सरायकेला में श्रद्धा और भक्ति से चित्रगुप्त पूजा, पारिवारिक मिलन समारोह का भी आयोजन"
सरायकेला के आदित्यपुर में सिंहभूम सेंट्रल चित्रगुप्त पूजा समिति द्वारा भगवान चित्रगुप्त की भव्य पूजा का आयोजन हुआ। जानें कैसे उमड़ा कायस्थ समाज का जनसैलाब और क्या रहा विशेष आयोजन।
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सरायकेला, 3 नवंबर 2024: रविवार को सरायकेला के आदित्यपुर में कायस्थ समाज के श्रद्धालुओं ने अपने इष्टदेव भगवान चित्रगुप्त की विशेष पूजा अर्चना की। इस अवसर पर आदित्यपुर स्थित सिंहभूम सेंट्रल चित्रगुप्त पूजा समिति द्वारा पान दुकान चौक स्थित शिव मंदिर मैदान में भव्य आयोजन किया गया। समिति के कार्यकारी अध्यक्ष सदाशिव सिन्हा ने बताया कि पिछले 40 वर्षों से यहां भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति स्थापित कर पूजा की जाती है, जो पूरे क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन बन गया है।
इस वर्ष भी चित्रांश समाज के सैकड़ों श्रद्धालु बड़ी संख्या में पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए। दिन के समय भगवान चित्रगुप्त की पूजा के बाद प्रसाद का वितरण किया गया। श्रद्धालुओं में भगवान के प्रति विशेष आस्था और भक्ति का भाव देखने को मिला।
पारिवारिक मिलन समारोह और प्रतिभोज का आयोजन
चित्रगुप्त पूजा के बाद, शाम को साढ़े 7 बजे सभी चित्रांश परिवारों के लिए पारिवारिक मिलन समारोह का आयोजन भी किया गया। इस समारोह में भव्य प्रतिभोज का आयोजन रखा गया था, जहां समाज के लोग एक साथ भोजन कर आपस में संवाद का अवसर प्राप्त करते हैं। इस आयोजन का उद्देश्य समाज के लोगों को एकजुट करना और आपसी संबंधों को मजबूत बनाना है।
इस समारोह को सफल बनाने के लिए समिति के कई सदस्य सक्रिय रूप से कार्यरत रहे। समिति के अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ मुन्ना, कार्यकारी अध्यक्ष सदाशिव सिन्हा, महामंत्री राकेश कुमार उर्फ बब्बू जी, उपाध्यक्ष राजीव कुमार वर्मा उर्फ कक्कू जी, राजीव कुमार, सुदेश सिन्हा, सुधीर कुमार, अतुल प्रकाश, अर्चना प्रसाद, और नीरज श्रीवास्तव ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चित्रगुप्त पूजा की विशेषता
भगवान चित्रगुप्त को कायस्थ समाज के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह पूजा हर साल कार्तिक मास में चित्रगुप्त जयंती के अवसर पर होती है। समाज के लोग इस दिन विशेष पूजा करके भगवान से अपने पापों की क्षमा मांगते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
सरायकेला में पिछले चार दशकों से यह पूजा हो रही है, और यह परंपरा हर साल अधिक भव्य और विशेष रूप से आयोजित की जाती है। स्थानीय लोगों में इस आयोजन के प्रति विशेष उत्साह रहता है, और यह आयोजन समाज को एकता और भाईचारे के बंधन में बांधने का कार्य करता है।
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