Jharkhand Tusu Mela : झारखंड की संस्कृति को बचाने की अपील के साथ टुसू मेला का आयोजन
झारखंड के बिस्टुपुर में हुआ विशाल टुसू मेला, जहां पारंपरिक गीत-नृत्य की प्रस्तुति, आकर्षक पुरस्कार, और शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। यह आयोजन राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की पहल है।
Bistupur Celebration: झारखंड वासियों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर, जहां बिस्टुपुर के गोपाल मैदान में विशाल टुसू मेला का आयोजन हुआ। यह आयोजन सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि झारखंड की संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण का भी एक महत्वपूर्ण कदम था। इस मेले में राज्य भर से सैकड़ों लोग एकत्र हुए, जिन्होंने अपनी पारंपरिक नृत्य और गीतों से उत्सव को जीवंत किया।
इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिनमें टुसू, चौड़ल, और बूढ़ी गाड़ी नृत्य के लिए आकर्षक नगद पुरस्कार दिए गए। इसके अलावा, सभी प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार भी दिया गया, जिससे उनकी मेहनत को सराहा जा सके। कुल मिलाकर लाखों रुपये के पुरस्कार बांटे गए, जो इस आयोजन की भव्यता को और बढ़ा रहे थे।
झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर का बचाव:
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, सांसद विद्युत महतो ने अपने संबोधन में राज्य की संस्कृति को बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "आज झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर खतरे में है, जिसे बचाने की जिम्मेदारी हम सभी की है। लोग उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपनी परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं, और इसे बदलने की आवश्यकता है। हमारे पूर्वजों की यह विरासत हमारे लिए अमूल्य धरोहर है।"
सांसद विद्युत महतो ने टुसू गीत गाकर माहौल को और भी रंगीन बना दिया। उनके गीतों में झारखंड की माटी की खुशबू महसूस हो रही थी। "चल सोजोनी जाबो जोमुना, देखे आसबो कालो सोना..." जैसे गीतों ने उपस्थित दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख लोग:
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में कई प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं, जिनमें राज्य के पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता, सांसद विद्युत महतो, विधायक सबिता महतो, और पूर्व सांसद सुमन महतो प्रमुख थे। इसके अलावा, मंच के मुख्य संयोजक आस्तिक महतो, बिल्डर फणीन्द्र महतो और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
शहीदों को श्रद्धांजलि:
मेला के उद्घाटन के दौरान, शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। झारखंड अलग राज्य के लिए संघर्ष करने वाले शहीदों के चित्रों पर माल्यार्पण किया गया, जिनमें शहीद रघुनाथ महतो, शहीद बिरसा मुंडा, और शहीद सुनील महतो सहित कई प्रमुख शहीदों के नाम शामिल थे।
हेलीकॉप्टर रूपी टेम्पो:
इस बार के मेला में एक और विशेष आकर्षण रहा, वह था टेम्पो जिसे हेलीकॉप्टर के रूप में सजाया गया था। यह टेम्पो मेला में एक स्थान से दूसरे स्थान तक भ्रमण करता रहा, और लोग इसे देखने के लिए उत्साहित हो उठे।
झूमर गायक रंजीत महतो का धमाल:
मशहूर झूमर गायक रंजीत महतो ने अपनी नृत्य टीम के साथ कई पारंपरिक गीतों का प्रदर्शन किया। उनका अंदाज और गायन ने समां बांध दिया। "पोहिले बूढ़ा बाबा...", "एगो बुलु साड़ी पिन्धी..." जैसे गीतों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
पुरस्कार वितरण और विजेताओं की सूची:
टुसू, चौड़ल और बूढ़ी गाड़ी नृत्य प्रतियोगिताओं में विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार प्रदान किए गए। टुसू नृत्य के लिए सात विजेताओं को क्रमशः 31 हजार से लेकर 5 हजार रुपये तक के पुरस्कार दिए गए। चौड़ल और बूढ़ी गाड़ी नृत्य के लिए भी विजेताओं को उपयुक्त पुरस्कार मिलें, जो इस आयोजन की अहमियत को दर्शाता है।
इस भव्य आयोजन ने न केवल झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को उजागर किया, बल्कि इसे बचाने के प्रति एक जागरूकता भी फैलाई। यह मेला झारखंड की लोक कला और संस्कृति के पुनरुद्धार का प्रतीक बनकर उभरा है। आने वाले वर्षों में, यह आयोजन झारखंड के सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने का महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा।
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