उड़ता युवा - सुनील कुमार खुराना 

आज के युग का उड़ता युवा । खेल रहा वह जीवन से जुआ ।। युवाओं की आज बिगड़ी संगत । संगत से ही मिलती सदा रंगत ।।.....

Jan 7, 2025 - 16:01
Jan 7, 2025 - 16:14
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 उड़ता युवा  - सुनील कुमार खुराना 
 उड़ता युवा - सुनील कुमार खुराना 

उड़ता युवा 

आज के युग का उड़ता युवा ।
खेल रहा वह जीवन से जुआ ।।
युवाओं की आज बिगड़ी संगत ।
संगत से ही मिलती सदा रंगत ।।


गफलत में होते आज के युवा ।
नहीं देखते आगे खाई है या कुआं ।।
सब युवा करते अपनी मनमानी ।
नशें में बर्बाद कर रहे जिंदगानी ।।


घर-घर में हो रहा नशे से नाश।
युवा कर जीवन का सत्यनाश ।।
समझ नहीं पा रहे इसका आभास ।
रिश्तों में नशा ला रहा सबके खटास ।।


आज गली मोहल्ले में बने नशे के अड्डे ।
नशे के अड्डें वालों को मारने पड़ेंगें डंडे ।।
युवाओं को नशे से सबको बचाना है ।
अपना भारत देश नशा मुक्त बनाना है ।

स्वरचित और मौलिक कविता

सर्वाधिकार सुरक्षित 
  सुनील कुमार खुराना 
 नकुड़ सहारनपुर 
  उत्तर प्रदेश भार

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