IB71 Movie Review in Hindi: जासूसी और विश्वासघात की एक मनोरंजक कहानी

IB71 Movie Review in Hindi

IB71 Movie Review in Hindi: जासूसी और विश्वासघात की एक मनोरंजक कहानी
IB71 Movie Review in Hindi

अगर आप बॉलीवुड के फिल्मों के दीवाने हैं तो आपने द गाजी अटैक राशि और 1971 जैसी कई फिल्में देख चुके होंगे मैं बात कर रहा हूं बॉलीवुड की आने वाली नई फिल्म के बारे में इसका नाम आईबी 71 है यह कहानी है सिकंदर में पूर्वी पाकिस्तान कि लो हुकूमत से आजादी चाहती थी जिसकी भारत में भी पूर्वी पाकिस्तान के लोग भागकर भारत आ रहे थे भारत में लोगों को रहने में बहुत ही परेशानियों का पढ़ रहा था|

साल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के आम लोगों को पाकिस्तानी हुकूमत से आजादी दिलाने के लिए भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जंग का एलान कर दिया था। उस वक्त दुनिया में यह पहली बार हो रहा था कि कोई देश दूसरे देश की आजादी के लिए जंग लड़ रहा हो। अब जंग की जिम्मेदारी लेना एक बड़ा खतरा मोल लेने जैसा था। लेकिन हमारे देश के अधिकारियों और सेना ने हार नहीं मानी। 1971 में इतने गुप्त ऑपरेशन हुए हैं कि अगर हर महीने भी कोई फिल्म बने तो कहानियों की कमी नहीं पड़ेगी। इसी क्रम में अब तक 'द गाजी अटैक', 'राजी' और '1971' जैसी कई फिल्में आ चुकी हैं। अब इस कड़ी में एक नई फिल्म 'आईबी 71' इंटेलिजेंस अफसर के खुफिया मिशन पर आधारित है।

 

1971 की लड़ाई की कहानी 

फिल्म 'आईबी71' इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के एजेंटों द्वारा किए गए एक ऐतिहासिक ऑपरेशन पर आधारित है। कहानी पाकिस्तानी युद्धक विमानों को रोकने के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र को बंद करने की योजना के इर्द-गिर्द घूमती है। पूरे मिशन की जिम्मेदारी आईबी एजेंट देव जामवाल (विद्युत जामवाल द्वारा अभिनीत) के कंधों पर है। देव, 30 अन्य लोगों के साथ मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देता है और पूरे पाकिस्तान को धोखा देने में कामयाब होता है। मिशन को अंजाम देने के लिए देव कश्मीरी लड़कों के एक समूह की मदद लेता है। उनमें से एक, कासिम कुरैशी (विशाल जेठवा द्वारा अभिनीत), एक स्वतंत्र कश्मीर के सपने देखता है।

सच्ची कहानी का कमजोर प्रदर्शन

फिल्म का निर्देशन संकल्प रेड्डी (sankalp Reddy ) ने किया है। संकल्प वहीं हैं जिन्होंने 'गाजी अटैक' जैसी कल्ट फिल्म दी है। लेकिन इस फिल्म में संकल्प ने कहानी को स्वाभाविक रूप से आगे नहीं बढ़ने दिया है। फिल्म दिखाती कम है, बताती ज्यादा है और यही फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी है। इंटरवल से पहले कहानी भावनाओं के ऐसे समंदर में गोते लगाती दिखती है जिसका किनारा फिल्म देखने वालों के सामने तय नहीं है। कहानी से दर्शक के इसी चक्कर में तार नहीं जुड़ पाते हैं। फिल्म इंटरवल के बाद रफ्तार में आती है और परदे पर रोमांच भी सजता है। और, इस दौरान संकल्प ने कहानी के साथ इंसाफ करने की पूरी कोशिश की है।


विद्युत जामवाल का असरदार अभिनय
फिल्म 'आईबी71' (IB 71) के हीरो विद्युत जामवाल ने पहली बार अपने एक्शन से ज्यादा अपने अभिनय पर फोकस रखा है। ये उनके लंबे करियर के लिए जरूरी भी है। विद्युत को सही निर्देशक मिलें तो वह अपनी कद काठी और अपने चेहरे पर आने वाले भावों में साम्य लाकर अच्छे किरदार निभा सके हैं। लेकिन, यहां संकल्प के निर्देशन पर विद्युत का निर्माता होना भारी पड़ता दिखता है। फिल्म में विशाल जेठवा भी हैं। उनका खतरनाक रूप दर्शक 'मर्दानी' में  चुके हैं। लेकिन 'सलाम वेंकी' के बाद से विशाल उन उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करते नहीं दिख रहे हैं, जो उन्होंने अपने प्रशंसकों को दे रखी है। अनुपम खेर अपने चिर परिचित अंदाज में हैं। ऐसी फिल्मों में उनकी भूमिका के खांचे तय कर दिए गए हैं और वह अभिनय भी उसी हिसाब से कर देते हैं।


प्रचार प्रसार में मात खा गई फिल्म

फिल्म 'आईबी71' एक एक्शन थ्रिलर है, लेकिन निर्देशक संकल्प रेड्डी ने विद्युत की ऊर्जा पर लगाम लगाई है। विद्युत के कार में और बाहर कूदने के दृश्यों से बचते हुए, जो उनके हस्ताक्षर बन गए हैं, इस बार संकल्प ने अपनी बुद्धि का प्रदर्शन करके विद्युत को हीरो बनाने की कोशिश की है। फिल्म औसत से थोड़ी बेहतर है। संपादन, पृष्ठभूमि संगीत और विशेष प्रभाव प्रभावशाली हैं। अगर फिल्म का प्रमोशन और रिलीज सही तरीके से किया गया होता और बॉक्स ऑफिस पर इसकी रिलीज के लिए एक बेहतर तारीख चुनी गई होती, तो यह एक सम्मानजनक व्यवसाय कर सकती थी।