क्लैट प्रवेश परीक्षा शुल्क में कटौती की मांग: जमशेदपुर के वकील की याचिका पर कानून मंत्रालय की कार्यवाही
जमशेदपुर के वकील अमर तिवारी ने क्लैट प्रवेश परीक्षा के शुल्क में कमी की मांग की है ताकि गरीब छात्र भी परीक्षा में भाग ले सकें। कानून मंत्रालय ने इस मामले को बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भेजा है।
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जमशेदपुर को-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज के पूर्व छात्र और वर्तमान में अधिवक्ता अमर तिवारी ने क्लैट (कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट) के प्रवेश परीक्षा शुल्क में कमी की मांग की है। उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग, भारत सरकार से अपील की थी कि इस प्रवेश परीक्षा के शुल्क को कम किया जाए, ताकि सभी वर्ग के छात्र, विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर छात्र, भी इस परीक्षा में सम्मिलित हो सकें।
अमर तिवारी का कहना है कि हर साल लॉ के क्षेत्र में प्रवेश के लिए क्लैट के माध्यम से परीक्षा आयोजित की जाती है, लेकिन इस परीक्षा का शुल्क लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में, सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए परीक्षा शुल्क 4000 रुपये और अन्य वर्गों के लिए 3500 से 4000 रुपये के बीच रखा गया है। यह शुल्क गरीब और मध्यम वर्ग के छात्रों के लिए बहुत अधिक है, जिससे वे हर साल परीक्षा के लिए आवेदन नहीं कर पाते हैं।
अधिवक्ता तिवारी ने सुझाव दिया कि क्लैट 2025 के लिए परीक्षा शुल्क को 500 रुपये सभी विद्यार्थियों के लिए समान रूप से रखा जाए। उन्होंने तर्क दिया कि यदि शुल्क को कम किया जाता है, तो अधिक छात्र परीक्षा में शामिल हो सकते हैं, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में समानता को बढ़ावा मिलेगा।
इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए, भारत सरकार के कानून मंत्रालय के लीगल अफेयर के नोडल पदाधिकारी सौरभ चौधरी ने इसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पास कार्रवाई हेतु भेज दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बार काउंसिल इस पर क्या निर्णय लेती है और क्या क्लैट परीक्षा शुल्क में कोई कमी की जाती है।
यह मामला उन सभी छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है जो आर्थिक तंगी के कारण उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पीछे रह जाते हैं। यदि क्लैट प्रवेश परीक्षा शुल्क में कमी की जाती है, तो इससे न केवल गरीब छात्रों को लाभ होगा, बल्कि यह शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।
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