West Singhbhum Blast: सारंडा जंगल में IED ब्लास्ट, CRPF के दो जवान घायल, इलाके में बढ़ी हलचल
झारखंड के सारंडा जंगल में बड़ा IED ब्लास्ट। नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान CRPF के दो जवान घायल। जानिए पूरा मामला और अब आगे क्या होगा।

पश्चिम सिंहभूम: झारखंड के सारंडा जंगल में शनिवार को बड़ा आईईडी ब्लास्ट हुआ, जिसमें सीआरपीएफ के दो जवान घायल हो गए। इनमें से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिसे इलाज के लिए रांची एयरलिफ्ट किया गया। घटना उस वक्त हुई जब सुरक्षा बल नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चला रहे थे।
IED ब्लास्ट से कांप उठा जंगल, हर कदम पर बिछी मौत
झारखंड का सारंडा जंगल नक्सल गतिविधियों का गढ़ माना जाता है। यहां नक्सली कमांडर अपने दस्ते के साथ सक्रिय हैं और जगह-जगह आईईडी बिछा रखी है। इन खतरनाक विस्फोटकों पर पैर पड़ते ही तेज धमाका हो जाता है, जिससे अब तक कई जवान शहीद हो चुके हैं।
शनिवार को भी सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ा था, लेकिन जैसे ही जवान जंगल के अंदर बढ़े, पहले से बिछाए गए आईईडी बम में धमाका हो गया। इस हमले में सीआरपीएफ के एक इंस्पेक्टर और एक जवान घायल हो गए।
सारंडा जंगल - जहां हर पेड़ के पीछे छिपा है खतरा
सारंडा जंगल झारखंड का सबसे घना और दुर्गम इलाका है। यह नक्सलियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन चुका है।
इतिहास: यह जंगल कभी भारत का सबसे बड़ा सल-वन क्षेत्र था, लेकिन 90 के दशक में नक्सली गतिविधियों का केंद्र बन गया। यहां घने पेड़ों के बीच नक्सली गुप्त ठिकाने बना चुके हैं और हर रास्ते पर घातक आईईडी बिछा रखी है।
पिछली घटनाएं:
- 2022: इसी इलाके में IED ब्लास्ट में 3 जवान शहीद हुए थे।
- 2023: एक बड़े ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने 500 किलो विस्फोटक बरामद किए थे।
नक्सल ऑपरेशन में अब तक क्या हुआ
- हर दिन जंगल से IED बरामद हो रहे हैं।
- कई नक्सल ठिकाने ध्वस्त किए जा चुके हैं।
- नक्सली डंप से भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक मिले हैं।
सुरक्षा बल लगातार ऑपरेशन चला रहे हैं, लेकिन नक्सली भी हर कदम पर मौत बिछाए बैठे हैं।
क्या अब सारंडा जंगल से खत्म होगा नक्सलियों का कब्जा
सवाल उठता है कि सरकार कब तक इन हमलों का सिर्फ जवाब देती रहेगी। कब तक जवानों को बिना किसी ठोस रणनीति के आईईडी की बिछी इस मौत के जाल में भेजा जाता रहेगा।
विशेषज्ञों की राय:
- सिर्फ जवाबी कार्रवाई से नक्सलवाद खत्म नहीं होगा। सरकार को जमीनी स्तर पर विकास कार्य तेज करने होंगे, ताकि स्थानीय लोगों का विश्वास जीता जा सके।
- तकनीकी रूप से उन्नत उपकरणों का इस्तेमाल कर सुरक्षा बलों को IED से बचाने के उपाय करने होंगे।
आगे क्या
- क्या सरकार अब इस इलाके में सुरक्षा रणनीति बदलेगी
- क्या नक्सलियों के खिलाफ और सख्त कार्रवाई होगी
- क्या अब इस जंगल को IED मुक्त किया जाएगा
सवाल बहुत हैं, लेकिन जवाब अभी भी अधूरे हैं। झारखंड का यह जंगल कब तक नक्सलियों का गढ़ बना रहेगा यह सवाल हर देशभक्त नागरिक के मन में है।
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