Men's Rights: Bhilai में पुरुष अधिकारों की रक्षा के लिए पुरुष आयोग की मांग, आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं ने मचाई चिंता!
भिलाई में मेन्स राइट्स एसोसिएशन ने पुरुष आयोग की सख्त जरूरत की बात की है, जहां आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं और महिलाओं के लिए बने कानून के दुरुपयोग से पुरुषों को हो रही परेशानियों पर गहरी चिंता जताई गई है।
भिलाई में पुरुषों के अधिकारों के लिए आवाज उठाते हुए मेन्स राइट्स एसोसिएशन ने पुरुष आयोग बनाने की सख्त आवश्यकता जताई। संगठन ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं के लिए बने कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है, जिसके चलते पुरुषों को मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि हर साल लगभग 90,000 पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं, और इनमें से अधिकांश मामलों में पत्नी और ससुरालियों द्वारा उत्पीड़न की वजह से तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
मेन्स राइट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने कहा, "हमारे देश में लगातार पुरुषों के खिलाफ कानून का दुरुपयोग हो रहा है, और उनके लिए कोई सुरक्षा या आयोग नहीं है। जबकि महिलाओं के लिए तुरंत कानून बना दिए जाते हैं, पुरुषों के लिए किसी प्रकार की सहायता नहीं दी जाती।" उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के दुरुपयोग के कारण कई पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं, और अब इस समस्या को हल करने के लिए एक पुरुष आयोग की सख्त आवश्यकता है।
अतुल सुभाष का मामला एक उदाहरण है, जो एक होनहार एआई इंजीनियर थे और निजी फर्म में कार्यरत थे। आत्महत्या करने से पहले उन्होंने एक वीडियो और 24 पृष्ठों का पत्र छोड़ा, जिसमें उन्होंने अपने उत्पीड़न का बखान किया। अतुल ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी और ससुरालियों द्वारा उनसे 3 करोड़ रुपये की मांग की जा रही थी और झूठे मुकदमे दायर किए जा रहे थे। उनके आत्महत्या पत्र में यह भी उल्लेख था कि उन्हें उनके छोटे बच्चे से भी मिलने नहीं दिया गया। उनके मुताबिक, कोर्ट और न्यायिक प्रणाली में भ्रष्टाचार की वजह से वह अपनी जान लेने को मजबूर हो गए थे।
प्रमोद कुमार ने यह भी बताया कि "मामले में सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान में महिलाएं झूठे केस के माध्यम से पुरुषों को शिकार बनाती हैं। ऐसे में महिला और पुरुष दोनों को समान अधिकार मिलने चाहिए।" उन्होंने सरकार से अपील की कि वह एक ऐसा आयोग बनाए जो पुरुषों के अधिकारों की रक्षा कर सके, और इस पर कानून का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने आगे कहा, "हमने कई बार इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। पुरुषों के खिलाफ गलत केस दायर करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, और इसके कारण कई परिवारों की स्थिति खराब हो रही है।" उन्होंने यह भी कहा कि जब पुरुष अपने उत्पीड़न की बात करते हैं, तो समाज और न्यायिक प्रणाली उनके दर्द को अनदेखा कर देती है, जबकि महिलाओं के लिए बने कानूनों का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है।
क्या आपके पास भी ऐसे अनुभव हैं? अगर हां, तो आप मेन्स राइट्स एसोसिएशन से संपर्क कर सकते हैं। यह संस्था हर शनिवार को ओल्ड नेहरू नगर पार्क, भिलाई में बैठक आयोजित करती है, जहां पीड़ितों को उनके मामलों में सहायता दी जाती है। इसके अलावा, हर रविवार को ऑनलाइन मीटिंग भी आयोजित की जाती है। एसोसिएशन ने पीड़ितों से अपील की है कि वे आत्महत्या के बजाय संगठन से संपर्क करें, और वे उन्हें न्याय दिलाने के लिए पूरी मदद करेंगे।
संगठन ने आत्महत्या करने वाले व्यक्तियों की संख्या में लगातार वृद्धि की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। हर साल 90,000 से अधिक पुरुष आत्महत्या करते हैं, जिनमें से अधिकांश को उनके परिवार या ससुरालियों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट भी मानता है कि दहेज और उत्पीड़न के मामले में 95 प्रतिशत मामलों में झूठी शिकायतें होती हैं, लेकिन फिर भी न्याय का रास्ता कठिन है।
न्यायिक सुधार की आवश्यकता अब स्पष्ट हो चुकी है। अतुल सुभाष की आत्महत्या ने यह मुद्दा और भी गंभीर बना दिया है, और अब मेन्स राइट्स एसोसिएशन ने यह कसम खाई है कि वे इस आंदोलन को और मजबूत करेंगे, ताकि भविष्य में और किसी पुरुष को उत्पीड़न और कानून के दुरुपयोग का शिकार न होना पड़े।
एसोसिएशन ने रविवार, 15 दिसंबर को सिविक सेंटर, भिलाई में कैंडल मार्च का आयोजन करने की घोषणा की है, ताकि इस गंभीर मुद्दे के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके और पुरुषों के अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन तेज किया जा सके।
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