West Singhbhum Blast: जंगल में लकड़ी लेने गई किशोरी की आइईडी विस्फोट से दर्दनाक मौत, जानिए पूरा मामला
पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा जंगल में लकड़ी लेने गई किशोरी की आइईडी विस्फोट से मौत। जानिए पूरा मामला और प्रशासन की प्रतिक्रिया।
पश्चिमी सिंहभूम जिले के जराइकेला थाना क्षेत्र के तिरिलपोसी गांव में 7 जनवरी की सुबह एक दर्दनाक घटना सामने आई। एक किशोरी की मौत नक्सलियों द्वारा लगाए गए प्रेशर आइईडी के विस्फोट से हो गई। यह हादसा तब हुआ जब किशोरी जलावन के लिए लकड़ी लेने सारंडा जंगल के तिरिलपोसी और थलकोबाद सीमा स्थित रादापोड़ा इलाके में गई थी।
कैसे हुआ हादसा?
ग्रामीणों के अनुसार, लकड़ी इकट्ठा करते समय किशोरी का पैर नक्सलियों द्वारा पहले से लगाए गए प्रेशर आइईडी पर पड़ गया। विस्फोट इतना तेज था कि किशोरी की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। पुलिस अधीक्षक अशुतोष शेखर ने इस दुखद घटना की पुष्टि की है।
क्यों लगाते हैं नक्सली आइईडी?
सारंडा जंगल, जो कि पश्चिमी सिंहभूम का हिस्सा है, लंबे समय से नक्सली गतिविधियों का केंद्र रहा है। नक्सली सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए भारी संख्या में आइईडी लगाते हैं। इन विस्फोटकों का उद्देश्य सुरक्षा बलों की गश्त में बाधा डालना और भय का माहौल बनाना होता है।
सारंडा जंगल का इतिहास
सारंडा जंगल, जो एशिया का सबसे बड़ा साल वनों में से एक है, नक्सली गतिविधियों के लिए कुख्यात रहा है। 90 के दशक से यह इलाका माओवादियों के कब्जे में रहा है। यहां नक्सली अक्सर सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए आईईडी बिछाते हैं, जिससे ग्रामीणों को भी जान का खतरा बना रहता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद पुलिस और सुरक्षा बलों ने इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है। ग्रामीणों को जंगलों में सतर्कता बरतने और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने की सलाह दी गई है।
सवाल उठते हैं?
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ग्रामीणों की सुरक्षा कब सुनिश्चित होगी?
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नक्सलियों की यह रणनीति कब तक चलेगी?
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प्रशासन द्वारा ऐसे इलाकों में सुरक्षा के क्या इंतजाम किए जा रहे हैं?
यह दर्दनाक घटना एक बार फिर साबित करती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है। सरकार और सुरक्षाबलों को चाहिए कि वे ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करें ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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