Ranchi Virus GBS : रांची में मिला GBS वायरस, जानिए कितना खतरनाक है यह संक्रमण!

रांची में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) वायरस के लक्षण वाली बच्ची का मामला सामने आया। जानें इस खतरनाक बीमारी के बारे में और कैसे होता है इसका इलाज।

Jan 31, 2025 - 14:13
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Ranchi Virus GBS  : रांची में मिला GBS वायरस, जानिए कितना खतरनाक है यह संक्रमण!
Ranchi Virus: रांची में मिला GBS वायरस, जानिए कितना खतरनाक है यह संक्रमण!

झारखंड के रांची में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) वायरस का पहला संदिग्ध मामला सामने आने के बाद से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। रांची की एक साढ़े पांच साल की बच्ची में इस वायरस के लक्षण पाए गए हैं, जिसके बाद इलाज के लिए उसे रांची के बालपन चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती किया गया है। इस वायरस के संदिग्ध मामले ने न केवल डॉक्टरों बल्कि पूरे शहर को चिंता में डाल दिया है।

रांची के सिविल सर्जन डॉ. प्रभात ने बताया कि बच्ची के स्टूल का सैंपल लिया गया है, जिसे जांच के लिए पुणे भेजा गया है। डॉक्टरों के अनुसार, बच्ची को पिछले एक हफ्ते से इलाज मिल रहा है और उसे गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बालपन अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश ने बताया कि सात दिन पहले बच्ची में GBS (गुइलेन-बैरे सिंड्रोम) के लक्षण पाए गए थे। इसके बाद सीएसएफ टेस्ट और एनसीवी टेस्ट में बच्ची पॉजिटिव पाई गई।

डॉ. राजेश के अनुसार, इस वायरस के कारण शरीर के निचले अंगों की नसों में कमजोरी आती है, जिससे मरीज चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है। इसके साथ ही, शरीर के विभिन्न अंगों में हलचल की समस्या उत्पन्न हो जाती है और सांस लेने में भी परेशानी हो सकती है। इस बच्ची के मामले में, निचली नसों के कमजोर होने के कारण एक दिन के भीतर रेस्पिरेटरी मसल्स पैरालाइज्ड हो गए थे। यह वायरस पोलियो की तरह लक्षण पैदा करता है, जिसमें नसें कमजोर होने लगती हैं और मरीज को शारीरिक क्रियाओं में कठिनाई होने लगती है।

डॉ. राजेश ने बताया कि इस समय बच्ची को IVIG का पहला कोर्स दिया जा चुका है, और जल्द ही दूसरा कोर्स भी शुरू किया जाएगा। अगर बच्ची का इलाज इन प्रक्रियाओं से ठीक नहीं होता है, तो उसे प्लाज्मा फेरेसिस की प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है। हालांकि, रांची में इस तरह के इलाज की प्रक्रिया अभी तक नहीं हुई है, लेकिन कुछ मेडिकल सेंटरों से इस विधि के लिए संपर्क किया जा रहा है।

GBS वायरस के लक्षणों में शरीर के निचले हिस्से से ऊपर की ओर नसों की कमजोरी आती है, जिससे मरीज को लैट्रिन और पेशाब करने में भी समस्या होती है। साथ ही, मरीज को खाना निगलने में भी कठिनाई होती है और सांस लेने में परेशानी महसूस होती है। यह वायरस तेजी से फैल सकता है और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित कर सकता है। इसे पोलियो के लक्षणों से मिलते-जुलते माना जाता है, और इस वायरस का पता स्टूल टेस्ट से लगाया जाता है, जैसा कि पोलियो के लिए किया जाता है।

रांची में GBS वायरस के इस संदिग्ध मामले ने स्वास्थ्य विभाग और डॉक्टरों को सतर्क कर दिया है। यह वायरस कैसे फैलता है और इसके इलाज के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, इस पर अभी भी शोध चल रहे हैं। यदि यह वायरस बढ़ता है, तो यह झारखंड और देश के अन्य हिस्सों में एक बड़ा स्वास्थ्य संकट बन सकता है।

GBS वायरस से जुड़ी जानकारी और इसके लक्षणों को जानना अत्यंत आवश्यक है ताकि लोग इस खतरनाक संक्रमण से बच सकें। क्या यह बीमारी अब झारखंड के लिए एक नई चुनौती बनने जा रही है? क्या रांची और अन्य क्षेत्रों में इसके प्रसार को रोका जा सकेगा? इन सवालों के जवाब अब स्वास्थ्य विभाग और डॉक्टरों के विशेषज्ञों के हाथ में हैं।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।