Saraikela Accident: राजमिस्त्री की मौत से गांव में पसरा मातम, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
सरायकेला खरसावां जिले के राजनगर थाना क्षेत्र के गोविंदपुर गांव में सड़क हादसे ने परिवार की खुशियां छीन लीं। 53 वर्षीय लखिन्द्र मार्डी की तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आकर मौत हो गई। पढ़ें पूरी घटना और दर्दनाक माहौल की कहानी।

बुधवार की सुबह झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर थाना क्षेत्र के गोविंदपुर गांव में एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे इलाके को गहरे सदमे में डाल दिया। गांव के 53 वर्षीय लखिन्द्र मार्डी, जो पेशे से राजमिस्त्री थे, रोज़ की तरह सुबह-सुबह शौच के लिए निकले थे। लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह सुबह उनके जीवन की आखिरी सुबह होगी।
हादसा कैसे हुआ?
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, लखिन्द्र मार्डी जब सड़क पार कर रहे थे, तभी एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भयानक थी कि वे सड़क पर गिरते ही गंभीर रूप से घायल हो गए। मौके पर मौजूद ग्रामीण उन्हें तत्काल नज़दीकी अस्पताल ले गए।
अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए एमजीएम अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। एमजीएम में जांच के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
गांव में मातम और परिवार का दर्द
लखिन्द्र मार्डी परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य थे। उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं, जिनकी पूरी जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। हादसे की खबर मिलते ही जब परिजन अस्पताल पहुंचे, तो वहां का माहौल दिल दहला देने वाला था। चीख-पुकार और आंसुओं से भरे उस दृश्य को देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।
गांव में भी शोक की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों का कहना है कि सुबह-सुबह इस सड़क से अक्सर तेज रफ्तार वाहन गुजरते हैं और प्रशासन इस पर कोई ध्यान नहीं देता। हादसे के बाद ग्रामीणों ने नाराजगी जताई और सड़क सुरक्षा की मांग की।
पुलिस की कार्रवाई
सूचना पाकर राजनगर थाना पुलिस भी अस्पताल पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अज्ञात वाहन की पहचान की जा रही है और जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।
सड़क हादसे और झारखंड की स्थिति
झारखंड में सड़क हादसों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। परिवहन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य में हर साल हजारों लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार बनते हैं। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में सड़क सुरक्षा के मानकों की अनदेखी और तेज रफ्तार वाहन हादसों की बड़ी वजह हैं।
गोविंदपुर गांव में हुई यह घटना कोई पहली नहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि इसी सड़क पर पहले भी कई बार छोटे-बड़े हादसे हो चुके हैं। लेकिन हर बार मामला रफा-दफा हो जाता है और सड़क सुरक्षा पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।
परिवार के लिए भविष्य की चिंता
लखिन्द्र मार्डी के निधन के बाद उनके परिवार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पत्नी और बेटियां अब भविष्य की चिंता में डूबी हुई हैं। गांववाले भी परिवार के सहारे के लिए आगे आ रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या किसी परिवार का सहारा छिनने के बाद ही प्रशासन हरकत में आएगा?
जनता का सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि अगर सड़क पर स्पीड ब्रेकर या ट्रैफिक पुलिस की सख्ती होती, तो शायद यह हादसा टल सकता था। ऐसे हादसे यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि आखिर कब तक लापरवाही और तेज रफ्तार की भेंट चढ़ते रहेंगे मासूम लोग?
यह घटना सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि पूरे राज्य की उस सच्चाई को उजागर करती है, जहां सड़क सुरक्षा अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। सवाल उठता है – क्या प्रशासन अब जागेगा और सड़क सुरक्षा पर सख्ती से अमल करेगा, या फिर अगला हादसा होने का इंतजार करेगा?
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