Chandrakona NagarKirtan: गुरु नानक देव जी का 556 वां प्रकाश पर्व, तीन राज्यों की संगत ने निकाला भव्य नगर कीर्तन
मेदिनीपुर के चंद्रकोना में आस्था का महासंगम! गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर बंगाल, झारखंड और ओडिशा की संगत एक साथ। 2 बजे शुरू हुई शोभायात्रा, रात में आतिशबाजी और लंगर। ज्ञानी सतनाम सिंह सिंह ने बताया गुरु इतिहास, देखें धार्मिक उत्साह का पूरा विवरण।
मेदिनीपुर, 3 दिसंबर 2025 – पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले के चंद्रकोना नगर में गुरु नानक देव जी महाराज के 556 वें प्रकाश पर्व को समर्पित एक भव्य नगर कीर्तन निकाला गया। नानकसर गुरुद्वारा साहिब से आरंभ हुए इस धार्मिक आयोजन में सिर्फ बंगाल ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों झारखंड और ओडिशा से भी बड़ी संख्या में संगत ने हिस्सा लिया, जिससे यह तीन राज्यों की आस्था का महासंगम बन गया।
जमशेदपुर से पहुंचे प्रतिनिधिमंडल
इस पवित्र शोभायात्रा में झारखंड के जमशेदपुर से भी अनेक समाजसेवी और धार्मिक प्रतिनिधि शामिल हुए। नगर कीर्तन में जमशेदपुर से समाजसेवी चंचल भाटिया, आग़ाज़ संस्था के संस्थापक अध्यक्ष इंदरजीत सिंह, झामुमो के युवा नेता सिमरन भाटिया, सिख नौजवान सभा बारीडीह के प्रधान जगजीत सिंह जग्गी, संत कुटिया नौजवान सभा से मलविंदर सिंह और सिख नौजवान सभा सरजामदा के प्रधान जगप्रीत सिंह जेडी सहित रणवीर सिंह और अभय कुमार जैसे लोग उपस्थित थे।
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सम्मान और सत्कार: गुरुद्वारा समिति द्वारा इस पवित्र अवसर पर आई सभी महत्वपूर्ण संगत को सिरोपा देकर सम्मानित किया गया, जो सिख परंपरा में आदर का प्रतीक है।
भव्य आतिशबाजी और अटूट लंगर
नगर कीर्तन का आरंभ दोपहर 2 बजे हुआ। शोभायात्रा ने पूरे नगर का भ्रमण किया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। चार घंटे तक नगर का भ्रमण करते हुए यह पवित्र यात्रा शाम 6 बजे वापस गुरुद्वारा साहिब पहुंची।
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उत्सव का माहौल: शोभायात्रा के लौटने के बाद गुरुद्वारा परिसर में एक भव्य आतिशबाजी का आयोजन किया गया, जिससे पूरा आकाश रौशन हो गया। साथ ही, गुरु का अटूट लंगर भी वरता गया, जहां सभी जाति-धर्म के लोगों ने एक साथ प्रसाद ग्रहण किया।
रात में गुरुद्वारा साहिब में रैनसवाई कीर्तन दरबार भी सजा, जिसमें संगत ने पूरी रात गुरु वाणी का श्रवण किया। गुरुद्वारा साहिब चंद्रकोना के ग्रंथी ज्ञानी सतनाम सिंह सिंह ने आए हुए सभी श्रद्धालुओं को गुरु इतिहास की जानकारी दी और गुरु नानक देव जी के उपदेशों पर चलने की प्रेरणा दी।
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