Delhi Poetry: मां सरस्वती राष्ट्रीय मंच पर काव्य गोष्ठी ने छू लिया दिल, ‘अपना घर’ विषय पर अनमोल विचार

दिल्ली में मां सरस्वती राष्ट्रीय मंच पर आयोजित काव्य गोष्ठी ने साहित्य प्रेमियों को एक मंच दिया, जहां ‘अपना घर’ विषय पर भावनात्मक और प्रेरणादायक विचार साझा किए गए।

Dec 8, 2024 - 20:18
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Delhi Poetry: मां सरस्वती राष्ट्रीय मंच पर काव्य गोष्ठी ने छू लिया दिल, ‘अपना घर’ विषय पर अनमोल विचार
Delhi Poetry: मां सरस्वती राष्ट्रीय मंच पर काव्य गोष्ठी ने छू लिया दिल, ‘अपना घर’ विषय पर अनमोल विचार

नई दिल्ली: Literary Meet – साहित्यिक अभिव्यक्ति को प्रमुखता देते हुए, मां सरस्वती राष्ट्रीय काव्य मंच पर रविवार को आयोजित काव्य गोष्ठी का कार्यक्रम भव्य तरीके से संपन्न हुआ। इस आयोजन ने न केवल साहित्य प्रेमियों को एकजुट किया, बल्कि ‘अपना घर’ जैसे गहन विषय पर विचारों का एक नया आयाम प्रस्तुत किया।

साहित्यकारों का समागम

इस खास मौके पर मंच पर मौजूद रहे कई प्रमुख साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भावनाओं की गहराई को छूने की कोशिश की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री भारत भूषण वर्मा थे, जबकि अध्यक्षता की जिम्मेदारी मीरा सक्सेना माध्वी ने संभाली। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. ऋषिका वर्मा ने इस आयोजन की दिशा और उद्देश्य को उजागर किया।

विशिष्ट अतिथि उर्मिला कुमारी, कार्यक्रम प्रचारक प्रेरणा बुड़ाकोटी और कार्यक्रम संरक्षिका श्रीमती माला सिंह ने भी इस सभा को अपने विचारों से समृद्ध किया। इस बार के काव्य गोष्ठी में मंच संचालन का कार्य सुनंदा गावंडे उपाध्यक्ष ने किया, जिन्होंने आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

‘अपना घर’ – काव्य और विचारों का संगम

कार्यक्रम का विषय ‘अपना घर’ था, जिसने हर उपस्थित व्यक्ति को सोचने पर मजबूर कर दिया। यह विषय हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। साहित्यकारों ने अपनी कविताओं के माध्यम से बताया कि एक घर का निर्माण केवल ईंट, सीमेंट और महंगे मार्बल्स से नहीं होता, बल्कि यह उस जगह की पहचान है जहां प्रेम, सम्मान, और आपसी समझ के आधार पर परिवार के सदस्य एक साथ रहते हैं।

सभी ने साझा किया कि एक घर वो जगह है जहां दिलों की गर्मी और रिश्तों की मिठास बसी होती है। जहां हर कोई अपनेपन का अहसास करता है। यह कार्यक्रम यह भी साबित करता है कि एक घर केवल एक निर्माण नहीं, बल्कि उस स्थान की आत्मा है जहां आपसी रिश्तों और भावनाओं का आदान-प्रदान होता है।

साहित्य और संस्कृति का संरक्षण

इस तरह के साहित्यिक कार्यक्रम न केवल रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि समाज के भीतर संस्कारों और भावनाओं को भी संजोते हैं। ये कार्यक्रम साहित्यकारों को अपनी भावनाओं को साझा करने का मौका देते हैं और समाज को एक नई दिशा प्रदान करते हैं।

कार्यक्रम के अंत में सभी ने एक-दूसरे के उज्जवल भविष्य की कामना की और अपनी रचनाओं की ऊर्जा से एक नई शुरुआत की प्रेरणा पाई।

साहित्य की शक्ति

साहित्य के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करना एक पुरानी परंपरा है। प्राचीन भारत से लेकर आज तक, कवि और लेखक अपनी रचनाओं के जरिए समाज की सोच और धरोहर को आकार देते आए हैं। मां सरस्वती राष्ट्रीय काव्य मंच का यह आयोजन भी उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए साहित्य और संस्कृति को एक नए रूप में प्रस्तुत करता है।

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