Jamtara Scam: झारखंड के ठगों ने तैयार की फर्जी ऐप, चैट जीपीटी से हुआ हाईटेक ठगी का खुलासा!
झारखंड के साइबर अपराधियों ने फर्जी ऐप्स और चैट जीपीटी का इस्तेमाल कर लाखों की ठगी की। जानें कैसे ये ठग एंटी वायरस से बचकर आपके डेटा को चुराते हैं।
झारखंड के साइबर अपराधी अब डिजिटल दुनिया में हाईटेक ठगी के नए तरीके अपना रहे हैं। हाल ही में जामताड़ा के ठगों के एक गिरोह के गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ कि ये ठग अब चैट जीपीटी का इस्तेमाल कर फर्जी ऐप्स तैयार कर रहे हैं, जो न केवल एंटी वायरस से बचते हैं, बल्कि आपके व्यक्तिगत डेटा को भी चुरा लेते हैं। यह तरीका पूरी तरह से नया और खतरनाक है, और इसका शिकार आप भी हो सकते हैं।
जामताड़ा में डीके बोस के नाम से प्रसिद्ध ठगों के समूह की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने एक बड़ा खुलासा किया। इन ठगों ने 11 करोड़ से अधिक की ठगी की थी। इस गिरोह में मो महबूब आलम, सफुद्दीन अंसारी, आरिफ, जसीम, एसके बेलाल और अजय मंडल जैसे साइबर अपराधी शामिल थे। पूछताछ के दौरान यह पता चला कि इन अपराधियों ने पिछले कुछ महीनों में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से ऑनलाइन ट्रेनिंग ली थी, जिसमें उन्हें फर्जी ऐप्स बनाने का तरीका सिखाया गया था। इसके बाद, जावा प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल कर सरकारी योजनाओं के नाम पर ऐप्स बनाए गए।
जांच में यह बात सामने आई है कि इन ठगों ने चैट जीपीटी का इस्तेमाल कर एआई-आधारित चैटबॉट तैयार किया। जब कभी इन ऐप्स में कोई तकनीकी दिक्कत आती, तो ये चैट जीपीटी से नया कोड जेनरेट कराते थे। इसका फायदा यह था कि ये ऐप्स एंटी वायरस की पकड़ से बाहर रहते थे, जिससे यह किसी भी सिक्योरिटी सॉफ़्टवेयर द्वारा पकड़े नहीं जाते थे। इस प्रकार, ये ठग एपीके फाइल के जरिए इन फर्जी ऐप्स को उपभोक्ताओं के फोन में इंस्टॉल करवा लेते थे।
फर्जी ऐप इंस्टॉल होते ही, इन ठगों को मोबाइल में मौजूद बैंक खाते, ओटीपी, एसएमएस और कॉल डेटा की जानकारी मिल जाती थी। इस डाटा को मॉनिटर करने के लिए ठगों ने एक अलग वेबसाइट भी तैयार की थी। इसका मतलब है कि इन अपराधियों के पास आपके निजी डेटा तक पूरी पहुंच होती थी, और वे इस डेटा का गलत इस्तेमाल कर सकते थे। यह न केवल आपके बैंक खाते की सुरक्षा के लिए खतरा था, बल्कि आपके व्यक्तिगत जीवन से जुड़े तमाम महत्वपूर्ण डेटा भी इन अपराधियों के पास पहुंच रहे थे।
चैट जीपीटी का इस्तेमाल करने वाले इस ठगी के नए तरीके ने साइबर सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती पैदा कर दी है। अब सवाल यह उठता है कि क्या इन अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और कैसे आम लोग इस प्रकार की ठगी से बच सकते हैं?
साइबर अपराधियों की यह तकनीकी चालाकी सिर्फ शुरुआत है, और सरकार और पुलिस प्रशासन को इस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि आपने कभी सरकारी योजनाओं से संबंधित कोई ऐप डाउनलोड किया है, तो यह सुनिश्चित करें कि वह ऐप आधिकारिक और विश्वसनीय हो। इसके अलावा, किसी भी ऐप को इंस्टॉल करने से पहले उसकी समीक्षा और सुरक्षा सेटिंग्स को जांचना बेहद जरूरी है।
यह एक गंभीर चेतावनी है कि हम अपने डिजिटल जीवन को सुरक्षित रखने के लिए और भी सतर्क रहें। इन ठगों के इस हाईटेक तरीके ने यह साबित कर दिया है कि साइबर अपराध दिन-प्रतिदिन और भी जटिल होते जा रहे हैं। क्या हम इस नए साइबर ठगी के मॉडल को तोड़ पाएंगे? इसका जवाब केवल समय ही दे पाएगा।
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