Election Funding: जयराम महतो की बढ़ीं मुश्किलें, विदेशी फंडिंग पर जांच के आदेश
डुमरी विधायक जयराम महतो पर विदेशी फंडिंग लेने का आरोप। चुनाव आयोग ने बोकारो डीसी को जांच के आदेश दिए। शिकायत में क्यूआर कोड से चंदा लेने का दावा।
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16 दिसंबर 2024: अपने विवादित बयानों और राजनीतिक गतिविधियों से सुर्खियों में रहने वाले डुमरी विधायक जयराम महतो एक बार फिर मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं। उनकी पार्टी झारखंड लेबर किसान मोर्चा (जेएलकेएम) पर विधानसभा चुनाव के दौरान विदेशी फंडिंग लेने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले में चुनाव आयोग ने बोकारो डीसी को जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब पश्चिम बंगाल के रहने वाले राहुल बनर्जी ने चुनाव आयोग को ईमेल भेजकर शिकायत की। उन्होंने दावा किया कि जेएलकेएम ने चुनाव प्रचार के दौरान विदेशों से चंदा लिया। शिकायत में राहुल ने कुछ दस्तावेज भी साझा किए हैं, जिनमें विदेशी फंडिंग से जुड़े तथ्यों का उल्लेख है।
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि सऊदी अरब में रह रहे कई लोगों ने पार्टी को पैसे भेजे। इसके साथ ही, राहुल ने चुनाव प्रचार के दौरान इस्तेमाल किए गए क्यूआर कोड का भी जिक्र किया, जिसे जयराम महतो ने चंदा मांगने के लिए जारी किया था।
इस शिकायत के आधार पर चुनाव आयोग ने बोकारो डीसी को जांच के आदेश देते हुए कहा है कि शिकायत में दिए गए सबूतों की पूरी तरह से जांच की जाए। चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय कानून के तहत किसी भी राजनीतिक दल या नेता के लिए विदेशी फंडिंग लेना अवैध है।
डीसी को जांच के दौरान यह भी देखना होगा कि क्या जयराम महतो की पार्टी ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है।
राहुल बनर्जी ने चुनाव आयोग से यह मांग भी की है कि जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम की मान्यता रद्द की जाए और उन्हें चुनाव प्रक्रिया से बाहर किया जाए।
भारतीय राजनीति में विदेशी फंडिंग का मुद्दा नया नहीं है। 1970 और 1980 के दशक में भी इस तरह के कई विवाद सामने आए थे। राजनीतिक दलों पर विदेशी कंपनियों और व्यक्तियों से पैसे लेने के आरोप लगे थे। यह देखते हुए 1985 में विदेशी अंशदान (नियमन) अधिनियम (FCRA) लागू किया गया, जिसने राजनीतिक दलों के लिए विदेशी धन पर रोक लगा दी।
हालांकि, डिजिटल युग में ऑनलाइन पेमेंट और क्यूआर कोड जैसे माध्यमों ने इस कानून की निगरानी को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
जयराम महतो, डुमरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक और जेएलकेएम के प्रमुख, अपने तीखे बयानों और आक्रामक राजनीति के लिए जाने जाते हैं। इससे पहले भी वे कई विवादों में घिर चुके हैं।
उनका यह विवाद न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि, बल्कि पार्टी की राजनीतिक साख पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
चुनाव आयोग और बोकारो प्रशासन अब इस मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं।
इस विवाद ने झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। डुमरी और आसपास के क्षेत्रों में इस मुद्दे पर लोगों की गहरी दिलचस्पी है।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, "अगर विदेशी फंडिंग का आरोप सही है, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। ऐसी गतिविधियों पर तुरंत रोक लगनी चाहिए।"
वहीं, महतो के समर्थक इसे विरोधियों की साजिश करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि यह आरोप बेबुनियाद हैं और महतो को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
जयराम महतो पर लगे विदेशी फंडिंग के आरोप न केवल उनकी पार्टी, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के लिए भी गंभीर सवाल खड़े करते हैं। जांच के नतीजों पर सभी की नजरें टिकी हैं। क्या महतो इस संकट से उबर पाएंगे, या यह मामला उनकी राजनीतिक छवि को गहरा आघात पहुंचाएगा?
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भारतीय जनता पार्टी