अमरप्रीत सिंह काले का अद्भुत सेवा शिविर: महाराजा अग्रसेन जयंती पर उमड़ा जनसैलाब!
जमशेदपुर में महाराजा अग्रसेन जयंती के अवसर पर अमरप्रीत सिंह काले द्वारा आयोजित सेवा शिविर में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। जानें इस आयोजन का महत्व और काले का संदेश।
जमशेदपुर, 03 अक्टूबर 2024: महाराजा अग्रसेन जयंती के खास अवसर पर, जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (जेएनएसी) के समीप एक भव्य सेवा शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का उद्देश्य समाज में सेवा और एकता की भावना को बढ़ावा देना था।
सेवा शिविर का आयोजन
यह सेवा शिविर अमरप्रीत सिंह काले की अनुपस्थिति में उनके सहयोगियों द्वारा सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। शिविर में चाय, शरबत और पानी की नि:शुल्क व्यवस्था की गई। हजारों श्रद्धालुओं ने शिविर में पहुंचकर इस सेवा का लाभ उठाया। सभी ने इस पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
अमरप्रीत सिंह काले का संदेश
अमरप्रीत सिंह काले ने इस अवसर पर कहा, "महाराजा अग्रसेन जी के जीवन से हमें जो सबसे बड़ी प्रेरणा मिलती है, वह है समाज सेवा, एकता और भाईचारे की भावना। उन्होंने हमेशा समानता और सहयोग का संदेश दिया। आज का सेवा शिविर उन्हीं के आदर्शों को समर्पित है।" उन्होंने कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि वे समाज की सेवा करते रहें।
महाराजा अग्रसेन को श्रद्धांजलि
काले ने महाराजा अग्रसेन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "उनका जीवन त्याग और तपस्या का प्रतीक है। वे एक महान शासक थे। उनके द्वारा स्थापित 'अग्रवाल' समाज आज भी उनकी शिक्षाओं का पालन करता है। उनका 'एक ईंट और एक रुपया' का सिद्धांत समानता और सहयोग का सर्वोत्तम उदाहरण है।"
समुदाय की भागीदारी
इस शिविर में नमन, अर्पण और हर हर महादेव सेवा संघ के सदस्य और स्थानीय कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। उन्होंने इस सेवा को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शिविर के समापन के बाद, आयोजन स्थल की सफाई का कार्य भी पूरी जिम्मेदारी से किया गया। यह स्वच्छता और समाजसेवा का संदेश जनमानस में फैलाने का प्रयास था।
सहयोगियों का आभार
अमरप्रीत सिंह काले ने अपने सभी सहयोगियों और युवाओं का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, "आप सभी की निःस्वार्थ सेवा और सहयोग के बिना इस शिविर का सफल होना संभव नहीं था। समाज की भलाई के लिए आपका योगदान हमेशा प्रेरणादायक रहेगा।"
यह सेवा शिविर महाराजा अग्रसेन के आदर्शों को जीवित रखने का एक शानदार प्रयास था। यह न केवल सेवा का प्रतीक था, बल्कि यह समाज में एकता और सहयोग की भावना को भी मजबूत करने का काम कर रहा था।
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