Masan Holi : श्मशान की राख से खेली जाती है मसान होली, रहस्य जानकर रह जाएंगे दंग!

वाराणसी में खेली जाने वाली मसान होली दुनिया की सबसे रहस्यमयी होली मानी जाती है। जानिए क्यों चिता की राख से खेली जाती है यह अनोखी होली और क्या है इसका आध्यात्मिक रहस्य।

Feb 25, 2025 - 10:10
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Masan Holi : श्मशान की राख से खेली जाती है मसान होली, रहस्य जानकर रह जाएंगे दंग!
Masan Holi : श्मशान की राख से खेली जाती है मसान होली, रहस्य जानकर रह जाएंगे दंग!

वाराणसी में क्यों मनाई जाती है अनोखी मसान होली?

होली का त्योहार आमतौर पर रंगों, उमंग और उल्लास का प्रतीक होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र नगर वाराणसी में एक अनोखी होली खेली जाती है, जिसे ‘मसान होली’ कहा जाता है? यहां गुलाल या रंग नहीं, बल्कि श्मशान की राख उड़ती है। जी हां, काशी के मणिकर्णिका घाट पर यह रहस्यमयी होली खेली जाती है, जो जीवन और मृत्यु के रहस्यों को दर्शाती है।

क्या है मसान होली का रहस्य?

काशी में मसान होली का आयोजन रंगभरी एकादशी के अगले दिन किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस अनूठी परंपरा का संबंध भगवान शिव से है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव पहली बार माता पार्वती का गौना कराकर काशी आए, तब उन्होंने रंगभरी एकादशी के दिन रंगों से होली खेली। लेकिन उनके गण – भूत, प्रेत, पिशाच और अघोरी – इस उत्सव में शामिल नहीं हो सके। उनकी भक्ति को देखकर, शिव ने अगले दिन उनके साथ मणिकर्णिका घाट पर भस्म (चिता की राख) से होली खेली। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

मसान होली: मृत्यु पर विजय का उत्सव!

भगवान शिव को मृत्यु और पुनर्जन्म का स्वामी माना जाता है। वाराणसी को मोक्षदायिनी नगरी कहा जाता है, जहां मृत्यु को भी उत्सव की तरह मनाया जाता है। यही कारण है कि यहां होली चिता की राख से खेली जाती है, जो मृत्यु को स्वीकार करने और जीवन के असली स्वरूप को समझने का प्रतीक है। मसान होली यह संदेश देती है कि मृत्यु अंत नहीं, बल्कि एक नई यात्रा की शुरुआत है।

कैसे मनाई जाती है मसान होली?

मसान होली वाराणसी के प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट पर विशेष अनुष्ठान और परंपराओं के साथ मनाई जाती है। इस दौरान शिव भक्त, अघोरी, साधु-संत और श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।

  1. शिव पूजन और हवन: इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है और हवन किया जाता है।

  2. भस्म से होली: अंतिम संस्कार के बाद बची हुई चिता की राख को एक-दूसरे पर लगाकर यह अनोखी होली खेली जाती है।

  3. शिव तांडव नृत्य: अघोरी और नागा साधु इस दिन शिव तांडव नृत्य करते हैं, जिससे माहौल रहस्यमय और अद्भुत हो जाता है।

  4. हर-हर महादेव के जयकारे: पूरे मणिकर्णिका घाट पर ‘हर-हर महादेव’ के गगनभेदी नारे गूंजते हैं।

पौराणिक कथा: जब शिव ने यमराज को हराया!

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार जब यमराज एक शिव भक्त को लेने आए, तो भगवान शिव ने उन्हें पराजित कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपने शरीर पर चिता की राख मलकर और अपने गणों के साथ भस्म होली खेली। यह घटना मृत्यु पर शिव की सर्वोच्चता को दर्शाती है। यही कारण है कि मसान होली को मृत्यु पर विजय का पर्व माना जाता है।

हर 12 साल में विशेष मसान होली!

हालांकि मसान होली हर साल मनाई जाती है, लेकिन हर 12 वर्षों में इसे विशेष रूप से मनाया जाता है। इसका संबंध कुंभ और महाकुंभ के बारह वर्षीय चक्र से जोड़ा जाता है। इस दौरान वाराणसी में बड़ी संख्या में शिवभक्त और अघोरी साधु एकत्रित होकर भव्य रूप से इस होली का आयोजन करते हैं। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस समय विशेष ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो साधकों को आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की ओर ले जाती है।

मसान होली का आध्यात्मिक संदेश

मसान होली केवल एक अनोखा त्योहार नहीं, बल्कि गहरी आध्यात्मिक और दार्शनिक अवधारणा को भी प्रस्तुत करता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मृत्यु का भय छोड़कर जीवन को पूरी तरह से जीना ही असली सत्य है।

वाराणसी की मसान होली का अनुभव करें!

अगर आप भी इस रहस्यमयी और अद्भुत त्योहार का अनुभव करना चाहते हैं, तो अगली होली पर वाराणसी जरूर जाएं। यहां की मसान होली आपको जीवन और मृत्यु के गूढ़ रहस्यों से परिचित कराएगी और भगवान शिव की भक्ति में डुबो देगी।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।