Dumka Tragedy: माँ ने स्मार्टफोन नहीं दिलाया तो 12 साल के बेटे ने कर लिया सुसाइड!
झारखंड के दुमका जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। स्मार्टफोन न दिलाने पर 12 वर्षीय लड़के ने गुरुवार को अपने घर में आत्महत्या कर ली। परिजन सदमे में हैं, पुलिस जांच में जुटी है।
झारखंड के दुमका जिले से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। सरैयाहाट थाना क्षेत्र के मथाकेशो गांव में गुरुवार को एक 12 साल का लड़का अपने घर में आत्महत्या कर बैठा। बताया जा रहा है कि लड़के ने अपनी माँ से बार-बार स्मार्टफोन दिलवाने की मांग की थी, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते माँ ने मना कर दिया। इसी बात से नाराज होकर उसने अपनी जान दे दी।
माँ से हुई बहस और फिर आया दुखद मोड़
पुलिस के अनुसार, मृतक लड़के की माँ बद्रिका देवी (40 वर्ष) ने बताया कि उसका बेटा अक्सर स्मार्टफोन की मांग करता था। गुरुवार सुबह जब वह स्कूल से लौटा तो इसी मुद्दे पर उसकी माँ से बहस हो गई। दोपहर में जब माँ खेत से लौटकर घर आई तो अपने कच्चे घर की छत से कपड़े के सहारे बेटे को फंदे पर लटका पाया। यह दृश्य देखकर माँ बेहोश हो गई और परिजनों में हड़कंप मच गया।
पिता की अनुपस्थिति से बढ़ा दुख
लड़के के पिता बेंगलुरु में संविदा मजदूर के रूप में काम करते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर है। माँ का कहना है कि कई बार समझाने के बाद भी बेटा ज़िद पर अड़ा रहता था। जब उसकी मांग पूरी नहीं हुई तो उसने यह आत्मघाती कदम उठा लिया।
पुलिस कर रही है मामले की जांच
सरैयाहाट थाना प्रभारी राजेंद्र यादव ने घटना की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, लेकिन पुलिस हर पहलू की गहराई से जांच कर रही है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। साथ ही परिवार को जरूरी सहायता दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
बच्चों की मानसिक सेहत पर उठे सवाल
यह घटना न केवल परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में मोबाइल फोन की लत बढ़ रही है। माता-पिता की आर्थिक स्थिति और बच्चों की इच्छाओं में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। बच्चों की भावनाओं को समझने और उनके साथ संवाद बनाए रखना मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
गाँव में मातम, प्रशासन से मदद की उम्मीद
इस दुखद घटना के बाद पूरे गाँव में शोक छाया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से माँ और परिवार की मदद की अपील की है। साथ ही बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत बताई जा रही है।
दुमका की यह घटना आधुनिक जीवनशैली और तकनीक की लत का डरावना परिणाम है। माता-पिता, शिक्षकों और समाज को बच्चों की भावनाओं को समझकर उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन देना चाहिए। प्रशासन को भी ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और त्वरित मदद का इंतजाम करना होगा ताकि कोई और बच्चा इस तरह की त्रासदी का शिकार न बने। यह घटना हमें बताती है कि मोबाइल और गैजेट से जुड़ी समस्याओं पर खुलकर बातचीत करना जरूरी है।
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