Chaibasa Clash: लाठीचार्ज के बाद 17 आदिवासी गायब! चंपई सोरेन ने बुलाया कोल्हान बंद, कहा - हेमंत सरकार करा सकती है 'एनकाउंटर' !
क्या हेमंत सोरेन की सरकार ने चाईबासा में आदिवासी युवाओं पर बुरी तरह लाठीचार्ज कराया? ताम्बो चौक पर मंत्री दीपक बिरुआ के आवास घेराव के बाद 17 युवक कहाँ लापता हो गए? पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने 'एनकाउंटर' की आशंका क्यों जताई? जानें पूरा घटनाक्रम और बुधवार के कोल्हान बंद का असर, जो झारखंड की राजनीति को गरमा सकता है!
चाईबासा, 28 अक्टूबर 2025 – झारखंड में राजनीतिक घमासान अपने चरम पर पहुँच गया है। ताम्बो चौक, चाईबासा में सड़क दुर्घटनाओं के विरोध में प्रदर्शन कर रहे निरीह आदिवासी युवाओं पर पुलिस के बर्बर लाठीचार्ज के बाद मचे भगदड़ ने स्थिति को विस्फोटक बना दिया है। इस घटना के बाद से 17 आदिवासी युवा लापता हो गए हैं, जबकि चार को पुलिस ने हिरासत में लिया है। इस गंभीर घटना ने हेमंत सोरेन सरकार और विपक्ष को आमने-सामने खड़ा कर दिया है।
कोल्हान का टाइगर गरजा: बुधवार को कोल्हान बंद
घटना की सूचना मिलते ही, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कोल्हान के कद्दावर आदिवासी नेता चंपई सोरेन तत्काल चाईबासा पहुँचे। उन्होंने इस घटना को राज्य के इतिहास में एक काला अध्याय करार दिया और लापता युवाओं की सकुशल बरामदगी और गिरफ्तार युवाओं की रिहाई की मांग को लेकर बुधवार को पूरे कोल्हान प्रमंडल में बंद का आह्वान कर दिया।
जमशेदपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, चंपई सोरेन ने हेमंत सोरेन सरकार पर जमकर निशाना साधा और उसे आदिवासी विरोधी करार दिया। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि उन्हें आशंका है कि सरकार लापता आदिवासी युवाओं को 'सूर्या हांसदा' की तरह एनकाउंटर करा सकती है। (गौरतलब है कि सूर्या हांसदा की कथित एनकाउंटर को लेकर पूर्व में राज्य में बड़ा विवाद हुआ था)।
मंत्री आवास का घेराव: क्या थी आदिवासी युवाओं की मांग?
आक्रोशित आदिवासी युवा स्थानीय विधायक और राज्य के परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ से मिलने पहुंचे थे। उनकी मुख्य मांग चाईबासा जिले में लगातार हो रहे सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारी वाहनों के प्रवेश पर लगाए गए 'नो एंट्री' का सख्ती से पालन कराना था।
युवा उन्हें मांग पत्र सौंपना चाहते थे, लेकिन पुलिस-प्रशासन ने उन्हें मंत्री आवास में प्रवेश नहीं करने दिया। इससे आक्रोशित होकर आदिवासी युवा मंत्री आवास के बाहर धरने पर बैठ गए। अंततः देर रात पुलिस ने शांतिपूर्ण धरने पर बैठे इन लोगों पर अचानक लाठीचार्ज कर दिया, जिसके बाद यह बड़ा विवाद खड़ा हो गया।
पुलिस प्रशासन बनाम पूर्व मुख्यमंत्री: पैदल मार्च का जवाब
चंपई सोरेन के आगमन से पहले ही चाईबासा सीमा पर स्थित कुजू के समीप पुलिस-प्रशासन ने उन्हें रोक दिया। यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से राजनीतिक तनाव को दर्शाती है। हालांकि, समर्थकों के भारी जोश को देखते हुए और लोकतंत्र में अपनी बात रखने के अधिकार पर अड़े रहते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने चाईबासा की सड़कों पर पैदल मार्च किया। इस दौरान जेएमएम के पूर्व मुख्यमंत्री का समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया, जिससे यह साफ हो गया कि कोल्हान की जमीन पर आदिवासी मुद्दे को लेकर राजनीतिक लड़ाई कितनी तेज हो चुकी है।
बुधवार को बुलाया गया कोल्हान बंद झारखंड की राजनीति में एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। आदिवासी युवाओं की सुरक्षा और उनकी रिहाई का मुद्दा अब राज्यव्यापी आंदोलन का रूप ले सकता है।
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