Saraikela Police Action: कुचाई में अफीम की खेती का बड़ा खुलासा, चार गिरफ्तार!

सरायकेला जिले में अवैध अफीम की खेती में शामिल चार युवकों को गिरफ्तार किया गया है। जानें कैसे पुलिस ने 16 अफीम के पौधे जब्त कर लिया और अभियान को आगे बढ़ाया।

Jan 31, 2025 - 14:01
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Saraikela Police Action: कुचाई में अफीम की खेती का बड़ा खुलासा, चार गिरफ्तार!
Saraikela Police Action: कुचाई में अफीम की खेती का बड़ा खुलासा, चार गिरफ्तार!

सरायकेला जिले के कुचाई थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए अवैध अफीम की खेती में शामिल चार युवक किसानों को गिरफ्तार किया है। इन किसानों से पुलिस ने 16 अफीम के पौधे भी जब्त किए हैं। यह गिरफ्तारियां तब हुईं जब पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि इलाके में अवैध रूप से अफीम की खेती की जा रही है। अब यह सवाल उठता है कि क्या अफीम की खेती सरायकेला जिले में एक गंभीर समस्या बन चुकी है?

गिरफ्तार किए गए युवकों में कुचाई थाना क्षेत्र के दलभंगा ओपी के मेरोमगंजा गांव के 25 वर्षीय सुखराम मुंडा, 27 वर्षीय बुधराम मुंडा, कुदाडीह निवासी सोना पातर और जामडीह निवासी 25 वर्षीय दीपू प्राधन शामिल हैं। पुलिस ने इन आरोपियों के खेतों से अफीम के पौधे बरामद किए और इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। यह मामला पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अफीम निरोधक अभियान का हिस्सा है, जिसे एसपी मुकेश कुमार लुणायल के नेतृत्व में चलाया जा रहा है।

एसडीपीओ समीर कुमार सवैया ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि लगातार जागरूकता अभियान और विनष्टीकरण के बाद अब गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो चुका है। उन्होंने बताया कि गुप्त सूचना मिलने के बाद पुलिस ने दलभंगा ओपी के मेरमगंजा गांव में छापेमारी की। यहां कुल 3.70 एकड़ में फैली अवैध अफीम की खेती को नष्ट कर दिया गया। इस दौरान पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया और उन्हें कानूनी कार्रवाई के लिए पेश किया।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह अभियान अब तक सफल रहा है और जिले में अवैध अफीम की खेती में कमी आई है। इस साल अब तक पुलिस ने 317 एकड़ में फैली अफीम की खेती को नष्ट किया है। अनुमान है कि जिले में करीब 500 एकड़ में अवैध अफीम की खेती हो रही है, लेकिन पुलिस ने अब तक 80% जमीन पर हो रही अफीम की खेती को नष्ट कर दिया है।

एसडीपीओ समीर कुमार सवैया ने आगे कहा कि यह अभियान केवल पुलिस की कार्रवाई तक सीमित नहीं है। अब ग्रामीण भी जागरूक हो गए हैं और वे अपनी ज़मीनों पर हो रही अवैध अफीम की खेती को खुद नष्ट कर रहे हैं। इसके साथ ही, ग्रामीणों का रुझान अब पारंपरिक खेती की ओर बढ़ रहा है, जो एक सकारात्मक बदलाव है।

इस अभियान का एक बड़ा उद्देश्य अफीम की खेती को जड़ से समाप्त करना और किसानों को वैकल्पिक कृषि गतिविधियों की ओर मोड़ना है। हालांकि, यह अभियान अब तक केवल जिले के कुछ हिस्सों में ही प्रभावी दिखाई दे रहा है। क्या आने वाले समय में पुलिस इस अभियान को और बढ़ावा दे पाएगी? और क्या ग्रामीणों के बीच यह जागरूकता का स्तर पूरे जिले में फैल पाएगा?

यह कार्रवाई यह भी दिखाती है कि पुलिस अब अवैध अफीम की खेती पर गंभीरता से काम कर रही है। क्या आने वाले समय में जिले में अफीम की खेती पूरी तरह से समाप्त हो पाएगी, या यह समस्या बढ़ती ही जाएगी? यह सवाल अब पूरे सरायकेला जिले के सामने है।

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