छठ घाट की सड़क अधूरी, बस्तीवासियों ने किया विरोध: 'रोड नहीं तो वोट नहीं'
बिहारी बस्ती छठ घाट की सड़क अधूरी छोड़ने पर बस्तीवासियों में आक्रोश। सड़क की खराब हालत पर तीन बार पत्र लिखने के बाद भी काम अधूरा, बस्तीवालों का कहना - "रोड नहीं, तो वोट नहीं"।
जमशेदपुर, 6 अक्टूबर: बिहारी बस्ती छठ घाट की सड़क का निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया है, जिससे स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। यह सड़क शनिवार, 5 अक्टूबर 2024 को अधूरी स्थिति में छोड़ दी गई। इस सड़क पर एक आंगनवाड़ी स्कूल भी संचालित होता है, जिससे बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता बढ़ गई है।
तीन बार पत्र, फिर भी अधूरा काम
स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने इस सड़क की दुर्दशा को लेकर तीन बार अधिकारियों को पत्र लिखा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सड़क की हालत इतनी खराब है कि लोगों को आने-जाने में बहुत परेशानी हो रही है। खासकर बच्चों को स्कूल जाने में मुश्किलें हो रही हैं। लोगों का कहना है कि बलुनहातु के सब-शेड को चौड़ा और संकरा किया गया, लेकिन इस सड़क को ठीक करने में केवल बहाने बनाए जा रहे हैं।
बस्तीवासियों का विरोध: 'रोड नहीं, तो वोट नहीं'
सड़क की इस दुर्दशा और बार-बार शिकायत करने के बावजूद समाधान न मिलने से बस्तीवासियों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि अगर सड़क का निर्माण नहीं किया गया तो इस बार चुनाव में वोट नहीं देंगे। बस्तीवासियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनकी मांगें अगर पूरी नहीं होती हैं तो वे अपने क्षेत्र के विधायक सरयू राय का विरोध करेंगे।
क्या करेंगे विधायक सरयू राय?
यह इलाका विधायक सरयू राय के क्षेत्र में आता है। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि विधायक इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं। बस्तीवासियों का कहना है कि वे सड़क के निर्माण को लेकर गंभीर हैं और अब वे ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। छठ जैसे महत्वपूर्ण त्योहार से पहले सड़क का निर्माण पूरा न होना लोगों के लिए चिंता का विषय है।
छठ पर्व के मद्देनजर जल्द समाधान की मांग
बिहारी बस्ती का यह छठ घाट इलाके का एक प्रमुख स्थल है, जहां हर साल हजारों लोग छठ पूजा के लिए जुटते हैं। ऐसे में सड़क की खराब हालत से त्योहार के दौरान और भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बस्तीवासियों की मांग है कि छठ पर्व से पहले सड़क का निर्माण पूरा हो जाए ताकि लोगों को आने-जाने में कोई दिक्कत न हो।
अब देखना यह होगा कि विधायक सरयू राय और प्रशासन इस मुद्दे पर क्या फैसला लेते हैं और क्या बस्तीवासियों की मांग पूरी होगी या नहीं।
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