Saraikela Shok Sabha: उत्कल मनी आदर्श पाठागार के सर्वेश्वर सुथार का निधन, शोक सभा में दी गई श्रद्धांजलि
सरायकेला में उत्कल मनी आदर्श पाठागार के सदस्य सर्वेश्वर सुथार के निधन पर शोक सभा का आयोजन किया गया। जानें उनकी प्रेरणादायक जीवन यात्रा और योगदान।
सरायकेला: उत्कल मनी आदर्श पाठागार, सरायकेला ने अपनी संस्था के एक महान सदस्य, सर्वेश्वर सुथार जी के निधन पर एक शोक सभा का आयोजन किया। यह सभा नाटक भवन में आयोजित की गई, जहां संस्था के वरिष्ठ सदस्य श्री चंद्रशेखर कर की अध्यक्षता में सभा संपन्न हुई। सर्वेश्वर सुथार जी की 87 वर्ष की आयु में निधन की सूचना से समस्त समुदाय शोकाकुल हो गया। उनकी इस अपूरणीय क्षति पर शोक व्यक्त करने के लिए उपस्थित सभी ने दो मिनट का मौन धारण किया और उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
सर्वेश्वर सुथार: एक मिलनसार व्यक्तित्व
सर्वेश्वर सुथार जी का जीवन एक प्रेरणा था। उनके निधन के मौके पर संस्था के महासचिव जलेश कवि, सहसचिव पवन कवि, खेल सचिव भोला महंती, और अन्य वरिष्ठ सदस्य प्रदीप आचार्य, अजय मिश्रा, चिरंजीवी महापात्र, काशीनाथ कर, हलधर दास, दुखु कर, चक्र मोहंती, टुना कवि एवं अन्य सभी सदस्यों ने उनकी जीवन यात्रा पर प्रकाश डाला। सभी ने बताया कि सर्वेश्वर सुथार एक साधारण और मिलनसार व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी निस्वार्थ सेवा और योगदान से उत्कल मनी आदर्श पाठागार को कई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
सुथार जी ने अपने जीवन में उत्कल मनी आदर्श पाठागार के लिए केवल आर्थिक नहीं, बल्कि शारीरिक रूप से भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका योगदान हमेशा संस्थान की उन्नति के लिए था और वे इस संस्था को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा चिंतित रहते थे। उन्होंने हमेशा समाज सेवा को प्राथमिकता दी और हर मोर्चे पर अपनी मदद से संस्था को एक नई दिशा दी।
उड़ीसा के द्विवेदी बाबू द्वारा सम्मानित
उनके निस्वार्थ और समर्पित योगदान को देखते हुए, उड़ीसा के प्रसिद्ध द्विवेदी बाबू ने उन्हें 'पांच शाखा' उपाधि से सम्मानित किया था। यह उपाधि उन्हें उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए दी गई थी। यह सम्मान उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ और उनके कार्यों को एक और मान्यता मिली।
सामाजिक और धार्मिक योगदान
सर्वेश्वर सुथार जी का योगदान केवल उत्कल मनी आदर्श पाठागार तक ही सीमित नहीं था। वे सरायकेला क्षेत्र में धार्मिक, खेलकूद और सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रूप से शामिल रहते थे। उनका जीवन संपूर्ण समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत था। उनका उद्देश्य हमेशा समाज की भलाई और विकास था, और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इन उद्देश्यों के लिए समर्पित कर दी।
शोक सभा: संस्था और समुदाय की एकजुटता का प्रतीक
शोक सभा का आयोजन सिर्फ उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त करने के लिए नहीं था, बल्कि यह संस्था और समुदाय की एकजुटता का प्रतीक था। इस सभा में उपस्थित सभी सदस्य उनकी सेवाओं और योगदान को न केवल याद कर रहे थे, बल्कि उनके कार्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प भी ले रहे थे। यह एक ऐसा क्षण था, जब हर सदस्य ने उनकी प्रेरणा से ऊर्जा लेकर समाज की भलाई के लिए कार्य करने का संकल्प लिया।
सर्वेश्वर सुथार का योगदान और उनकी विरासत
सर्वेश्वर सुथार जी की मृत्यु ने एक बड़ी खामोशी को जन्म दिया है, लेकिन उनकी विरासत, उनके कार्य और उनके योगदान की छाप हमेशा इस समाज में रहेगी। वे हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में सबसे बड़ा पुरस्कार समाज सेवा है और हमें अपनी पूरी शक्ति और समर्पण के साथ समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
सर्वेश्वर सुथार जी की प्रेरक जीवन यात्रा और उनकी अनमोल सेवाएं हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगी, और उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा।
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