बालासाहेब  ठाकरे की कहानी और जीवन परिचय Balasahab Thakrey in Hindi

Jun 24, 2022 - 21:10
Jul 7, 2024 - 21:14
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बालासाहेब  ठाकरे  की कहानी और जीवन परिचय Balasahab Thakrey in Hindi
बालासाहेब  ठाकरे की कहानी और जीवन परिचय Balasahab Thakrey in Hindi

बालासाहेब  ठाकरे

हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे जिन्होंने शिवसेना पार्टी की नींव रखी और मराठी मानुष के लिए महाराष्ट्र को सजाया और संवारा आज हम बात करने वाले हैं बालासाहेब ठाकरे की जिन्होंने अपने दम पर मराठों का हक महाराष्ट्र में दिल आया बालासाहेब के पहले महाराष्ट्र में गुजरातियों और तमिलों का वर्चस्व था और इसी माहौल को बालासाहेब ठाकरे ने अपनी राजनीति पृष्ठभूमि बनाई और महाराष्ट्र की राजनीति के top तक पहुंचे |

 

बालासाहेब  ठाकरे का जन्म :

बालासाहेब ठाकरे का जन्म 23 जनवरी को 1926 पुणे महाराष्ट्र में हुआ बालासाहेब का पूरा नाम केशव ठाकरे है और महाराष्ट्र के लोग प्यार से बालासाहेब ठाकरे कहते हैं इनके पिता प्रबोधनकार ठाकरे एक सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे बाला साहेब की जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आए जो कि जानना एक रोचक बात है एक कार्टूनिस्ट होकर उन्होंने हिंदुत्व विचारधारा की पार्टी शिवसेना खड़ी के मराठी लोगों के लिए न्याय तथा भारत से आए प्रवासियों के लिए हमले ने उन्हें चर्चा का विषय बनाया जो कि उनकी राजनीति में काफी मददगार साबित हुआ और वह हर एक मराठी के दिल में बस गए बालासाहेब की शख्सियत एक प्रकाश में वातावरण तैयार करती है| उन्होंने ना ही कभी चुनाव लड़ा परंतु उनसे मिलने बड़े-बड़े नेता अभिनेता और खिलाड़ी आते थे| इनके एक इशारे पर महाराष्ट्र मुंबई थम जाती थी | संक्षिप्त में यह कहे की बालासाहेब ठाकरे मुंबई राजनीति के केंद्र बिंदु थे|

 

ठाकरे साहब में अपने जीवन का सफर एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया उन्होंने शुरुआत अंग्रेजी समाचार पत्र फ्री प्रेस जर्नल से की थी इसके बाद उन्होंने 1960 मैं अपने भाई के साथ मिलकर मार्मिक नाम से सप्ताहिक अखबार शुरू किया था|

 

शिवसेना का प्रारंभ:

बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना 19 जून 1961 में की थी शिवसेना नाम बालासाहेब ठाकरे के पिता प्रबोधन ठाकरे ने दिया पार्टी के गठन के 4 महीने बाद बालासाहेब ने अपने अखबार मार्मिक के जरिए पहली रैली विजयदशमी पर शिवाजी पार्क में करने का ऐलान किया था बालासाहेब मराठी मानुष के तमाम समस्याओं का समाधान करने की जिम्मेदारी उठाई थी जो क्योंकि राजनीति का एक कारगर हथियार था| महाराष्ट्र में दूसरे शहरों के बढ़ते वर्चस्व के बीच ठाकर मराठों के लिए मसीहा बने शिवसेना की पहली रैली में इतने लोग आएगी शिवाजी मैदान छोटा पड़ गया और भीड़ को संभालने के लिए महाराष्ट्र सरकार को force का सहारा लेना पड़ा|

 

बालासाहेब मराठी उसे काफी प्यार करते थे उनका यह हमेशा कहना होता था महाराज मराठी ओं का है उनकी पार्टी ने साल 2007 में राष्ट्रपति चुनाव में सहयोगी पार्टी भाजपा का साथ ना देकर विरोधी पार्टी के उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया क्योंकि प्रतिभा पाटील महाराष्ट्र से थी

 

सचिन और बालासाहेब के रिश्ते:

