पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन: एक युग का अंत | Manmohan singh passed away at 92

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन। जानिए उनकी जीवन यात्रा, सुधारवादी दृष्टिकोण और भारतीय राजनीति में उनके योगदान के बारे में। अभी पढ़ें।"

Dec 26, 2024 - 22:27
Dec 26, 2024 - 22:44
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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन: एक युग का अंत | Manmohan singh passed away at 92
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन: एक युग का अंत | Manmohan singh passed away at 92

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन: एक युग का अंत

भारत ने अपने सबसे सम्मानित नेताओं में से एक, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को खो दिया है। गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। एम्स के सूत्रों के अनुसार, उनकी स्थिति गंभीर थी और एक बहु-विशेषज्ञों की टीम उनका इलाज कर रही थी। हालांकि, अस्पताल में भर्ती होने के पीछे की सटीक वजह का तुरंत खुलासा नहीं हुआ।

भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री

डॉ. मनमोहन सिंह न केवल भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री थे, बल्कि उन्होंने देश को आर्थिक और सामाजिक सुधारों के जरिए नई दिशा दी। 1991 में असम से राज्यसभा के सदस्य के रूप में उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई। उसी साल उन्हें पीवी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया।

वित्त मंत्री के रूप में, उन्होंने 1991 में ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसने भारत की दशकों पुरानी संरक्षणवादी नीतियों को समाप्त कर दिया। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर ले जाने की नींव रखी। उनका प्रसिद्ध कथन, “एक विचार जिसका समय आ गया है, उसे दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती,” आज भी उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण है।

प्रधानमंत्री के रूप में ऐतिहासिक कार्यकाल

डॉ. सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की। उनके कार्यकाल में मनरेगा, शिक्षा का अधिकार और भारत-अमेरिका परमाणु समझौते जैसी ऐतिहासिक योजनाएं शुरू की गईं। हालांकि, उन्हें राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हमेशा संयम और गरिमा के साथ परिस्थितियों को संभाला।

उनकी आखिरी संसदीय टिप्पणी नोटबंदी पर थी, जिसमें उन्होंने इसे "कानूनी रूप से स्वीकृत छापा" करार दिया और इसके विनाशकारी प्रभावों की चेतावनी दी।

व्यक्तिगत जीवन और संघर्ष

26 सितंबर 1932 को पंजाब के गाह गांव (अब पाकिस्तान) में जन्मे डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन संघर्ष और मेहनत की कहानी है। उन्होंने कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसे वैश्विक संगठनों में सेवा की।

उनका पारिवारिक जीवन भी प्रेरणादायक था। उनकी पत्नी गुरशरण कौर के साथ उनका 60 वर्षों से अधिक का साथ साझेदारी और आदर्श मूल्यों का प्रतीक था।

ईमानदारी और दूरदृष्टि की विरासत

डॉ. मनमोहन सिंह की विरासत केवल उनके राजनीतिक कार्यों तक सीमित नहीं है। वह कम शब्दों में बड़ी बातें करने वाले, ईमानदार और बौद्धिक नेता थे। उन्होंने हमेशा देश को राजनीति से ऊपर रखा।

उनके आर्थिक सुधारों ने भारत को विश्व के सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना दिया। उनके नेतृत्व में समावेशी विकास की नीतियों ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया।

राष्ट्र ने खोया एक महान नेता

राजनीतिक दलों और दुनियाभर से शोक संदेश आए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें "ज्ञान और ईमानदारी का प्रतीक" कहा, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें "दूरदर्शी अर्थशास्त्री और विनम्र नेता" बताया।

अधूरा सपना

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन सेवा, दूरदृष्टि और शांत शक्ति का उदाहरण था। उनके निधन से भारतीय राजनीति में एक खालीपन आ गया है, लेकिन उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनका एक मजबूत और समानता पर आधारित भारत का सपना अधूरा रह गया है, लेकिन उनकी सोच हमेशा अमर रहेगी।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।