झारखंड में बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा का बड़ा विरोध: 'हो' और 'उरांव' समुदाय को क्यों किया गया नजरअंदाज?
झारखंड: बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा का विरोध – पूर्वी सिंहभूम में ‘हो’ और ‘उरांव’ समुदाय को क्यों किया गया नजरअंदाज?
जमशेदपुर में बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने राज्य सरकार की जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया के खिलाफ विरोध जताया है। मोर्चा ने उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल के नाम एक मांग पत्र सौंपते हुए पूर्वी सिंहभूम जिले के “हो” और “उरांव” समुदाय को इस प्रक्रिया से बाहर किए जाने का आरोप लगाया है।
बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष रमेश बास्के ने आरोप लगाया कि पूर्वी सिंहभूम जिले में आदिवासी “हो” और “उरांव” समुदाय के विद्यार्थियों की संख्या काफी है, फिर भी इन्हें झारखंड सरकार के सृजन प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया। यह कदम आदिवासी समाज के बीच असंतोष और विभाजन पैदा कर सकता है।
मांग पत्र में कहा गया है कि शिक्षकों की नियुक्ति जनजातीय विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर की जानी चाहिए, ताकि आदिवासी समाज में एकजुटता और सामंजस्य बना रहे। मोर्चा ने राज्यपाल से इस नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार की अपील की है।
सरकार ने पूर्वी सिंहभूम जिले के लिए भाषाई शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कुछ सीटें निर्धारित की हैं – संताली के लिए 11, मुंडारी के लिए 1, भूमिज के लिए 6, बांग्ला के लिए 81, और उड़िया के लिए 6 सीटें शामिल हैं। लेकिन, ‘हो’ और ‘उरांव’ समुदाय के लिए कोई सीटें नहीं रखी गई हैं, जिससे स्थानीय नेताओं और जनजातीय समुदाय में नाराजगी का माहौल बन गया है।
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