राजस्व वादों पर बड़ी कार्रवाई: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अधिकारियों को दिए सख्त निर्देश!
राजस्व परिषद अध्यक्ष अनिल कुमार और आयुक्त सचिव मनीषा त्रिभाटिया ने गोरखपुर के राजस्व वादों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा की। जानिए कैसे होगा लंबित मामलों का जल्द निस्तारण।
गोरखपुर: राजस्व वादों के लंबित मामलों पर सख्त हुए अधिकारी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा।
लखनऊ से राजस्व परिषद अध्यक्ष अनिल कुमार और राजस्व परिषद आयुक्त सचिव मनीषा त्रिभाटिया ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गोरखपुर के मंडलायुक्त सभागार में अधिकारियों के साथ राजस्व वादों की समीक्षा की। इस बैठक में गोरखपुर के सीडीओ संजय कुमार मीना, अपर आयुक्त प्रशासन कुंवर बहादुर सिंह, उपहार आयुक्त न्यायिक हरिओम, एडीएम प्रशासन पुरुषोत्तम दास गुप्ता, मुख्य राजस्व अधिकारी सुशील कुमार गौड़, और अन्य उच्चाधिकारियों ने भाग लिया।
क्यों है ये बैठक महत्वपूर्ण?
बैठक का मुख्य उद्देश्य राजस्व वादों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करना था। राजस्व वादों की लंबित संख्या बढ़ने से जनता को हो रही परेशानी के मद्देनजर अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए गए कि वे अपने-अपने तहसीलों के अंतर्गत लंबित मामलों का जल्द निस्तारण करें। अनिल कुमार और मनीषा त्रिभाटिया ने सभी अधिकारियों को हिदायत दी कि मामलों को त्वरित और पारदर्शी तरीके से सुलझाया जाए ताकि फरियादियों को समय पर न्याय मिल सके।
क्या हैं प्रमुख मुद्दे?
बैठक में रियल टाइम खतौनी के अवशेष कार्य, उपलब्ध खतौनियों का शत-प्रतिशत डिजिटाइजेशन, राजस्व ग्राम खतौनियों में दर्ज खातेदारों और सहखातेदारों के गाटों में खतौनी 3 का पुनरीक्षण, अंश निर्धारण की स्थिति, ऑनलाइन भूमि बंधक, ई-परवाना के लंबित प्रकरण, निर्विवाद वरासत के लंबित प्रकरण, धारा 34 के वादों, ई-खसरा पड़ताल (डिजिटल काप सर्वे) और मण्डलीय एवं जनपदीय राजस्व न्यायालयों में लंबित वादों के निस्तारण को लेकर गहन चर्चा की गई।
अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि इन सभी मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई की जाए और किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अनिल कुमार ने कहा कि लंबित मामलों का समयबद्ध निस्तारण होना चाहिए ताकि न्याय प्रक्रिया में तेजी आए और ग्रामवासियों को राहत मिल सके।
क्या कहा राजस्व परिषद अध्यक्ष ने?
राजस्व परिषद अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा, "यह सभी अधिकारियों का दायित्व है कि वे राजस्व वादों को समयबद्ध तरीके से निपटाएं। फरियादियों को न्याय दिलाना ही हमारी प्राथमिकता है, और इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।"
उन्होंने आगे कहा कि रियल टाइम खतौनी और डिजिटाइजेशन के कार्य को भी प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाए ताकि डेटा की पारदर्शिता बनी रहे और लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
अधिकारियों की जिम्मेदारी तय
मनीषा त्रिभाटिया ने भी बैठक में अधिकारियों को चेतावनी दी कि समयसीमा के अंदर निस्तारण न होने पर संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। उन्होंने कहा, "हमारा उद्देश्य न्याय प्रक्रिया को सरल और तेज बनाना है, और इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी।"
आगे क्या?
इस बैठक के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि राजस्व वादों का निस्तारण तेजी से होगा और फरियादियों को जल्द से जल्द न्याय मिलेगा। अधिकारियों को दी गई यह सख्त चेतावनी आने वाले दिनों में राजस्व विभाग की कार्यशैली में सुधार लाने का संकेत है। अब देखना यह होगा कि इन निर्देशों का जमीनी स्तर पर कितना असर होता है और लंबित वादों की संख्या में कितनी कमी आती है।
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