Tiger Terror IN JHARKHAND: झारखंड में बाघ की दहशत, स्कूल जाते शिक्षक भी हो रहे हैं डर से सहमे

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में बाघ के कारण ग्रामीण और शिक्षक भयभीत हैं। बाघ की दहशत से स्कूल जाते शिक्षक भी हाथ में डंडा लेकर सफर कर रहे हैं।

Jan 25, 2025 - 10:26
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Tiger Terror IN JHARKHAND: झारखंड में बाघ की दहशत, स्कूल जाते शिक्षक भी हो रहे हैं डर से सहमे
Tiger Terror IN JHARKHAND: झारखंड में बाघ की दहशत, स्कूल जाते शिक्षक भी हो रहे हैं डर से सहमे

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला क्षेत्र में एक बाघ ने इन दिनों ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना दिया है। खासकर झाटीझरना के स्कूलों के शिक्षक अब अपने स्कूल जाने के लिए हाथ में डंडा लेकर सफर कर रहे हैं। गुरुवार शाम को माकुली से झाटीझरना जाने वाली सड़क पर बाघ देखे जाने की घटना ने पूरे इलाके में खलबली मचा दी है।

बाघ के सामने आने से बढ़ी दहशत

घाटशिला रेंज के माकुली से झाटीझरना जाने वाली सड़क पर शुक्रवार शाम करीब छह बजे बाघ देखा गया था। कीनाराम सोरेन, जो बाइक से अपने घर लौट रहे थे, ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि जैसे ही वह माकुली के पास पहुंचे, उन्होंने सड़क पर एक बड़ा बाघ देखा, जो करीब 100 फीट की दूरी पर बैठा था। बाघ को देखकर वह डर से कांपने लगे और तुरंत बाइक घुमा कर घाटशिला की ओर भागे।

क्या हुआ बाद में?

कीनाराम ने अपनी जान बचाई, लेकिन उसने गांव के चार-पाँच लोगों को यह खबर दी और कहा कि सभी को सतर्क रहना चाहिए। इस सूचना के बाद, वह लोग डंडा लेकर धीरे-धीरे सड़क पर आगे बढ़े। फिर, धीरे-धीरे सभी लोग डरते-डरते अपने गांव लौटे।

क्या बैल का शिकार हुआ बाघ का?

इस बीच, माकुली के एक किसान का बैल लापता हो गया है। इस पर गांव के लोग और वन विभाग दोनों ही यह आशंका जता रहे हैं कि बाघ ने ही इस बैल का शिकार किया होगा। हालांकि, वन विभाग ने बैल के अवशेषों को ढूंढने के लिए पूरे दिन माकुली जंगल में जांच की, लेकिन न तो बैल का अवशेष मिला और न ही बैल। फिर शाम के बाद वन विभाग की टीम जंगल से बाहर लौट आई।

बाघ के पदचिन्ह से बढ़ी चिंता

इसके बाद, बाघ के पदचिन्ह फिर से देखने को मिले और कई गांवों में डर का माहौल बन गया। सीमावर्ती गांव जैसे बासाडेरा, डाइनमारी, माकुली, झाटीझरना, फूलझोर, काशीडांगा, गाड़ूपानी और भुमरू के लोग इन दिनों बाघ के आतंक से डर रहे हैं। ये सभी गांव एक ही पहाड़ी क्षेत्र में आते हैं, और यहां पिछले कुछ दिनों से बाघ का विचरण देखा जा रहा है। पहले आमबेड़ा, फिर डुमकाकोचा, और अब बासाडेरा में बाघ के पदचिन्ह मिले हैं।

शिक्षकों का डर से जूझना

झाटीझरना के स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक अब बाघ के डर से स्कूल जाने के लिए डंडा लेकर निकल रहे हैं। शिक्षक डॉ. कमर अली, किशोर कुमार बांद्रा, मनीष कुमार ओझा, और सोमनाथ सोरेन ने बाघ के होने की पुष्टि के बाद अपनी सुरक्षा के लिए हाथ में डंडा लिया। वे स्कूल जाने के लिए डरते-डरते रास्ते पर निकलते हैं और जिस जगह बाघ के पंजे के निशान मिले थे, उस स्थान को भी देख चुके हैं।

कितना खतरनाक है यह बाघ?

अब सवाल यह उठता है कि यह बाघ कितना खतरनाक हो सकता है और क्यों वह इस इलाके में घूम रहा है? क्या यह बाघ किसी प्रकार से शिकार की तलाश में है, या फिर वह बस अपनी सीमा का पता लगा रहा है? इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए वन विभाग और स्थानीय लोग भी अपने स्तर पर जांच कर रहे हैं।

क्या कर रहा है वन विभाग?

वन विभाग ने पहले से ही बाघ की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया है। उन्होंने आसपास के सभी गांवों में सतर्कता अभियान चला दिया है और लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए विशेष दिशा-निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए कड़ी कार्रवाई की योजना बनाई है, ताकि इस क्षेत्र के लोग पूरी तरह सुरक्षित रहें।

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