भाजयुमो कार्यकर्ताओं का धांधली के खिलाफ आक्रोश: क्या सीजीएल परीक्षा के पीछे है एक बड़ा साजिस ?
भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने सीजीएल परीक्षा में धांधली के खिलाफ सड़कों पर उतरे। जानिए किस प्रकार की गड़बड़ियों ने युवाओं को उग्र किया और क्या सीबीआई जांच की मांग उठाई गई।
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा आयोजित सीजीएल परीक्षा में धांधली की खबरें हर ओर गूंज रही हैं। गुरुवार को भाजयुमो के सैकड़ों कार्यकर्ता जमशेदपुर की सड़कों पर आक्रोशित होकर निकले, और इस धांधली के खिलाफ आवाज उठाई। क्या इस परीक्षा के पीछे कोई बड़ा रहस्य छिपा है?
भाजयुमो जमशेदपुर महानगर के अध्यक्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुए इस आक्रोश मार्च में युवा कार्यकर्ताओं ने सीएम हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया। ये कार्यकर्ता साकची स्थित जिला भाजपा कार्यालय से जुबिली पार्क गोलचक्कर तक पहुंचे, जहाँ उन्होंने हेमंत सरकार के खिलाफ तीखे नारे लगाए। आक्रोशित युवाओं ने एकजुट होकर यह स्पष्ट किया कि वे इस गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
सरकार पर उठे सवाल
आक्रोश मार्च में शामिल भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष सुधांशु ओझा ने हेमंत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, "सरकार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।" उनके अनुसार, जेएसएससी जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा में धांधली साबित करती है कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस मामले की निष्पक्ष सीबीआई जांच नहीं कराई गई और दोषियों पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह आंदोलन और उग्र होगा।
भाजयुमो जिलाध्यक्ष नीतीश कुमार ने दावा किया कि रांची, धनबाद जैसे कई परीक्षा केंद्रों में अभ्यर्थियों को पहले से आंसर शीट उपलब्ध कराई गई थी। उन्होंने कहा, "कई केंद्रों पर प्रश्न पत्र के सील खुले हुए मिले।" इंटरनेट सेवा को अचानक बंद करने के कदम पर उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, "यूपीएससी, जेपीएससी जैसी परीक्षाओं में इंटरनेट बंद नहीं किया गया, फिर सीजीएल जैसी परीक्षा में क्यों?" यह बताता है कि सरकार खुद गड़बड़ी में शामिल है।
आंदोलन की बढ़ती लहर
इस दौरान पूर्व जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार, डॉ. राजीव, धर्मेंद्र प्रसाद, पवन सिंह, विजय सिंह, कुसुम पूर्ति, सुशील पांडेय, प्रकाश दुबे, चिंटू सिंह, मुकेश सिंह, राकेश कुमार, काजू शांडिल, रमेश बास्के सहित कई अन्य कार्यकर्ता भी इस आक्रोश मार्च में शामिल हुए। क्या ये सभी कार्यकर्ता सिर्फ एक परीक्षा के लिए सड़कों पर उतरे हैं, या इसके पीछे एक बड़ी साजिश है?
आक्रोशित युवाओं का कहना है कि यदि सरकार ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो उनका आंदोलन और भी उग्र हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को और बर्दाश्त नहीं करेंगे और अब सरकार को हर हाल में जवाबदेह बनना होगा।
भविष्य की चिंता
इस पूरे मामले में युवाओं का भविष्य दांव पर है। क्या सरकार इस धांधली की जांच करेगी? क्या सीबीआई की टीम आएगी? या यह मामला यूं ही ठंडा पड़ जाएगा? इन सवालों के जवाब अब इस आंदोलन के परिणामों पर निर्भर करते हैं।
इसलिए, क्या आप तैयार हैं इस रहस्य को जानने के लिए? क्या वास्तव में सीजीएल परीक्षा के पीछे कुछ और छिपा हुआ है? आने वाले दिनों में इस मामले पर आपकी नजरें बनी रहनी चाहिए।
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