वैसे तो बालासाहेब सचिन में काफी मोहब्बत करते थे और उनके क्रिकेट खेलने की शैली से काफी प्यार करते थे परंतु एक बार बालासाहेब ठाकरे की टक्कर पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर से हो गए सचिन ने महाराष्ट्र को लेकर एक बयान दिया था जो बाला साहब को पसंद नहीं आया सचिन ने कहा था महाराष्ट्र पर पूरे भारत का हक है यहां कोई भी कुछ भी कर सकता है इस बात पर बाला साहब नाराज हो गए और सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट खेलने की सलाह दी और राजनीति में बयानबाजी करने से रोका वह हमेशा कहते थे सचिन एक महान खिलाड़ी है परंतु उसे राजनीति और महाराष्ट्र के ऊपर बयानबाजी से बचना चाहिए|

 

बालासाहेब हिटलर का प्रशंसक मानते थे उन्होंने महाराष्ट्र की मराठी युवाओं के लिए नौकरी के लिए बहुत सी लड़ाइयां लड़ी साल 1990 में शिवसेना ने महाराष्ट्र में अच्छी पकड़ बना ली थी ठाकरे चार्ज को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन सकते थे परंतु उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा और हमेशा क्यों लेकर की भूमिका में रहे और उनका कहना था महाराष्ट्र में सरकार किसी की भी हो लेकिन उस सरकार को चलाना मेरा अधिकार है ठाकरे पर हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगा भड़काने का आरोप लगा था मुंबई में हुए मुसलमानी विरोधी दंगों में करीब 1000 लोग मारे गए थे दंगे के आरोप में बालासाहेब को गिरफ्तार किया गया लेकिन उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार नहीं किया ठाकरे ने कहा कि जो मुसलमान देश में रहते हैं वहां के नियमों के मुताबिक अगर नहीं चलते तो मैं उनका विरोध करता हूं

 

बालासाहेब ठाकरे के बोल अक्सर विवादों में आते थे उन्होंने एक बार बिहारियों को देश के विभिन्न भागों के लिए बोझ करार दिया था वही इंटरव्यू में खुद को पागल हिंदू और हिंदू आतंकवाद का वकील भी कहां करते थे बाघों की छवियों वाले इतिहास में बैठने वाले बालासाहेब ठाकरे को अपने जीवन में दुखों का सामान सामना भी करना पड़ा जब समय से पहले ज्यादा घात लगा उनकी पत्नी मीना को 1995 में मौत हो गई अगले साल उन्होंने अपने सबसे बड़े बेटे विधु माधव को सड़क हादसे में खो दिया वही उन्हें सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उनकी परछाई कहे जाने भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना को 2005 में छोड़ दिया|

 

बालासाहेब ठाकरे हमेशा पाकिस्तान के खिलाफ बोलते थे परंतु एक बार जब जावेद मियांदाद क्रिकेटर भारत आए तो ठाकरे ने उनसे अलग से मुलाकात की वहीं जब मुंबई विरार में संजय दत्त का नाम आया और उनके उतारे हुए ठाकरे ने सुनील दत्त के कांग्रेस पार्टी में होने के बावजूद काफी मदद की बालासाहेब ठाकरे ने कश्मीरी पंडितों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया 1990 में अत्याचार हो रहा था कई लोग जम्मू कश्मीर से बालासाहेब ठाकरे से मिलने आए तो बालासाहेब ठाकरे ने जम्मू कश्मीर के पीड़ित पंडितों के लिए आरक्षण की घोषणा की |

 

बालासाहेब का देहांत:

बालासाहेब का देहांत 17 नवंबर 2012 को हुआ ठाकरे की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके राजकीय सम्मान के साथ विदाई हुई तथा उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई और उस दिन पूरा महाराष्ट्र थम सा गया|  बालासाहेब ठाकरे के मौत दिल का दौरा पड़ने के कारण 86 वर्षों की उम्र में खो गया मातोश्री जोकि बालासाहेब ठाकरे का निवास स्थान है डॉक्टरों ने बाहर आकर बताया कि दोपहर 3:30 बजे बालासाहेब ठाकरे का निधन हो गया है जिस वक्त बालासाहेब ठाकरे अंतिम सांस ले रहे थे उनका बेटा जयदेव और उद्धव वहां मौजूद थे लाइफ सपोर्ट सिस्टम होने के बावजूद बाला साहब ठाकरे को नहीं बचाया जा सका |

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।