West Singhbhum Crisis : राशन कार्डधारियों को हो सकता है बड़ा झटका, ई-केवाईसी न होने पर बंद होगा राशन!
पश्चिमी सिंहभूम जिले में राशन कार्डधारियों के लिए एक अहम सूचना आई है। अगर फरवरी तक ई-केवाईसी पूरा नहीं हुआ तो राशन कार्ड से नाम हट सकते हैं। जानें पूरी जानकारी।
पश्चिमी सिंहभूम जिले में राशन कार्डधारियों के लिए फरवरी 2025 तक एक महत्वपूर्ण समय सीमा तय की गई है। यदि परिवार के सदस्य का आधार सिडिंग (ई-केवाईसी) प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तो उनका नाम राशन कार्ड से हटा दिया जाएगा और राशन वितरण बंद हो सकता है। इस मामले में पश्चिमी सिंहभूम जिले की स्थिति बेहद चिंताजनक है, जहां ई-केवाईसी के काम में बहुत देरी हो चुकी है और जिले का प्रदर्शन सबसे खराब है।
पूरे राज्य में ई-केवाईसी का औसत प्रतिशत 56.96% है, लेकिन पश्चिमी सिंहभूम जिले में यह आंकड़ा अभी तक सिर्फ 40.39% ही है। जिले में कुल 3 लाख 70 हजार 650 राशन कार्ड हैं, जिनमें कुल 13 लाख 24 हजार 802 नाम दर्ज हैं। इनमें से सिर्फ 5 लाख 35 हजार 25 लोगों का ई-केवाईसी हो सका है, जबकि बाकी लगभग 7 लाख 89 हजार 777 लोग अभी भी इस प्रक्रिया से बाहर हैं। अगर फरवरी तक इस काम को नहीं किया गया, तो इन लाभार्थियों के राशन कार्ड से नाम हटा दिए जाएंगे, और उनका राशन बंद हो सकता है।
यह संकट सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि यह सीधे-सीधे जिले के लाखों परिवारों की जरूरतों से जुड़ा हुआ है। खासकर उन परिवारों के लिए जो रोज़ाना अपने जीवन-यापन के लिए सरकारी राशन पर निर्भर रहते हैं। पश्चिमी सिंहभूम के अलग-अलग प्रखंडों में ई-केवाईसी की स्थिति में भारी अंतर देखा जा सकता है। जिले के सबसे पिछड़े प्रखंड हाटगम्हरिया में केवल 22.53% ई-केवाईसी हुआ है। इसके अलावा तांतनगर, मझगांव, और जगन्नाथपुर जैसे प्रखंडों में भी 40% से कम काम हुआ है।
इसके विपरीत, चक्रधरपुर नगर परिषद और कुछ अन्य प्रखंडों में ई-केवाईसी का काम बेहतर हुआ है। चक्रधरपुर में 59.05% तक ई-केवाईसी हो चुका है। हालांकि, जिला मुख्यालय चाईबासा नगर परिषद में भी 47.38% तक ई-केवाईसी हुआ है, जबकि चाईबासा प्रखंड में यह आंकड़ा 44.85% है।
इस मुद्दे को लेकर पश्चिमी सिंहभूम की जिला आपूर्ति पदाधिकारी सुनीला खलको ने सभी संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि फरवरी तक ई-केवाईसी का काम पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर इस काम में और देरी हुई, तो खाद्यान्न उपलब्ध न होने की स्थिति में अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
ई-केवाईसी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो राशन कार्डधारियों की पहचान को सुनिश्चित करने के लिए की जाती है। इसका उद्देश्य सरकारी योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचाना है और इससे भ्रष्टाचार की संभावना को भी कम किया जाता है। हालांकि, पश्चिमी सिंहभूम जिले में इस प्रक्रिया में देरी ने लाखों लोगों के लिए संकट पैदा कर दिया है। अब सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन इस संकट से निपटने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा?
यह स्थिति केवल पश्चिमी सिंहभूम तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य में ई-केवाईसी की प्रक्रिया में देरी से लाखों परिवार प्रभावित हो सकते हैं। क्या राज्य सरकार इस संकट से निपटने के लिए जल्द ही कोई समाधान निकालेगी? यह सवाल अब हर राशन कार्डधारी के मन में उठ रहा है, जो अपनी दैनिक आवश्यकताओं के लिए सरकारी राशन पर निर्भर हैं।
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