Prayagraj Protest: पीसीएस परीक्षा में मानकीकरण का विरोध, पुलिस की सख्ती से छात्राओं में भय
प्रयागराज में पीसीएस परीक्षाओं में मानकीकरण के विरोध में हजारों छात्र UPPSC के बाहर चौथे दिन भी धरने पर डटे हैं। पुलिस की सख्ती से माहौल गर्म, छात्राओं में डर।
Prayagraj Protest: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षाओं में मानकीकरण (नॉर्मलाइजेशन) लागू करने के खिलाफ छात्रों का गुस्सा चरम पर है। सोमवार सुबह 11 बजे से प्रयागराज में आयोग कार्यालय के बाहर हजारों छात्र एक दिन की परीक्षा और मानकीकरण की वापसी की मांग को लेकर अनशन पर बैठे हुए हैं। धरने का आज चौथा दिन है, लेकिन न तो छात्रों की मांगों का समाधान हुआ है और न ही प्रशासन की तरफ से कोई रियायत मिलती दिख रही है।
गुरुवार सुबह हालात उस समय और बिगड़ गए जब सादी वर्दी में कुछ पुलिसकर्मी अचानक धरना स्थल पर पहुंचे और छात्रों को वहां से हटाने की कोशिश करने लगे। इस दौरान चार छात्रों को जबरन खींच कर ले जाने का प्रयास किया गया, जिससे कई छात्राएं घायल हो गईं और उनका मनोबल टूटता नजर आया। पुलिस की इस कार्रवाई से माहौल तनावपूर्ण हो गया, और छात्रों में डर व गुस्सा दोनों बढ़ गए हैं।
क्या है मानकीकरण और क्यों हैं छात्र विरोध में?
मानकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें परीक्षा के अंक को बराबरी पर लाने के लिए एक समान गणना की जाती है। यह तब होता है जब एक ही परीक्षा कई दिनों में आयोजित की जाती है। हालांकि, छात्रों का मानना है कि यह प्रणाली उनके अंकों पर नकारात्मक असर डालती है और उनकी मेहनत का सही परिणाम नहीं मिल पाता है। वे चाहते हैं कि परीक्षा एक ही दिन में कराई जाए ताकि सभी छात्रों का मूल्यांकन एक समान हो।
छात्रों का कहना है कि आयोग द्वारा एकतरफा नीतियों को लागू करना उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है। कई छात्रों ने इसे अपनी मेहनत और परीक्षा की निष्पक्षता के खिलाफ बताया है और कहा है कि प्रशासन द्वारा बिना नोटिस के इसे लागू करना सरासर अन्याय है।
प्रशासन की अपील और छात्रों का सख्त रुख
बुधवार देर रात, जिला मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार मांदड़, मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत और पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा छात्रों से संवाद करने के लिए पहुंचे। उन्होंने छात्रों से अपील की कि एक प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए भेजा जाए ताकि समस्या का समाधान निकल सके। लेकिन छात्रों ने यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया और मांग की कि जब तक मानकीकरण को पूरी तरह से खत्म करने की नोटिस जारी नहीं होती, वे यहां से हटने वाले नहीं हैं।
छात्रों का कहना है कि प्रशासन केवल उनकी आवाज को दबाने का प्रयास कर रहा है और वे किसी भी कीमत पर अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे। प्रशासन की यह अपील भी नाकाम हो गई और रातभर छात्र आयोग के बाहर डटे रहे, उन्हें आशंका थी कि यदि संख्या कम होती है तो उन्हें जबरन वहां से हटा दिया जाएगा।
पुलिस का हस्तक्षेप और छात्राओं में डर का माहौल
गुरुवार सुबह सादी वर्दी में पहुंचे पुलिसकर्मियों ने धरना स्थल पर मौजूद कुछ छात्रों को घसीटकर बाहर ले जाने की कोशिश की। इस घटना के बाद कई छात्राओं की आंखों में आंसू थे, और वे डर के मारे कांप उठीं। छात्राओं का कहना है कि पुलिस द्वारा इस तरह की सख्ती से वे असुरक्षित महसूस कर रही हैं और उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे अपनी आवाज को दबा दें।
इस दौरान एक छात्र, आशुतोष पांडे, को पुलिस जबरन खींचकर ले जाने का प्रयास कर रही थी, लेकिन अन्य छात्रों ने उन्हें बचा लिया। पुलिस की इस कार्रवाई ने आंदोलन को और भी उग्र बना दिया है, और छात्र अब पहले से ज्यादा ठोस इरादों के साथ अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं।
धरना स्थल पर सुरक्षा सख्त, चारों ओर से सील
स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए प्रशासन ने धरना स्थल को चारों ओर से सील कर दिया है ताकि बाहर से कोई अन्य व्यक्ति अंदर न जा सके। छात्र इसे अपनी आवाज को दबाने की कोशिश बता रहे हैं और कहते हैं कि प्रशासन उनकी संख्या को कम करने के प्रयास में है।
मानकीकरण पर विवाद का इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब मानकीकरण का मुद्दा विवादों में आया है। देशभर में कई प्रतियोगी परीक्षाओं में यह प्रक्रिया लागू की जाती है, लेकिन कई बार इसे लेकर छात्रों में असंतोष देखा गया है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में यह माना गया है कि मानकीकरण से छात्रों के अंकों में अनावश्यक भेदभाव होता है और उनकी मेहनत का सही मूल्यांकन नहीं हो पाता।
वर्तमान में, UPPCS परीक्षाओं में मानकीकरण लागू करना हजारों छात्रों के भविष्य पर असर डाल सकता है। परीक्षाओं में एक दिन की बजाय दो दिन की प्रक्रिया से छात्रों को लगता है कि मानकीकरण का इस्तेमाल करके उनके अंकों को किसी फार्मूले के आधार पर घटाया-बढ़ाया जाएगा, जिससे परीक्षा की पारदर्शिता पर प्रश्न खड़े होते हैं।
आंदोलन का भविष्य और समाधान की तलाश
प्रशासन द्वारा बार-बार अपील के बावजूद छात्र अपने रुख पर कायम हैं और मानकीकरण की वापसी के बिना आंदोलन खत्म करने के मूड में नहीं हैं। लगातार चार दिनों से चले आ रहे इस आंदोलन के बाद अब पूरे देश की नजरें इस मुद्दे पर टिक गई हैं कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाएगा और छात्रों की मांगों को कैसे संतुष्ट करेगा।
छात्रों ने ऐलान कर दिया है कि वे मानकीकरण के खिलाफ इस आंदोलन को जारी रखेंगे और यह तब तक खत्म नहीं होगा जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता। वहीं, प्रशासन के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति बन चुकी है कि कैसे छात्रों और आयोग के बीच समाधान निकाला जाए।
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