स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ लगे गंभीर आरोप, न्यायिक जांच की मांग
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर लगे आरोपों के बीच, उनकी छवि पर सवाल उठ रहे हैं। जानिए क्या है पूरा मामला और क्या हुई कार्रवाई।
8 अक्टूबर 2024: झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ एक एफआईआर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसे गुप्ता फर्जी बता रहे हैं। इस मामले में राँची के पुलिस अधीक्षक (नगर) ने कहा है कि इसकी जांच की जा रही है। दूसरी ओर, गुप्ता के समर्थक ने जमशेदपुर में तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। गुप्ता का आरोप है कि उनके समर्थक उन्हें इस मामले में लपेटना चाहते हैं। उन्होंने मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।
इससे पहले, अप्रैल 2023 में, स्वास्थ्य मंत्री का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह एक महिला के साथ अश्लील बातचीत करते दिखाई दिए थे। उस समय उन्होंने खुद एफआईआर दर्ज कराई थी, लेकिन अब तक मामले का कोई ठोस नतीजा नहीं आया है। विधायक ने आरोप लगाया कि यह एफआईआर भी ठंडे बस्ते में चली जाएगी।
विधायक ने यह भी कहा कि मंत्री बन्ना गुप्ता खुद को बैकवर्ड बताकर सहानुभूति हासिल करना चाहते हैं। उन्होंने पिछले एक महीने में जमशेदपुर में लगभग 100 गरीब फुटपाथ दुकानदारों का आशियाना तोड़वाया। इनमें से अधिकांश लोग पिछड़ा वर्ग से हैं।
गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने कोविड महामारी के दौरान आदित्यपुर में एक अस्पताल को बंद करा दिया। अस्पताल के मुख्य चिकित्सक डॉ. ओ.पी. आनन्द को भी जेल भेजा गया। विधायक ने कहा कि डॉ. आनन्द का मामला कोर्ट में गया और उन्हें न्याय मिला।
मंत्री पर यह भी आरोप है कि उन्होंने जमशेदपुर के कई अस्पतालों पर दबाव डाला और उन्हें बंद कराया। उन्होंने आरोप लगाया कि बन्ना गुप्ता ने जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल का प्रबंधन अपने नियंत्रण में रख लिया है।
विधायक ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्यमंत्री को झांसे में रखकर अपूर्ण एमजीएम कॉलेज अस्पताल में ओपीडी का उद्घाटन कराया, जबकि वहां पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
विधायक ने कहा कि केवल जमशेदपुर नहीं, बल्कि पूरे राज्य के अस्पतालों में अव्यवस्था है। मरीजों को सही चिकित्सा नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि मंत्री बन्ना गुप्ता राजनीति को रोजगार समझते हैं और अवैध कमाई कर रहे हैं।
इस मामले में जब तक न्यायिक जांच नहीं होगी, तब तक स्थिति साफ नहीं होगी। विधायक ने कहा कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में जल प्रदूषण की स्थिति को उजागर किया था, लेकिन सरकार ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
अब देखना होगा कि क्या सरकार इस मामले में उचित कार्रवाई करती है या यह मामला भी पहले की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
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