Cyber Fraud: इंजीनियर की नौकरी छोड़कर ठग बने दिव्यांशु और पुलकित, 2.08 करोड़ की ठगी से खुलासा
जॉब छोड़ ठगी करने लगे दिव्यांशु और पुलकित, 2.08 करोड़ रुपये की ठगी से सामने आया बड़ा साइबर क्राइम केस। जानें कैसे दोनों ने अपराध की कमाई से महंगी अय्याशी की।
लखनऊ। साइबर ठगी की बढ़ती घटनाओं ने एक बार फिर समाज को चौंका दिया है। इस बार ठगी का मामला इतना बड़ा था कि दो इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स, दिव्यांशु और पुलकित, जिन्होंने साइबर ठगी के जरिए करोड़ों रुपये कमाए और अपनी कमाई से अय्याशी की, पकड़े गए हैं। दोनों ने 2.08 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के एकाउंटेंट को अपना शिकार बनाया।
इंजीनियरिंग से ठगी तक का सफर
दिव्यांशु और पुलकित की कहानी उस बदलाव को दिखाती है, जब नौकरी और सैलरी से संतुष्ट नहीं होने वाले युवा अपराध की दुनिया में कदम रखते हैं। दोनों ने बीटेक की डिग्री हासिल की थी और तीन साल तक एक नेटवर्किंग कंपनी में इंजीनियर के तौर पर काम किया था। हालांकि, उनकी जिंदगी में कुछ कमी महसूस हो रही थी। दोनों के महंगे शौक थे, जो उनकी सैलरी से पूरे नहीं हो पा रहे थे। इसी कारण उन्होंने ठगी के रास्ते पर चलने का फैसला किया।
कैसे शुरू हुआ साइबर ठगी का खेल?
पुलकित और दिव्यांशु के लिए साइबर ठगी का रास्ता बहुत आसान था। उन्होंने टेलीग्राम ऐप के जरिए विदेश में बैठे अपने आकाओं से संपर्क किया और फिर साइबर ठगी के गिरोह का हिस्सा बन गए। इस गिरोह का काम खाता धारकों और शिकारों की तलाश करना था, जिनसे बड़ी रकम ठगी जाती थी। ठगी के बाद सारी रकम विदेश में बैठे गिरोह के आकाओं के पास पहुंचाई जाती थी।
कभी थाईलैंड तो कभी नेपाल, विदेशों में भी हुई मुलाकातें
दिव्यांशु और पुलकित ने बताया कि वे कई बार विदेश भी गए थे। उन्होंने थाईलैंड और नेपाल में गिरोह के मुख्य सरगना से मुलाकात की थी। एक बार तो गिरोह का सरगना भारत भी आया था। दोनों की विदेश यात्रा ने उनके लिए एक नई दुनिया खोल दी, जहां उन्होंने साइबर ठगी के जरिए अपने महंगे शौक पूरे करने की योजना बनाई।
कृप्टो करेंसी और म्यूल अकाउंट्स का गहरा रिश्ता
साइबर ठगों ने ठगी से मिले पैसों को क्रिप्टो करेंसी के जरिए विदेश भेजा और फिर म्यूल अकाउंट्स (जो विशेष रूप से ठगी के लिए बनाए जाते हैं) का इस्तेमाल किया। इस तरीके से उन्होंने पैसे की अदला-बदली की और ठगी के नेटवर्क को मजबूत किया। आरोपी अपने ठगी के शिकार को टारगेट करते थे, लेकिन उन्हें यह भी नहीं पता था कि वे जिनके साथ ठगी कर रहे हैं, वह कौन हैं।
अय्याशी के लिए कमाई का पैसा
इस ठगी का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह था कि दिव्यांशु और पुलकित ने अपराध से कमाई हुई रकम को शौक और अय्याशी पर लुटाया। दोनों महंगे क्लबों और होटलों में वक्त बिताते थे। वहीं, पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी के बाद बताया कि इन दोनों ने अपने खाता धारकों की व्यवस्था के लिए कमीशन लिया था और इस पैसे का इस्तेमाल अपनी ऐशो-आराम वाली जिंदगी जीने में किया था।
क्या था पुलिस का रुख?
साइबर थाना प्रभारी निरीक्षक राजीव तिवारी ने इस केस की जानकारी देते हुए बताया कि इस गिरोह का मुख्य सरगना विदेश में बैठा है, लेकिन दिव्यांशु और पुलकित जैसे स्थानीय गिरोह के सदस्य ही भारत में ठगी करते थे। इनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि यह बिना किसी डर के साइबर ठगी करते रहे। पुलिस ने इनके खिलाफ पाक्सो और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।
क्या सीखें इस मामले से?
इस घटना से यह साफ होता है कि महंगे शौक और आसान पैसे की चाहत के कारण कई लोग अपराध की दुनिया में घुस जाते हैं। साइबर ठगी जैसे अपराधों में तेजी से वृद्धि हो रही है और हमें इसे रोकने के लिए अपनी सुरक्षा प्रणालियों को और भी मजबूत करने की जरूरत है।
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