाटशिला के चालकडीह गांव में 4 में से 3 जलमीनारें खराब, 250 परिवारों पर गहराया पानी संकट। सरकार और प्रशासन बेखबर, जानिए पूरी खबर।
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घाटशिला के चालकडीह गांव में पेयजल संकट ने विकराल रूप ले लिया है। यहां बनी चार जलमीनारों में से तीन पूरी तरह खराब हो चुकी हैं, जिससे 250 से अधिक परिवारों को पानी के लिए जूझना पड़ रहा है।
गांव के लोगों ने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
गर्मी के दिनों में हालात और भी खराब हो सकते हैं।
सरकार और प्रशासन के दावों की पोल खुल गई है, लेकिन कोई समाधान नहीं दिख रहा।
गांव में पानी का संकट, टूटी जलमीनारें बनी परेशानी
चालकडीह गांव की चार जलमीनारों में से तीन खराब पड़ी हैं।
सोलर पैनल चालित जलमीनार पूरी तरह गिर चुकी है।
हनुमान मंदिर के पास वाली जलमीनार आंधी में टूट गई, लेकिन अब तक मरम्मत नहीं हुई।
श्याम बेहरा के घर के पास बनी जलमीनार भी ध्वस्त हो गई है।
कालिंदी बस्ती क्लब के पास वाली जलमीनार भी खराब पड़ी है।
अब पूरा गांव सिर्फ एक जलमीनार के भरोसे है, जिससे 250 परिवारों को पानी मिल पाना नामुमकिन सा हो गया है।
चापाकल भी खराब, आखिर पानी लाएं तो कहां से
गांव के कई चापाकल भी खराब पड़े हैं, जिससे पानी की समस्या और गंभीर हो गई है।
गांव में दो वार्ड और करीब 1000 वोटर हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाएं नदारद हैं।
लोगों को दूर-दराज से पानी लाना पड़ रहा है, जिससे उनका जीवन मुश्किल हो गया है।
शिकायत कर-कर के थक चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं – उप मुखिया
गांव के उप मुखिया शंकर बेहरा का कहना है कि –
"हम पंचायत की हर बैठक में जलमीनारों की मरम्मत की मांग उठाते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती।"
"जल स्वच्छता विभाग के कनीय अभियंता को कई बार लिखित शिकायत दी, लेकिन कोई पहल नहीं हुई।"
आखिर ऐसा कब तक चलेगा? क्या प्रशासन की जिम्मेदारी सिर्फ चुनाव के समय तक ही सीमित है?
जल संकट का इतिहास – कब सुधरेगा सिस्टम
भारत में गांवों में जल संकट की समस्या नई नहीं है।
1986 में केंद्र सरकार ने 'राष्ट्रीय पेयजल मिशन' शुरू किया था, जिसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ पानी पहुंचाना था।
2009 में 'राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम' लाया गया, फिर भी हालात जस के तस बने रहे।
झारखंड जैसे राज्यों में गर्मी के दिनों में जल संकट विकराल हो जाता है।
2020 में जल शक्ति मंत्रालय ने 'हर घर जल योजना' चलाई, लेकिन इसका असर गांवों में देखने को नहीं मिल रहा।
‘बस एक जलमीनार लगेगी’ – क्या यह पर्याप्त होगा
गांव के मुखिया प्रफुल्लो हांसदा ने कहा कि –
"हम समस्या से वाकिफ हैं, गर्मी को देखते हुए एक जलमीनार लगाने का फैसला लिया गया है।"
"जल्द ही बस्ती में एक जलमीनार दी जाएगी।"
लेकिन सवाल यह उठता है कि जब चार जलमीनारें भी पर्याप्त नहीं थीं, तो सिर्फ एक जलमीनार से समस्या कैसे हल होगी?
क्या यह सिर्फ लोगों को शांत करने के लिए दिया गया एक बयान है, या फिर प्रशासन वाकई इस समस्या को हल करने के लिए गंभीर है?
ग्रामीणों में आक्रोश, समाधान कब
गांव में पानी की किल्लत को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
लोगों का कहना है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
प्रशासन को अब जल्द से जल्द इस समस्या का हल निकालना होगा, वरना हालात और बिगड़ सकते हैं।
क्या सरकार और प्रशासन इस गंभीर समस्या का समाधान निकालेंगे, या फिर ग्रामीण यूं ही पानी के लिए तरसते रहेंगे? जुड़े रहें, हर अपडेट के लिए।
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