डुकूरडीहा प्राथमिक विद्यालय: शिक्षक विहीन होने की कगार पर
पूर्वी सिंहभूम जिले के डुकूरडीहा प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों के स्थानांतरण के बाद स्कूल शिक्षक विहीन हो गया है। जानें कैसे इस संकट से गुजर रहे हैं जिले के अन्य स्कूल भी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, लेकिन इसके बावजूद पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था गंभीर संकट से गुजर रही है। हाल ही में 89 शिक्षकों का अन्य जिलों में स्थानांतरण किया गया, जबकि जिले में मात्र 15 नए शिक्षक नियुक्त किए गए। इससे कई स्कूल, विशेष रूप से डुकूरडीहा प्राथमिक विद्यालय, शिक्षक विहीन हो गए हैं।
डुकूरडीहा की स्थिति
डुकूरडीहा प्राथमिक विद्यालय में पहले से ही दो सरकारी शिक्षक मधुमिता दत्त और सुमित्रा गोरी कार्यरत थीं, जिन्हें अब दुमका जिला स्थानांतरित कर दिया गया है। मधुमिता दत्त ने कहा, "किसी शिक्षक की प्रतिनियुक्ति होने के बाद चार्ज देकर चली जाऊंगी।" इसका मतलब है कि अब यह विद्यालय पूरी तरह से शिक्षक विहीन हो गया है, जिससे बच्चों की शिक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
अन्य विद्यालयों की दुर्दशा
प्राथमिक विद्यालय तेतला, जो पहले से ही एकल शिक्षक के भरोसे चल रहा था, अब और भी मुश्किल में है। यहां की एकमात्र सरकारी शिक्षक ममता दत्ता का स्थानांतरण जामताड़ा में कर दिया गया है। पारा शिक्षक बालेश्वर सरदार, जिन्हें भाटीन से तेतला प्रतिनियुक्त किया गया है, ने कहा, "वर्ग 1 से 5 तक की पढ़ाई अकेले कर पाना संभव नहीं है। इसलिए एक और शिक्षक की प्रतिनियुक्ति होनी चाहिए।"
टांगरसाई का संघर्ष
प्राथमिक विद्यालय टांगरसाई भी संकट से अछूता नहीं है। यहां एक सरकारी शिक्षक रिंकू दास और एक पारा शिक्षक असित गोप के भरोसे स्कूल चल रहा था। अब रिंकू दास का पाकुड़ स्थानांतरण हो जाने से स्कूल पूरी तरह से असित गोप के भरोसे चल रहा है, जो कि पर्याप्त नहीं है।
शिक्षा का अधिकार और वास्तविकता
इस प्रकार के स्थानांतरण ने जिले के कई स्कूलों को शिक्षक विहीन कर दिया है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रत्येक बच्चे को शिक्षा उपलब्ध कराने के अधिकार का उल्लंघन है। पोटका समेत पूरे पूर्वी सिंहभूम जिले में ग्रामीण क्षेत्रों की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। कहीं पारा शिक्षक के भरोसे तो कहीं एकल शिक्षक के भरोसे विद्यालय का संचालन हो रहा है।
सामुदायिक प्रतिक्रिया
इस स्थिति पर स्थानीय समुदाय और अभिभावकों में गहरा आक्रोश है। वे सरकार और शिक्षा विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं ताकि बच्चों की शिक्षा बाधित न हो और उनकी सीखने की प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।
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